एक दिन पूरे देश में फैलेगी जींद के किसानों की कीट ज्ञान की मुहिम : खटकड़
नरेंद्र कुंडू
जींद । निडाना गांव में शनिवार को महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन किया गया। महिला पाठशाला में समाजसेवी रघुबीर खटकड़ ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। पाठशाला में पहुंचने पर महिला किसानों ने मुख्यातिथि को स्मृति चिह्न भेंट कर उनका स्वागत किया तथा कीट ज्ञान की मुहिम से मुख्यातिथि को बारिकी से जानकारी दी।
रघुबीर खटकड़ ने महिला किसानों की मुहिम की तारीफ करते हुए कहा कि देश से अंग्रेज तो चले गए लेकिन उनकी विचारधारा आज भी देश में है। देश में किसानों के हित के लिए जो योजनाएं बनाई जाती हैं उनमें किसान के हित को ध्यान में रखने की बजाए निजी कंपनियों के हितों को ध्यान में रखा जाता है। इसके चलते किसानों उन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। खटकड़ ने कहा कि देश में जब भी कोई व्यक्ति लीक से
रघुबीर खटकड़ ने महिला किसानों की मुहिम की तारीफ करते हुए कहा कि देश से अंग्रेज तो चले गए लेकिन उनकी विचारधारा आज भी देश में है। देश में किसानों के हित के लिए जो योजनाएं बनाई जाती हैं उनमें किसान के हित को ध्यान में रखने की बजाए निजी कंपनियों के हितों को ध्यान में रखा जाता है। इसके चलते किसानों उन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। खटकड़ ने कहा कि देश में जब भी कोई व्यक्ति लीक से
फसल में कीटों का अवलोकन करती महिला किसान। |
हटकर किसी काम को करता है तो उसके सामने कठिनाइयां आती हैं लेकिन कठिन परिस्थितियों में भी जो अपना हौंसला बुलंद रखता है वह एक दिन जरूर सफल होता है। इसी प्रकार जींद जिले के किसानों ने भी लीक से हटकर कीट ज्ञान की मुहिम शुरू की है। बहुत जल्द उनकी यह मुहिम भी दूर तक फैलेगी। भिरड़-ततैया ग्रुप की मास्टर ट्रेनर सुषमा, संतोष, सुमन, कमल तथा जसबीर कौर ने बताया कि दो सप्ताह पहले फसल में सफेद मक्खी की संख्या बढ़ गई थी लेकिन फसल में मौजूद मांसाहारी कीटों ने बढ़ रही सफेद मक्खी की संख्या को नियंत्रित कर लिया है। इस बार फसल में सफेद मक्खी की संख्या प्रति पत्ता 4.4, हरे तेले की संख्या 0.05 तथा चूरड़े की संख्या शून्य है। उन्होंने बताया कि यहां के किसानों द्वारा फसल में कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किए जाने के कारण ही सफेद मक्खी ईटीएल लेवल को पार नहीं कर पाई लेकिन पूरे प्रदेश में जहां-जहां पर कीटनाशकों का प्रयोग किया गया, वहां-वहां सफेद मक्खी के प्रकोप के कारण फसल बुरी तरह से तबाह हो गई।
चार्ट पर गेहूं पर आने वाले खर्च का आंकड़ा तैयार करती महिला किसान। |
एक किलो गेहूं के उत्पादन पर आता है 15.27 रुपये का खर्च
मुख्यातिथि को स्मृति चिह्न भेंट करती महिला किसान। |
महिला किसानों ने गेहूं के उत्पादन पर आने वाले खर्च का आकलन करते हुए बताया कि यदि खेती के कार्य को बिजनेश की नजर से देखा जाए और खेती में जमीन व किसान की मजदूरी सहित प्रत्येक खर्च को जोड़ा जाए तो खेती किसान के लिए घाटे का सौदा है। क्योंकि एक किलो गेहूं के उत्पादन पर किसान का 15.27 रुपये खर्च होता है लेकिन किसान को सरकार से गेहूं का भाव 14.25 रुपये मिलता है। इस प्रकार प्रति किलो चावल पर किसान को 1.2 रुपये का नुकसान हो रहा है लेकिन किसान खेती को बिजनेश के नजरिये से नहीं देखता और वह खेती में अपनी मजदूरी के पैसे नहीं जोड़ता इसलिए उसका कामकाज ठीकठाक चलता रहता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें