मंगलवार, 7 जुलाई 2015

भ्रम के जाल में फंसकर कीटों को मार रहे किसान

जींद के बाद अब बरवाला में जलाई कीट ज्ञान की अलख

नरेंद्र कुंडू 
बरवाला। क्षेत्र के जेवरा गांव में शनिवार को महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन किया गया। पाठशाला के शुभारंभ अवसर पर हिसार के जिला उद्यान अधिकारी डॉ. बलजीत भ्याण ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। पाठशाला का आयोजन जेवरा गांव के किसान दलजीत के खेत में किया गया। जींद जिले की मास्टर ट्रेनर महिला किसानों ने जेवरा गांव की महिलाओं को कपास की फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों की पहचान करवाने के साथ-साथ उनके क्रियाकलापों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। पाठशाला में महिलाओं के साथ-साथ वहां के पुरुष किसानों की भी भागीदारी रही।
मास्टर ट्रेनर सविता, सुषमा, शीला, नारो तथा जसबीर कौर ने महिलाओं को कीटों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कीट न तो हमारे मित्र हैं और न ही हमारे दुश्मन हैं। पौधे अपनी जरूरत के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की गंध छोड़कर अपनी रक्षा के लिए कीटों को बुलाते हैं लेकिन किसानों को कीटों की पहचान नहीं होने के कारण किसान भय व भ्रम के जाल में फंसकर कीटों को मार रहे हैं। उन्होंने कहा कि कीटनाशकों के बिना खेती संभव है लेकिन कीटों के बिना खेती संभव नहीं है। पाठशाला के आरंभ में महिला किसानों को पौधों पर मौजूद कीटों की पहचान करवाकर कीटों की गिनती कर आंकड़ा तैयार किया। एक पौधे पर मिलीबग के बच्चे भी देखे गए। महिला किसानों ने क्राइसोपे के बच्चे को कीड़े का कत्ल कर उसकी लाश को पीठ पर उठाकर घूते हुए तथा इनजनहारी द्वारा अपने बच्चे के पालन-पोषण के लिए मिट्टी के तोंदे में सूंडियों को रोके हुए देखा।
 इनजनहारी द्वारा मिट्टी के तोंदे में रोकी गई सूंडियां।

ईटीएल लेवल से पार पहुंची सफेद मक्खी की संख्या

पाठशाला में मेजर कीट सफेद मक्खी, हरे तेले व चूरड़े की गिनती की गई जिसमें सफेद मक्खी की संख्या प्रति पत्ता 7.9, हरे तेले की संख्या 0.35, चूरड़े की संख्या 1.7 रही। किसानों ने बताया कि पिछले सप्ताह फसल में सफेद मक्खी की संख्या प्रति पत्ता 2.1, हरे तेले की 0.25 तथा चूरड़े की संख्या 0.03 थी। जबकि कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सफेद मक्खी का ईटीएल लेवल प्रति पत्ता छह, हरे तेले का दो और चूरड़े का 10 से अधिक नहीं होना चाहिए लेकिन इस बार यह संख्या ईटीएल लेवल को पार कर चुकी है। मास्टर ट्रेनर किसानों ने बताया कि फसल को नुकसान पहुंचाने वाले मेजर कीट सफेद मक्खी, हरा तेला व चूरड़े को नियंत्रित करने के लिए मांसाहारी कीट काफी संख्या में मौजूद हैं। इसके बाद सभी किसानों से सर्वसम्मति से फैसला किया कि इस मामले में किसी भी प्रकार का फैसला अगले सप्ताह लिया जाएगा। क्योंकि इस बार फसल में सफेद मक्खी की संख्या बच्चों की बजाए प्रौढ़ की ज्यादा है। सफेद मक्खी को नियंत्रित करने के लिए मांसाहारी कीट इनो है। इनो एक बार में 100 से 150 अंडे देती है और एक सफेद मक्खी के पेट में एक ही अंड़ा देती है। इस अंडे से निकलने वाले इनो के बच्चे सफेद मक्खी को खाकर नियंत्रित कर लेते हैं।
 : पौधों पर कीटों की पहचान करती महिला किसान।

यह-यह मांसाहारी कीट भी मिले

फसल में शाकाहारी कीटों को नियंत्रित करने के लिए मांसाहारी कीट क्राइसोपा के अंडे, बच्चे, बीटल, डाकू बुगड़ा, मकड़ी, इनो, दीदड़ बुगड़ा, इनजनहारी, बिंदुआ चूरड़ा, अंगीरा, ब्रहमनो बीटल काफी संख्या में मौजूद रहे।

दो प्रकार के होते हैं कीट

मास्टर ट्रेनर किसानों ने बताया कि कीट दो प्रकार के होते हैं। एक मांसाहारी तथा दूसरे शाकाहारी। शाकाहारी कीट पौधे से रस चूसकर, पत्ते व फूलों को खाकर अपना गुजारा करते हैं और मांसाहारी कीट शाकाहारी कीटों को खाकर किसान के लिए फसल में कुदरती कीटनाशी का काम करते हैं। शाकाहारी कीट भी दो किस्म के होते हैं। एक रस चूसकर गुजारा करने वाले तथा दूसरे चबाकर खाने वाले कीट।
महिला किसान शकुंतला 

महिलाओं के  लिए काफी ज्ञानवर्धक सिद्ध होगी पाठशाला

मैं अपने परिवार के साथ खेतीबाड़ी का कार्य करती हूं लेकिन आज तक मुझे फसल में मौजूद कीटों के बारे में जानकारी नहीं थी। आज पाठशाला में मास्टर ट्रेनर किसानो द्वारा दी गई जानकारी से फसल में मौजूद कीटों के महत्व के बारे में जानकारी हासिल हुई है। इससे पहले मुझे कीटों के बारे में इतनी ज्यादा जानकारी नहीं थी। यहां लगाई गई यह पाठशाला किसानों के लिए काफी ज्ञनवर्धक साबित होगी।
शकुंतला, महिला किसान
जेवरा

पति से ही मुझे थोड़ी बहुत कीटों के बारे में हुई जानकारी 

महिला किसान रानी  
मेरा पति पिछले वर्ष से कीटाचार्य किसानों के साथ जुड़ा हुआ है। हम भी पिछले वर्ष से बिना जहर की खेती कर रहे हैं। पति से ही मुझे थोड़ी बहुत कीटों के बारे में जानकारी हुई थी लेकिन इस बार हमारे यहां पाठशाला शुरू होने से कीटों के बारे में हमें काफी ज्ञान मिलेगा। मास्टर ट्रेनर महिला किसानों द्वारा काफी बारिकी से जानकारी दी गई है।
रानी, महिला किसान
जेवरा











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