सोमवार, 16 जून 2014

जहरीले हो रहे खान-पान व दूषित हो रहे वातावरण से हर जीव हो रहा प्रभावित

दुनिया को जहर से मुक्ति दिलानी है तो किसानों को कीटों की तरफ बढ़ाना होगा दोस्ती का हाथ
निडाना में शुरू हुई महिला किसान खेत पाठशाला

नरेंद्र कुंडू 
जींद। राष्ट्रीय समाकेतिक कीट प्रबंधन केंद्र नई दिल्ली (एनसीआईपीएम), कृषि विभाग तथा कीट कमांडो किसानों के सौजन्य से सोमवार को निडाना गांव में पहली महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन किया गया। पाठशाला का शुभारंभ कीट साक्षरता के अग्रदूत डॉ. सुरेंद्र दलाल की पत्नी मैडम कुसम दलाल ने किया। पाठशाला के शुभारंभ अवसर पर कृषि विभाग के उप-निदेशक डॉ. रामप्रताप, बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा, खंड कृषि अधिकारी राजेंद्र शर्मा, एडीओ डॉ. कमल सैनी, डॉ. रवि कादयान, डॉ. शलैंद्र चहल भी विशेष रूप से मौजूद रहे।

मैडम कुसम दलाल ने पाठशाला में आए किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि डॉ. सुरेंद्र दलाल द्वारा थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम अब एक क्रांति का रूप ले चुकी है। क्योंकि जहरीले हो रहे खान-पान तथा दूषित हो रहे वातावरण से हर जीव प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि शुद्ध भोजन तथा स्वच्छ वातावरण प्रत्येक जीव की पहली जरूरत है और यह जरूरत तभी पूरी हो सकती है जब किसान फसल में अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने की बजाए कीटों की तरफ मित्रता का हाथ बढ़ाकर जहरमुक्त खेती को बढ़ावा देगा। डॉ. रामप्रताप सिहाग तथा कुलदीप ढांडा ने कहा कि इस धरती पर जितने भी जीव हैं उन सबका इस सृष्टि को चलाने में अहम योगदान है। इसलिए फसल में मौजूद कीटों का भी फसल के लिए बहुत महत्व है। जब तक हम कीटों को पहचान कर कीटों के क्रियाकलापों को नहीं समझेंगे तब तक हम इनका महत्व नहीं समझ पाएंगे। पाठशाला के पहले दिन कीटाचार्य महिलाओं ने अन्य महिला किसानों के साथ ग्रुप बनाकर फसल का अवलोकन किया और कपास के छोटे-छोटे पौधों पर मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों की पहचान की। फसल के अवलोकन के दौरान महिला किसानों ने फसल में सफेद मक्खी, चुरड़ा तथा हरा तेला नमक कीट दिखाई दिये लेकिन अभी तक यह कीट फसल में नुकसान पहुंचाने के आॢथक स्तर से काफी नीचे थे। मास्टर ट्रेनर महिला किसान मीना, सुषमा, प्रमिला, मनीषा, सविता तथा शीला ने अन्य महिला किसानों को सफेद मक्खी, चुरड़ा तथा हरे तेले के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

मांसाहारी कीटों के नाम पर बनाए महिलाओं के ग्रुप


पाठशाला में आने वाली महिला किसानों को कीटों के बारे में बारीकी से जानकारी देने के लिए पांच-पांच महिलाओं के 6 ग्रुप बनाए गए। प्रत्येक ग्रुप के साथ एक-एक मास्टर ट्रेनर महिला किसान की ड्यूटी लगाई गई। महिलाओं के गु्रप के नाम मांसाहारी कीट हथजोड़ा, लेडी बिटल, क्राइसोपा, परभक्षी बुगड़े, भिरड़-ततैये तथा परमेटिया के नाम से रखे गए।

20 सप्ताह तक चलेगी पाठशाला

सोमवार से निडाना गांव में शुरू हुई महिला किसानों की पाठशाला 20 सप्ताह तक चलेगी। सप्ताह के हर सोमवार को निडाना गांव के बस स्टॉप के पास स्थित खेत में इस पाठशाला का आयोजन किया जाएगा। इस पाठशाला में ललितखेड़ा, निडाना, निडानी तथा रधाना की महिला किसान भाग लेंगी।

डेढ़ एकड़ में कपास की फसल पर होगा शोध

महिला किसान खेत पाठशाला के दौरान राष्ट्रीय समाकेतिक कीट प्रबंधन केंद्र नई दिल्ली (एनसीआईपीएम) की टीम द्वारा कीटों से फसल पर पडऩे वाले प्रभाव पर शोध भी किया जाएगा। इसके लिए एनसीआईपीएम की टीम ने यहां पर डेढ़ एकड़ जमीन पर अपनी निगरानी में फसल की बिजाई करवाई है। यहां आधा एकड़ में एनसीआईपीएम की टीम अपने तरीके से कपास की खेती करवाएगी, आधा एकड़ में कीट कमांडो किसान अपने तरीके से खेती करेंगे तथा आधा एकड़ में किसान अपने तरीके से खेती करेगा। फसल की कटाई के बाद फसल के उत्पादन की समीक्षा की जाएगी और उसके परिणामों पर भी गहन मंथन किया जाएगा।




फसल के अवलोकन के बाद चार्ट पर आंकड़े एकत्रित करती महिला किसान।  

कपास की फसल में सुक्ष्मदर्शी की सहायता से कीटों का अवलोकन करती महिला किसान।




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