सोमवार, 4 जुलाई 2016

महिला सशक्तिकरण की मिशाल पेश कर रही कीटाचार्य महिलाएं : एडीसी

रधाना  गांव में हुआ महिला पाठशाला का शुभारंभ

जींद। महिला सशक्तिकरण की जो मिशाल जींद जिले की महिलएं पेश कर रही हैं, ऐसी मिशाल प्रदेश के दूसरे जिलों में उन्हें कहीं पर भी देखने को नहीं मिली है। यह बात एडीसी आमना तसनीम ने शनिवार को रधाना गांव में महिला किसान खेत पाठशाला के शुभारंभ अवसर पर कीटाचार्य महिलाओं को संबोधित  करते हुए कही। इस अवसर पर उनके साथ कृषि विभाग के एसडीओ राजेंद्र गुुप्ता, बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा, दलीप सिंह चहल, प्रगतिशील किसान क्लब के प्रधान राजबीर कटारिया, डॉ. सुरेंद्र दलाल कीट साक्षरता मिशन के प्रधान रणबीर मलिक सहित काफी संख्या में महिल किसान  मौजूद रही। एडीसी ने रिबन काट कर पाठशाला का शुभारंभ किया। महिला किसानों ने पाठशाला में पहुंचने पर एडीसी मैडम का स्वागत किया।
रधाना गांव में रिबन काटकर पाठशाला का उद्घाटन करती एडीसी। 
एडीसी ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान, रेवाड़ी, झज्जर, सोनीपत सहित कई जिलों में काम किया है और इस दौरान वह वहां की महिलाओं से भी मिलती रही हैं। लेकिन जिस तरह जींद जिले के निडाना, निडानी, ललितखेड़ा तथा रधाना गांव की महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कृषि के कार्य में अपना योगदान कर रही हैं और फसल में मौजूद कीटों के बारे में इतनी बारिकी से जानकारी रखती है, इस तरह की मिशाल उन्हें दूसरे जिलों में देखने को नहीं मिली है। ललितखेड़ा की कीटाचार्य महिला किसानों ने तेरे कांधे टंकी जहर की मेरै कसुती रड़कै हो तथा रधाना की महिलाओं ने खेत मैं खड़ी ललकारूं देखे हो पिया जहर ना लाइये गीत से फसल में मौजूद कीटों को बचाने का आह्वान किया। कीटाचार्या सविता ने बताया कि यदि फसलों में इसी तरह से कीटनाशकों का प्रयोग होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हम अपनी आने वाली पुस्तों को विरासत में बीमारियां देकर जाएंगे। अंग्रेजों ने बताया कि कीटों को मारने के लिए कीटनाशकों की जरूरत नहीं है। फसल में मौजूद मांसाहारी कीट खुद ही कुदरती कीटनाशी का काम कर देते हैं। वह पिछले आठ वर्षों से बिना कीटनाशकों के ही खेती कर रहे हैं।
रधाना गांव  में महिला पाठशाला को संबोधित करती एडीसी।
उन्होंने बताया कि पौधों को कीटनाशकों की नहीं खुराक की जरूरत होती है। एडीसी ने महिलाओं को कीट ज्ञान पद्धति पर एक पुस्तक तैयार करने का आह्वान किया ताकि कीट ज्ञान को दूसरे जिलों के किसानों तक भी पहुंचाया जा सके।






रधाना गांव में पाठशाला में मौजूद महिलाएं।

 पाठशाला में अपने अनुभव बताती महिलाएं।

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