शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं

नरेंद्र कुंडू 
जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व हो। नया केवल एक दिन ही नहीं कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्यौहारों का देश है। ईस्वी-संवत् का नया साल एक जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत्) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आइये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर।
1- प्रकृति: एक जनवरी को कोई अंतर नहीं जैसा दिसंबर वैसी जनवरी। वहीं चैत्र मास में चारों तरफ फूल खिल  जाते हैं, पेड़ाें पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारों तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो।
2- मौसम, वस्त्र: दिसंबर व जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर लेकिन चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है।
3- विद्यालयों का नया सत्र: दिसंबर-जनवरी में वही कक्षा, कुछ नया नहीं। जबकि मार्च-अप्रैल में स्कूलाें का परिणाम आता है। नई कक्षा, नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल।
4- नया वित्तीय वर्ष: दिसंबर- जनवरी में कोई खातों की क्लोजिंग नहीं होती। जबकि 31 मार्च को बैंकों की क्लोजिंग होती है। नए बही खाते खोले जाते हैं। सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है।
5- कलैंडर: जनवरी में नया कलैंडर आता है। चैत्र में नया पंचांग आता है। उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं। इसके बिना हिंदू समाज जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता।
6- किसानों का नया साल: दिसंबर-जनवरी में खेतों में वही फसल होती है। जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है। नया अनाज घर में आता है तो किसानों का नया वर्ष और उत्साह होता है।
7- पर्व मनाने की विधि: 31 दिसंबर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर शराब पीते हैं, हंगामा करते हैं, रात को पी कर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश। जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है। पहला नवरात्र होता है घर-घर में माता रानी की पूजा होती है। शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है।
8- ऐतिहासिक महत्व: एक जनवरी का कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं है। जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारम्भ, ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का सम्बंध इस दिन से है। एक जनवरी को अंग्रेजी कैलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगों के अलावा कुछ नहीं बदला। अपना नव संवत् ही नया साल है। जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य-चांद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तियां, किसान की नई फसल, विद्यार्थियों की नई कक्षा, मनुष्य में नया रत्तफ़ संचरण आदि परिवर्तन होते हैं। जो विज्ञान आधारित हैं। इसलिए अपनी मानसिकता को बदलें। विज्ञान   आधारित भारतीय काल गणना को पहचानें। स्वयं सोचें की क्यों मनाये हम एक जनवरी को नया वर्ष?

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