फसल में नुकसान पहुंचाने से कोसों दूर है शाकाहारी कीटों की संख्या
रधाना गांव में हुआ महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन
नरेंद्र कुंडू
जींद। रधाना गांव में शनिवार को अमर उजाला फाउंडेशन द्वारा डॉ. सुरेंद्र दलाल कीट साक्षरता मिशन द्वारा महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन किया गया। पाठशाला में महिला किसानों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। पाठशाला के आरंभ में कीटाचार्य महिला किसानों ने कपास की फसल में मौजूद कीटों का अवलोकन किया। इसके बाद शाकाहारी तथा मांसाहारी कीटों का गिनती कर चार्ट पर कीटों का आंकड़ा तैयार किया। आंकड़े में यह साफ नजर आया कि फसल में शाकाहारी कीटों की बजाए मांसाहारी कीटों की संख्या ज्यादा मिला।
फसल में कीटों की संख्या का अवलोकन करती महिला किसान। |
कीटाचार्या महिला किसान शीला, सविता, शकुंतला, सुदेश, सुषमा, नवीन, प्रमिला, यशवंती, असीम ने बताया कि पिछले तीन-चार वर्षों से कपास की फसल में सफेद मक्खी का काफी प्रकोप सामने आया था लेकिन इस बार कपास की फसल में शाकाहारी कीटों की संख्या काफी कम है। फसल में नुकसान पहुंचाने वाली सफेद मक्खी, हरा तेले व चूरड़े की संख्या नामात्र है। उन्होंने बताया कि सफेद मक्खी 0.5, हरा तेला 0.9, चूरड़ा 0.8 रही, जो कि फसल को नुकसान पहुंचाने के आर्थिक हानि कागार से काफी दूर है। वहीं नुकसान पहुंचाने वाले सूबेदार मेजर लाल बानिया, माइट, मिलीबग, चेपा, पत्ते खाने वाले शाकाहारी में स्लेटी भूंड, टिड्डा तथा फूल खाने वाले में तेलन, भूरी पुष्पक कीट भी मिले लेकिन इनकी संख्या भी नामात्र ही मिली। वहीं मांसाहारी में डाकू बुगड़ा, हथजोड़ा, दीदड़ बुगड़ा, क्राइसोपा, बिंदुआ चूरड़ा, लफड़ो मक्खी, सुनहेरी मक्खी, लोपा मक्खी, लाल माइट, मकड़ी लालड़ो बिटल, लफड़ो बिटल भी कपास की फसल में मिली। कीटाचार्या महिला किसानों ने बताया कि फसल में शाकाहारी कीटों की बजाए मांसाहारी कीटों की संख्या ज्यादा है। इससे यह साफ है कि मांसाहारी कीट शाकाहारी कीटों को रोकने में एक तरह से कुदरती कीटनाशी का काम करते हैं।
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