गूंजने से पहले ही शांत हो रही किलकारियां
जननी एवं शिशु सुरक्षा योजना पर लगा सवालिया निशान
आरटीआई से मिली सूचना से हुआ खुलासा
नरेंद्र कुंडू
जींद। जिले में शिशु मृत्युदर का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। अगर स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो स्वास्थ्य विभाग शिशु मृत्यु दर को कम करने में नाकाम साबित हो रहा है। शिशु मृत्युदर के मामलों में हो रही बढ़ौतरी के कारण स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुरू की गई जननी एवं शिशु सुरक्षा योजना पर सवालिया निशान लग गया है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा डिलिवरी के दौरान महिला तथा शिशु की मृत्युदर के मामलों में कमी लाने के लिए जननी एवं शिशु सुरक्षा योजना शुरू की गई थी। जननी शिशु सुरक्षा योजना के तहत सरकारी अस्पताल में डिलिवरी के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं को सभी स्वास्थ्य सुविधाएं निशुल्क मुहैया करवाई जाती हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग लाख प्रयास के बावजूद भी शिशु मृत्युदर के मामलों में कमी लाने में नाकाम साबित हो रहा है। आरटीआई कार्यकत्र्ता सुरेश पूनिया द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़े वास्तव में चौंकाने वाले हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों पर यदि नजर डाली जाए तो सामान्य अस्पताल में डिलिवरी के दौरान शिशु मृत्युदर का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। इससे स्वास्थ्य विभाग की जननी एवं शिशु सुरक्षा योजना पर सवाल उठने लगे हैं।
जींद के सामान्य अस्पताल का फोटो। |
जिले के सरकारी अस्पतालों में नहीं नर्सरी की सुविधा
जिले में जींद, नरवाना तथा सफीदों में तीन सामान्य अस्पताल हैं लेकिन तीनों अस्पतालों में कहीं पर भी नवजात बच्चों के उपचार के लिए नर्सरी की सुविधा नहीं है। जींद के सामान्य अस्पताल में कागजों में तो नर्सरी तैयार हो चुकी है लेकिन अभी तक इस नर्सरी में बच्चों के उपचार का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। सरकारी अस्पतालों में नर्सरी की सुविधा नहीं होने के कारण परिजनों को नवजात बच्चों के उपचार के लिए या तो पीजीआई में जाना पड़ता है या फिर शहर के निजी अस्पतालों का रूख करना पड़ता है।
जींद के सामान्य अस्पताल में नवजात शिशुओं के लिए यह नहीं हैं सुविधाएं
जींद के सामान्य अस्पताल में नवजात शिशुओं के उपचार के लिए कृत्रिम श्वांस, सैंटर लाइन ऑक्सिजन, नवजात शिशुओं के मुख्य टैस्टों तथा बच्चों के अल्ट्रासाऊंड की सुविधा नहीं है। सामान्य अस्पताल में यह सुविधाएं नहीं होने के कारण भी शिशु मृत्युदर के मामलों में लगातार बढ़ौतरी हो रही है।
मरीजों को समय पर नहीं मिल पाता उपचार
अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण सामान्य अस्पताल में डिलिवरी के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं को समय पर पूरी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। मरीज इलाज के लिए भटकते रहते हैं। सामान्य अस्पताल में जच्चा-बच्चा के लिए आधुनिक सुविधाएं नहीं हैं। सामान्य अस्पताल में चिकित्सकों की भारी कमी है लेकिन जितना भी स्टाफ यहां फिलहाल मौजूद है, वह भी अच्छे तरीके से अपनी ड्यूटी नहीं निभाता है। यहां पर मौजूद स्टाफ मरीज का सही तरीके से उपचार करने की बजाए मरीज को यहां से रैफर करने में ज्यादा विश्वास रखता है। सही समय पर पूरा उपचार नहीं मिल पाने के कारण ही सरकारी अस्पतालों से लोगों का विश्वास दिन-प्रतिदिन कम हो रहा है और लोग मजबूरीवश निजी अस्पतालों का रुख करने पर मजबूर हैं।
सुरेश पूनिया
आरटीआई कार्यकर्ता
आरटीआई के तहत प्राप्त जुलाना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के आंकड़े
वर्ष कुल डिलिवरी लड़के लड़कियां मृत बच्चे
2012 1935 1024 911 21
2013 1725 927 798 20
आरटीआई के तहत प्राप्त सामान्य अस्पताल जींद के आंकड़े
वर्ष कुल डिलिवरी लड़के लड़कियां मृत बच्चे
2010 2381 1341 1102 62
2011 2809 1359 1286 18
2012 2532 1325 1169 77
2013 3381 1809 1522 79
आरटीआई के तहत प्राप्त सामान्य अस्पताल नरवाना के आंकड़े
वर्ष कुल डिलिवरी लड़के लड़कियां मृत बच्चे
2010 1098 615 483 18
2011 1350 727 623 26
2012 1408 747 661 19
2013 1657 854 775 28
आरटीआई के तहत प्राप्त सामान्य अस्पताल सफीदों के आंकड़े
वर्ष कुल डिलिवरी लड़के लड़कियां मृत बच्चे
2010 1481 774 707 15
2011 731 391 340 5
2012 804 429 375 5
2013 659 345 14 5
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