मंगलवार, 20 मई 2014

कीट ज्ञान की मुहिम की शुरूआत कर डॉ. दलाल ने दिया एक नई क्रांति को जन्म

कीटों की मास्टरनियों ने शहर के लोगों को भी पढ़ाया कीट ज्ञान का पाठ
कहा, जहरमुक्त खान-पान मनुष्य की प्राथमिकता

नरेंद्र कुंडू 
जींद। थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए डॉ. सुरेंद्र दलाल ने कीट ज्ञान की मुहिम शुरू कर एक नई क्रांति को जन्म दिया है। आज जहरमुक्त खान-पान प्रत्येक व्यक्ति की जरूरत है। जहरीले खान-पान के कारण आज मनुष्य निरंतर भिन्न-भिन्न बीमारियों की चपेट में आ रहा है। यह बात पुलिस अधीक्षक बलवान सिंह राणा ने रविवार को डॉ. सुरेंद्र दलाल की पुण्यतिथि पर श्रीराम स्कूल में आयोजित रक्तदान शिविर में बतौर मुख्यातिथि बोलते हुए कही। कार्यक्रम में सीटीएम सतबीर लोहचब, डीएसपी धर्मबीर पूनिया, हिसार डीएचओ डॉ. बलजीत भ्याण, मैडम कुसुम दलाल, बराह तपा प्रधान कुलदीप ढांडा, डॉ. राजेश भोला, श्री राम विद्या मंदिर स्कूल के चेयरमैन प्रदीप भोला, प्राचार्या सविता भोला, चुनाव तहसीलदार रवि शर्मा, राज सिंह दलाल, विजय दलाल, सामान्य अस्पताल के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. जेके मान, शहर थाना प्रभारी कमलदीप, डॉ. वीरेंद्र मलिक, आवाज जन-जन की संगठन के अध्यक्ष अरविंद मलिक, संरक्षक अनिल देशवाल मौजूद थे। शिविर में 70 यूनिट रक्तदान हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ कीटाचार्य महिलाओं ने 'हे बीटल म्हारी मदद करो हैमनै तेरा एक सहारा है' गीत से की। कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये।
प्रगतिशील किसान क्लब के प्र्रधान कुलदीप सिंह ढांडा ने कहा कि डॉ. सुरेंद्र दलाल ने कृषि विभाग में एडीओ रहते हुए जींद जिले से कीट प्रबंधन की मुहिम शुरू की। धीरे-धीरे यह मुहिम पंजाब तक पहुंच गई। पिछले साल राजपूरा में कीट प्रबंधन पर आयोजित कार्यक्रम में पंजाब के किसान भी कीट प्रबंधन के महत्व को
कार्यक्रम में प्रस्तुति देती छात्राएं। 
स्वीकार चुके हैं।

मुख्यमंत्री के सामने यह रखी जाएंगी मांग

डॉ. सुरेंद्र दलाल द्वारा शुरू की गई कीट ज्ञान क्रांति की मुहिम को पूरे प्रदेश में फैलाने के लिए कैंप में एनजीओ तथा कीटाचार्य किसानों और डॉ.सुरेंद्र दलाल के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजने का निर्णय लिया गया। ज्ञापन में चार मांगें प्रमुख रूप से रखी जाएंगी। जींद में चल रहे किसान प्रशिक्षण केंद्र का नाम डॉ. सुरेंद्र दलाल के नाम पर रखा जाए, जिला कृषि उप-निदेशक कार्यालय में डॉ. सुरेंद्र दलाल की प्रतिमा लगाई जाए, डॉ. सुरेंद्र दलाल के नाम से प्रदेश स्तर पर कृषि पुरस्कार शुरू किया जाए तथा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के माध्यम से कीट ज्ञान क्रांति की इस मुहिम को आगे बढ़ाया जाए।
कार्यक्रम में गीत प्रस्तुत करती महिला किसान। 

क्या है कीट ज्ञान की मुहिम 

कीटाचार्य किसानों का मानना है कि फसल में कीटनाशकों का प्रयोग करने की बजाय कीटों की पहचान करने की जरूरत है। क्योंकि पौधे अपनी जरूरत के अनुसार भिन्न-भिन्न किस्म की सुगंध छोड़कर कीटों को अपनी सुरक्षा के लिए बुलाते हैं। महिला किसान राजवंती, अंग्रेजो, कमलेश, बिमला, गीता, सविता, शीला का मानना है कि किसान फसल में कीटनाशकों का प्रयोग बंद कर फसल के के खर्च को कम कर सकते हैं। अच्छा उत्पादन लेने के लिए कीटनाशकों की नहीं बल्कि पौधों को पर्याप्त खुराक की जरूरत होती है। इसलिए किसानों को चाहिए कि ढाई किलो यूरिया, ढाई किलो डीएपी तथा आधा किलो जिंक का 100 लीटर पानी में घोल तैयार कर हर दस दिन बाद फसलों पर इसका छिड़काव करें। किसानों ने बताया कि इस एक घोल पर महज 83 रुपये का खर्च आता है जबकि कपास के एक स्प्रे पर कम से कम 400 रुपये का खर्च आता है। वहीं धान की फसल के एक स्प्रे पर 700 रुपये का खर्च आता है। किसानों ने बताया कि इस स्प्रे के प्रयोग से फसल की क्वालिटी भी अच्छी आती है और खर्च भी कम होता है। इस बार जींद जिले में लगभग एक हजार एकड़ में कपास तथा लगभग 500 एकड़ में धान की फसल बिना पेस्टिसाइड के पैदा की गई थी।
रक्तदाताओं को बैज लगाती मैडम कुसुम दलाल तथा साथ मौजूद पुलिस अधीक्षक बलवान सिंह राणा।


कुसुम दलाल को स्मृति चिह्न भेंट करती स्कूल प्राचार्या सविता भोला तथा एनजीओ के पदाधिकारी। 









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