मंगलवार, 20 मई 2014

बारिश के बाद बढ़ी कपास के बीजों की काला बाजारी

 खुलेआम किसानों को लूट रहे बीज विक्रेता
 कपास के बीजों में प्रति पैकट हुई 100 से 200 रुपये की बढ़ौतरी
 हर रोज जिले में कपास के बीज का होता है 70 से 80 लाख का कारोबार

नरेंद्र कुंडू 
जींद। पिछले सप्ताह हुई बरसात के बाद से कपास की बिजाई के कार्य ने रफ्तार पकड़ ली है। तापमान में गिरावट होने के साथ ही बीजों के रेटों में बढ़ौतरी हो गई है। कपास के बीजों की मांग बढऩे के साथ बीज विक्रताओं ने बीजों की काला बाजारी शुरू कर दी है। बीज विक्रेता किसानों को बाजार में बीज की कमी होने का भय दिखाकर किसानों से मुंह मांगे दाम वसूल रहे हैं। कपास की बिजाई का सीजन अंतिम चरण में होने के कारण किसानों को मजबूरन महंगे दामों पर बीज खरीद कर बिजाई करनी पड़ रही है लेकिन बीज विक्रेताओं की खुली मनमानी पर रोक लगाने के लिए कृषि विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। कृषि विभाग की सुस्त कार्य प्रणाली के चलते बीज विक्रेता मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
जींद जिले में लगभग 62 हजार हैक्टेयर में कपास की फसल की बिजाई होती है। कृषि विभाग के नियमों के अनुसार अप्रैल के अंतिम सप्ताह से २५ मई तक कपास की बिजाई का सबसे उपयुक्त समय होता है। इस समय किसान कपास की बिजाई में पूरी तरह से व्यस्त हैं। पिछले सप्ताह हुई बरसात ने कपास की बिजाई के कार्य को रफ्तार देने का काम किया है। बरसात के साथ ही जिले में कपास की बिजाई के कार्य ने रफ्तार पकड़ी है। जिन किसानों ने बरसात से कुछ दिन पहले ही कपास की बिजाई की थी बरसात के कारण वह फसल खराब होने के कारण किसानों को दोबारा से कपास की बिजाई करनी पड़ रही है। कपास की बिजाई का सीजन अंतिम चरण में होने के कारण बाजार में कपास के बीजों की मांग लगातार बढ़ रही है। बीजों की बढ़ती मांग को देखते हुए बीज विक्रेताओं ने भी बीजों की काला बाजारी शुरू कर दी है। बीज विक्रेता किसानों को बीज की कमी का भय दिखाकर मुंह मांगे रेटों पर बीज बेच रहे हैं। एक सप्ताह पहले तक जिन बीजों की कीमत 800  से 900 तक के बीच थी, अब वह बीज बाजार में 1000  से 1100 रुपए तक प्रति पैकट बिक रहा है। बिजाई का अंतिम चरण होने के कारण हर रोज जिले में 70  से 80  लाख रुपये का कारोबार हो रहा है।
 गांव ईंटल कलां निवासी किसान राजकुमार

कपास की बिजाई के लिए उसने 602 बीज की जरूरत थी लेकिन बाजार में यह बीज नहीं मिल रहा है। बीज विक्रेता कंपनी से इस बीज की सप्लाई नहीं आने की बात कह रहे हैं। 602  बीज नहीं मिलने के कारण उसे मजबूरीवश दूसरी कंपनी का बीज खरीद कर बिजाई करनी पड़ रही है लेकिन दूसरी कंपनी का बीज भी पिछले सप्ताह की बजाए 100  से 200 रुपये ज्यादा कीमत पर मिल रहा है।
राजकुमार किसान
गांव ईंटल कलां

उसे कपास की बिजाई के लिए रासी 776  के बीज की जरूरत थी लेकिन उसे बाजार में यह बीज नहीं मिल रहा है। इस कारण उसे मजबूरीवश दूसरी कंपनी का बीज खरीदना पड़ रहा है। पिछले सप्ताह की बजाए इस सप्ताह बीजों के रेटों में काफी बढ़ौतरी हुई है।
 गांव बिरौली निवासी किसान कर्मबीर
कर्मबीर किसान
गांव बिरौली

25 तक होता है कपास की बिजाई का सीजन

कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो अप्रैल के अंतिम सप्ताह से 25  मई तक कपास की बिजाई का सबसे उपयुक्त समय होता है। इस बार कपास की बिजाई के दौरान बीच-बीच में हो रही बारिश के कारण इस बार काफी किसानों की कपास की फसलें खराब हो गई हैं। इस कारण किसानों को दोबारा से बिजाई करनी पड़ रही है। दोबारा से बिजाई किये जाने तथा बिजाई के सीजन का अंतिम चरण चलने के कारण बाजार में बीजों की मांग लगातार बढ़ रही है।

बीजों की काला बाजारी को रोकने के लिए विभाग द्वारा बीजों की दुकानों की जांच की जा रही है। 16 मई को मतगणना होने के चलते विभाग के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी मतगणना में लगाए जाने के कारण उन्हें एक दिन के लिए यह अभियान रोकना पड़ा है। मतगणना के बाद से इस अभियान को दोबारा से शुरू किया जाएगा।
डॉ. युद्धवीर सिवाच
उपमंडल कृषि अधिकारी, जींद





1 टिप्पणी:

  1. Its strange that डॉ. युद्धवीर सिवाच a उपमंडल कृषि अधिकारी, जींद is writing this. While the Agriculture Department is the Controlling Authority for this and make sure that the farmers gets the inputs at the fair price, this has been allowed to happen on the pretext of other non essential services. It is pity that some corrupt officials are in league with the seed producers as well s in league with the traders are allowing the black-marketing of inputs. The Producers and traders have no fear of the officials and they indulge in the mal-practice at will. This must change at once.

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