रविवार, 7 सितंबर 2014

पंजाब के किसानों को भा रहा म्हारे किसानों का कीट ज्ञान

कीट ज्ञान हासिल करने के लिए जींद का रूख करने लगे पंजाब के किसान
पहले भी कई बार जींद का दौरा कर चुके हैं पंजाब के कृषि विभाग के अधिकारी व किसान 

नरेंद्र कुंडू 
जींद। थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए जींद से शुरू हुई कीट ज्ञान की मुहिम अब पंजाब के किसानों को भी भाने लगी है। इसी के चलते अब कीट ज्ञान अॢजत करने के लिए पंजाब के किसान भी जींद का रूख करने लगे हैं। निडाना गांव में चल रही किसान खेत पाठशाला में सोमवार को पंजाब के भटिंडा तथा फरीदकोट से पांच किसानों का एक दल यहां पहुंचा और उन्होंने यहां के किसानों से कीट ज्ञान की तालीम ली। इससे पहले भी पंजाब के कृषि विभाग के अधिकारी तथा किसान कई बार कीट ज्ञान हासिल करने के लिए यहां आ चुके हैं। 
कृषि में नई-नई तकनीकों के इस्तेमाल के मामले में पंजाब हरियाणा से काफी आगे है। इसी के चलते फसलों में पेस्टीसाइड के प्रयोग की शुरूआत भी पहले पंजाब से ही शुरू हुई थी। आज भी पंजाब में हरियाणा की अपेक्षा 
फसल का निरीक्षण करते पंजाब के किसान।  
फसलों में ज्यादा पेस्टीसाइड का प्रयोग किया जा रहा है। इसी के दुष्परिणाम भी आज वहां सामने आने लगे हैं। कैंसर तथा अन्य जानलेवा बीमारियां यहां तेजी से पैर पसार रही हैं। पंजाब के साथ-साथ हरियाणा में भी पेस्टीसाइड के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। इसी के चलते वर्ष 2008 में जींद में कृषि विभाग में एडीओ के पद पर कार्यरत डॉ. सुरेंद्र दलाल ने निडाना गांव से कीट ज्ञान की शुरूआत की थी। डॉ. सुरेंद्र दलाल ने किसानों को फसलों में मौजूद कीटों की पहचान करवाने तथा उनके क्रियाकलापों के बारे में बारीकी से जानकारी दी। आज जींद जिले में लगभग 100 महिला किसान तथा 200 से ज्यादा पुरुष किसान इस मुहिम के साथ जुड़ चुके हैं। जींद जिले के किसानों की कीट ज्ञान ही यह मुहिम अब जींद ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर निकलकर दूसरे प्रदेशों में भी फैलने लगी है। पंजाब जैसे प्रगतिशील प्रदेश के किसान भी अब कीट ज्ञान हासिल करने के लिए जींद का रूख करने लगे हैं। सोमवार को पंजाब के भटिंडा तथा फरीदकोट से पांच किसानों का दल निडाना में चल रही किसान खेत पाठशाला में प्रशिक्षण लेने के लिए पहुंचा। 
पाठशाला में पंजाब के किसानों को जानकारी देती महिला किसान।

सबसे अच्छी पद्धति है कीट ज्ञान 

पंजाब से कीट ज्ञान हासिल करने के लिए पहुंचे भटिंडा तथा फरीदकोट के किसान बेअंत सिंह, जगमोहन ङ्क्षसह, हरचरण सिंह, भूपेंद्र ङ्क्षसह तथा गुरमेल ङ्क्षसह ने बताया कि वह खुद भी कुदरती खेती करते हैं तथा पंजाब के दूसरे किसानों को भी कुदरती खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब में पेस्टीसाइड का ज्यादा प्रयोग हो रहा है लेकिन पेस्टीसाइड के प्रयोग के बाद भी कीट नियंत्रित नहीं हो रहे हैं लेकिन जींद के किसानों का जो कीट ज्ञान है उसकी चर्चा सुनकर वह जींद पहुंचे हैं। उन्होंने यहां के किसानों से सीखा की कीटों को नियंत्रित करने की जरूरत नहीं है, जरूरत है तो केवल कीटों की पहचान करने की। क्योंकि कीटों को नियंत्रित करने के लिए फसल में काफी संख्या में मांसाहारी कीट मौजूद होते हैं। उन्होंने यहां भी कई प्लांटों का निरीक्षण किया और देखा कि जिस प्लांट मेंं पेस्टीसाइड का प्रयोग किया गया है उसकी बजाय बिना पेस्टीसाइड वाले प्लांट की फसल काफी अच्छी है। यहां के किसानों का कीट ज्ञान काफी अच्छा है। अब वह पंजाब के अन्य किसानों को कीट ज्ञान के प्रति जागरूक करेंगे। 





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