बुधवार, 9 सितंबर 2015

'देश के किसानों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगे म्हारे किसान'

डीडी किसान चैनल की टीम ने कीटाचार्य किसानों के अनुभव किए कैमरे में कैद

कृषि अधिकारियों व कीटाचार्य किसानों के बीच हुए सीधे सवाल-जवाब 

नरेंद्र कुंडू 
जींद। जिले में चल रही कीट ज्ञान की मुहिम से अब पूरे देश के किसान सीख लेंगे। डीडी किसान चैनल के माध्यम से कीटाचार्य किसान देश के दूसरे किसानों को बिना कीटनाशकों व रासायनिक उर्वरकों के खेती कैसे संभव है इसके बारे में बारिकी से जानकारी देंगे। डीडी किसान चैनल द्वारा प्रश्र मंच कार्यक्रम के तहत थाली को जहरमुक्त बनाने के विषय पर जींद जिले के कीटाचार्य पुरुष व महिला किसानों के दो घंटे का प्रोग्राम तैयार किया है। इस कार्यक्रम में किसानों के साथ-साथ कृषि अधिकारियों से भी कीट ज्ञान के बारे में उनकी राय ली गई है। कार्यक्रम के दौरान कीटनाशकों के बिना खेती संभव है या नहीं, सफेद मक्खी तथा अन्य कीटों की रोकथाम के क्या उपाय हैं। इन विषयों पर पूरा फोक्स रहा। कीटाचार्य किसानों ने बताया कि किस तरह वह पिछले सात-आठ वर्षों से बिना पेस्टीसाइड के अच्छा उत्पादन ले रहे हैं और इस बार भी उनकी फसल सफेद मक्खी से सुरक्षित है जबकि प्रदेश में सफेद मक्खी का प्रकोप बढ़ रहा है। कीटाचार्य पुरुष किसानों के कार्यक्रम का प्रसारण बृहस्पतिवार शाम को साढ़े सात बजे किया जाएगा। जबकि महिला किसानों के कार्यक्रम का अभी समय निर्धारित नहीं हो पाया है।
कीटाचार्य किसानों के सुझाव लेते टीम के सदस्य।

कार्यक्रम में यह-यह लोग रहे मौजूद 

जिला कृषि उपनिदेशक  डॉ. रामप्रताप सिहाग, हिसार से जिला बागवानी अधिकारी डॉ. बलजीत भ्याण, डॉ. सर्वजीत सिंह, डीडी किसान चैनल से टेक्रिकल डायरेक्टर डीआर जाटव, प्रोड्यूसर विकास डबास, एंकर मुकुल शर्मा, टेक्रिकल सहायक जोगेंद्र कुमार, रविंद्र कुमार, कृपाल सिंह, सर्वेश कुमार, कैमरामैन विभू प्रसाद साहू, अजय यादव, रूपचंद, बराह कला खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा, ढुल खाप प्रधान इंद्र सिंह ढुल, प्रगतिशील क्लब के प्रधान राजबीर कटारिया, महासचिव कर्मबीर यादव, रोहताश ढांडा, जाट धर्मशाला के पूर्व प्रधान रामचंद्र भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम में अपने सुझाव देते कृषि अधिकारी।

यह हुए सीधे सवाल-जवाब

1. सवाल : क्या कीटनाशकों के बिना खेती संभव है। 
कीटाचार्य किसान : कीट को नियंत्रित करने में कीट ही सबसे अचूक शस्त्र है। पौधे अपनी जरूरत के अनुसार ही कीट को भिन्न-भिन्न प्रकार की गंध छोड़कर बुलाते हैं। जब पौधे को शाकाहारी कीट की जरूरत नहीं होती जब पौधे उन्हें नियंत्रित करने के लिए मांसाहारी कीट को बुलाते हैं। इस प्रक्रिया में मांसाहारी कीट शाकाहारी कीटों को नियंत्रित कर लेते हैं। इसलिए कीटनाशकों के बिना खेती संभव है लेकिन कीटों के बिना खेती संभव नहीं है।
कृषि अधिकारी : कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से कीटों की संख्या बढ़ती है। इसलिए किसानों को बिना कृषि अधिकारी की सलाह के कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करना चाहिए
2. सवाल : कीटनाशकों से मिट्टी को क्या नुकसान होता है। 
कीटाचार्य किसान : कीटनाशकों के प्रयोग से मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म कीट मर जाते हैं तथा इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी नष्ट होती है।
कृषि अधिकारी : कीटनाशकों के प्रयोग से मिट्टी के सूक्ष्म जीव खत्म हो जाते हैं। क्योंकि किसान जानकारी के अभाव में सही तरीके से कीटनाशक का प्रयोग नहीं करते हैं।
3. सवाल: कपास में कौन-कौन से कीट नुकसान पहुंचाते हैं। 
कीटाचार्य किसान : प्रकृति ने सभी जीवों को जीने का अधिकार दिया है। कीट किसी को नुकसान या फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से फसल में नहीं आते हैं। कीट तो अपना जीवन चक्र चलाने के लिए आते हैं और पौधे अपनी जरूरत के अनुसार उन्हें बुलाते हैं। लेकिन किसान जागरूकता के अभाव में इन कीटों को मार रहे हैं। ईटीएल लेवल पार करने के बाद ही कीट नुकसान पहुंचाने के स्तर तक पहुंच पाते हैं लेकिन अगर कीटों के साथ छेडख़ानी नहीं की जाए तो कीट ईटीएल लेवल पार नहीं करते हैं।
कृषि अधिकारी : कीट वैज्ञानिकों ने कीट द्वारा फसल को नुकसान पहुंचाने का एक आर्थिक स्तर निर्धारित किया हुआ है। कीट वैज्ञानिकों की भाषा में इसे ईटीएल लेवल बोला जाता है। जब कीटों की संख्या इस ईटीएल लेवल से ऊपर चली जाती है तो कीट फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
4. सवाल : कौन-कौन से दो कीट रस चूसक हैं।
कीटाचार्य किसान : सफेद मक्खी, हरा तेला, चूरड़ा, माइट रस चूसक कीट हैं। इनमें से फिल्हाल सफेद मक्खी, हरा तेला तथा चूरड़ा मेजर रस चूसक कीटों की स्टेज पर हैं।
कृषि अधिकारी : पिछले दो-तीन वर्षों से रस चूसक कीटों में सफेद मक्खी का प्रकोप काफी ज्यादा बढ़ा है।
5. सवाल : सफेद मक्खी की रोकथाम के क्या उपाय हैं।
कीटाचार्य किसान : सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए कोई उपाय नहीं हैं। यदि किसान पौधों पर कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करे तो फसल में मौजूद मांसाहारी कीट अपने आप ही सफेद मक्खी को नियंत्रित कर लेते हैं। किसान को चाहिए कि वह पौधे को पर्याप्त खुराक दे।
कृषि अधिकारी : सफेद मक्खी के प्रकोप के कई कारण होते हैं। फसल की बिजाई सही समय व सही तरीके से हुई है या नहीं यह भी मुख्य कारण होता है। यह भी सही है कि कीटनाशकों के अधिक प्रयोग से भी सफेद मक्खी का स्तर बढ़ता है। इसलिए किसानों को बिना कृषि अधिकारियों की सलाह के कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
6. सवाल : क्या फसल मेंं स्प्रे के सही तरीके से छिड़काव की जानकारी देने के लिए कृषि अधिकारी खेत में पहुंचकर किसानों को जागरूक करते हैं। 
कीटाचार्य किसान : कीट ज्ञान की मुहिम से जुड़े किसानों को कीटों की रोकथाम के लिए स्प्रे के प्रयोग की जरूरत नहीं पड़ती। वैसे कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर कीटाचार्य किसानों का सहयोग किया जाता है।
कृषि अधिकारी : किसानों को जागरूक करने के लिए विभाग द्वारा समय-समय पर कैंपों का आयोजन किया जाता है। किसान जानकारी लेने के लिए सीधे कृषि विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर सकते हैं।
7. सवाल : बेलदार सब्जियों का अधिक उत्पादन कैसे लिया जा सकता है। 
कीटाचार्य किसान : बेलदार सब्जियों को जमीन पर फैलाने की बजाए बांस इत्यादी खेत में गाड़कर बेल को तार के माध्यम से ऊपर की तरफ बढ़ाया जाए तथा समय पर पर्याप्त पौषक तत्व दिए जाएं।
कृषि अधिकारी : किसानों की बात से सहमत हैं। बेल को ऊपर चढ़ाने से फल की गुणवत्ता भी सही रहती है और फल खराब भी नहीं होता। किसान को कम जगह में अधिक उत्पादन मिल जाता है।





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