कीटनाशकों के प्रयोग से ही फसल में बढ़ती है कीटों की संख्या
नरेंद्र कुंडू
बरवाला/जींद। कीटों की मास्टरनी सीता देवी, शांति, धनवंति व नारों ने बताया कि जहां-जहां कपास की फसल में कीटों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग कर छेडख़ानी की गई है, उन-उन खेतों में कीटों की संख्या निरंतर बढ़ रही है लेकिन जहां पर कीटों के साथ कोई छेडख़ानी नहीं की गई है, वहां कीटों की संख्या नुकसान पहुंचाने के आर्थिक स्तर (ईटीएल लेवल) से काफी नीचे है। कीटों की मास्टरनियां शनिवार को अमर उजाला फाउंडेशन द्वारा जेवरा गांव में आयोजित महिला किसान खेत पाठशाला में मौजूद महिला तथा पुरुष किसानों को फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों के बारे में अवगत करवा रही थी। इस अवसर पर पाठशाला में आकाशवाणी केंद्र रोहतक से कार्यक्रम अधिकारी नरेश गोगिया, वरिष्ठ उद्घोषक संपूर्ण सिंह, हिसार के जिला बागवानी अधिकारी डॉ. बलजीत भ्याण, डॉ. महाबीर शर्मा भी विशेष रूप से मौजूद रहे। पाठशाला के आरंभ में महिला किसानों ने कपास तथा सब्जियों की फसल में कीटों का निरक्षण किया और उसके बाद फसल में मौजूद कीटों के आंकड़े को चार्ट पर उतारा।
बरवाला/जींद। कीटों की मास्टरनी सीता देवी, शांति, धनवंति व नारों ने बताया कि जहां-जहां कपास की फसल में कीटों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग कर छेडख़ानी की गई है, उन-उन खेतों में कीटों की संख्या निरंतर बढ़ रही है लेकिन जहां पर कीटों के साथ कोई छेडख़ानी नहीं की गई है, वहां कीटों की संख्या नुकसान पहुंचाने के आर्थिक स्तर (ईटीएल लेवल) से काफी नीचे है। कीटों की मास्टरनियां शनिवार को अमर उजाला फाउंडेशन द्वारा जेवरा गांव में आयोजित महिला किसान खेत पाठशाला में मौजूद महिला तथा पुरुष किसानों को फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों के बारे में अवगत करवा रही थी। इस अवसर पर पाठशाला में आकाशवाणी केंद्र रोहतक से कार्यक्रम अधिकारी नरेश गोगिया, वरिष्ठ उद्घोषक संपूर्ण सिंह, हिसार के जिला बागवानी अधिकारी डॉ. बलजीत भ्याण, डॉ. महाबीर शर्मा भी विशेष रूप से मौजूद रहे। पाठशाला के आरंभ में महिला किसानों ने कपास तथा सब्जियों की फसल में कीटों का निरक्षण किया और उसके बाद फसल में मौजूद कीटों के आंकड़े को चार्ट पर उतारा।
फसल में मौजूद कीटों का अवलोकन करती महिलाएं। |
उन्होंने बताया कि कीटों की सबसे खास बात यह होती है कि उन्हें आने वाले खतरे का पहले ही अहसास हो जाता है और वह खतरे को देखते हुए अपने जीवन काल को छोटा करके अपने बच्चे पैदा करने कर क्षमता को बढ़ा लेता है। इसलिए कीटनाशकों के माध्यम से कीटों पर नियंत्रित पाना संभव नहीं है। यदि हमें अपनी फसलों को कीटों से बचाना है तो हमें कीटनाशकों का प्रयोग करने की बजाए कीटों की पहचान करनी चाहिए। क्योंकि कीट की कीटों को नियंत्रित करने का एक अचूक अस्त्र हैं।
मरोडिये से प्रकोपित पौधे को दें पर्याप्त खुराक
मास्टर ट्रेनर किसानों ने बताया कि मरोडिय़ा (लीपकरल) विषाणु से फैलता है और विषाणु न तो जीवित होता है और न ही कभी मरता है। इस विषाणु को अनुकूल मौसम मिलने पर यह जीवित हो जाता है। इस विषाणु के प्रभाव को रोकने के लिए आज तक कोई दवाई नहीं बनी है। यदि हम मरोडिय़े से प्रकोपित पौधे को काट कर जला भी देते हैं तो भी उसकी जड़ों में यह वायरस बच जाता है। इससे पार पाने का केवल एक ही उपाय है कि हम मरोडिय़े से प्रकोपित फसल में जिंक, यूरिया व डीएपी के घाल का फोलियर स्प्रे करते रहें। इससे पौधे को पर्याप्त खुराक मिलती रहेगी और इससे उत्पादन में भी कोई कमी नहीं आएगी।
फसल में मौजूद प्रति पत्ता कीटों की संख्या
फसल का नाम सफेद मक्खी हरा तेला चूरड़ा माइट
बीटी कॉटन 5.4 0.9 0 2.4
नॉन बीटी कॉटन 4.3 0.4 0 1.2
भिंडी 2.4 3.1 0 6
बीटी कॉटन 5.4 0.9 0 2.4
नॉन बीटी कॉटन 4.3 0.4 0 1.2
भिंडी 2.4 3.1 0 6
करेला 0 0 0 2
आकाशवाणी केंद्र रोहतक के वरिष्ठ उद्घोषक संपूर्ण सिंह डॉ बलजीत भ्यान से बातचीत करते हुए |
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें