प्रदेश के किसानों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगे म्हारे किसान

बागवानी विभाग व आईसीएआर द्वारा कीटाचार्य किसानों को मास्टर ट्रेनर के तौर पर किया जाएगा नियुक्तथाली को जहरमुक्त बनाने के लिए बागवानी विभाग द्वारा प्रदेश में शुरू की जा रही है गुड एग्रीकल्चर प्रेक्टिसेस स्कीम

नरेंद्र कुंडू 
जींद| थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए जींद जिले में चल रहे डॉ. सुरेंद्र दलाल कीट साक्षरता मिशन के कीटाचार्य किसान अब प्रदेश के अन्य जिलों के किसानों को भी कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) व बागवानी विभाग ने इन कीटाचार्य किसानों के अनुभव को देखते हुए इन्हें प्रदेश के दूसरे जिलों में चलने वाली किसान खेत पाठशालाओं में मास्टर ट्रेनर के तौर पर नियुक्त करने का प्रस्ताव तैयार किया है। थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए बागवानी विभाग जल्द ही प्रदेश में गुड एग्रीकल्चर प्रेक्टिसेस स्कीम (गेएप) शुरू करने जा रहा है। इस स्कीम के तहत प्रदेश के सभी जिलों में मंडल स्तर पर किसान खेत पाठशालाएं चलाई जाएंगी और इन पाठशालाओं में किसानों को कीटों की पहचान करने के साथ-साथ बिना रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों का प्रयोग किए अच्छी पैदावार लेने के गुर सिखाए जाएंगे ताकि फसलों में उर्वरकों व कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग को रोका जा सके। इस स्कीम में कीटाचार्य किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बागवानी विभाग के अधिकारियों की एक टीम वीरवार को निडाना गांव पहुंची और यहां कीटाचार्य किसानों के साथ बैठक कर आगामी कार्रवाई के लिए रणनीति तैयार की। इस टीम में सेवानिवृत्त जिला बागवानी अधिकारी डॉ. बलजीत भ्याण, सेवानिवृत्त जिला बागवानी अधिकारी डॉ. इंद्रजीत मलिक, बैंक ऑफ बड़ौदा से सेवानिवृत्त सीनियर मैनेजर डॉ. खजान सिंह नैन मौजूद रहे। बागवानी विभाग से सेवानिवृत्त यह अधिकारी विभाग द्वारा शुरू की जाने वाली गुड एग्रीकल्चर प्रेक्टिसेस स्कीम को कोर्डिनेट करेंगे। 

2008 में जींद जिले के निडाना गांव में शुरू हुई थी कीट ज्ञान की मुहिम

फसलों में रासायनिक व कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से खाने की थाली में बढ़ रहे जहर के स्तर को देखते हुए कृषि विभाग के कृषि विकास अधिकारी (एडीओ) डॉ. सुरेंद्र दलाल ने 2008 में जींद जिले के निडाना गांव में पुरूष किसान खेत पाठशाला की शुरूआत की थी। इन किसान खेत पाठशालाओं में डॉ. दलाल व किसानों द्वारा फसल में मौजूद मांसाहारी व शाकाहारी कीटों पर लंबे समय तक शोध किया गया। इन कीटाचार्य किसानों द्वारा 206 किस्म के कीटों की पहचान की जा चुकी है। इनमें 43 किस्म के शाकाहारी तथा 163 किस्म के मांसाहारी कीट हैं। शोध में यह सामने आया कि फसल में मौजूद कीटों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों की जरूरत नहीं है, जरूरत है तो सिर्फ इन कीटों को पहचानने की। क्योंकि फसल में मौजूद मांसाहारी कीट स्वयं ही शाकाहारी कीटों को नियंत्रित कर लेते हैं। शोध में यह भी निष्कर्ष निकला कि उत्पादन बढ़ाने में कीटों की अहम भूमिका होती है और पौधे अपनी जरूरत के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की गंध छोड़कर कीटों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। डॉ. सुरेंद्र दलाल कीट साक्षरता मिशन की एक खास बात यह भी है कि कीटों पर शोध करने में पुरुष किसानों के साथ-साथ महिला किसान भी अहम भूमिका निभा रही हैं।  

 बागवानी विभाग गुड एग्रीकल्चर प्रेक्टिसेस स्कीम करने जा रहा है  शुरू

फसलों में कीटनाशकों के अधिक प्रयोग को रोकने तथा प्रदेश के लोगों को शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) व बागवानी विभाग गुड एग्रीकल्चर प्रेक्टिसेस स्कीम शुरू करने जा रहा है। इस स्कीम के तहत प्रदेश के सभी जिलों में मंडल स्तर पर किसान खेत पाठशालाएं शुरू की जाएंगी। इन पाठशालाओं में किसानों को कीटों की पहचान करने तथा बिना रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों का प्रयोग किए अच्छी पैदावार लेने के टिप्स दिए जाएंगे। प्रदेश के अन्य जिले के किसानों को कीटों की पहचान करवाने के लिए निडाना जिले में चल रहे डॉ. सुरेंद्र दलाल कीट साक्षरता मिशन के कीटाचार्य किसानों को मास्टर ट्रेनर के तौर पर नियुक्त किया जाएगा। 
डॉ. बलजीत भ्याण
सेवानिवृत्त जिला बागवानी अधिकारी एवं कोर्डिनेटर गेएप

कीटाचर्या किसानों को किया जाएगा मास्टर ट्रेनर नियुक्त  

प्रदेश के किसानों को जहरमुक्त खेती के प्रति जागरूक करने के लिए बागवानी विभाग द्वारा गुड एग्रीकल्चर प्रेक्टिसेस स्कीम शुरू की जा रही है। इस स्कीम के तहत ऐसे किसानों को मास्टर ट्रेनर नियुक्त किया जाएगा जो खेती के क्षेत्र में अलग हटकर कार्य कर रहे हैं। विभाग के उच्च अधिकारियों के पास निडाना गांव के किसानों द्वारा कीटों पर किए गए शोध का प्रस्ताव भी भेजा गया था। इन किसानों को प्रदेश के अन्य जिलों में चलने वाली किसान खेत पाठशालाओं में बतौर मास्टर ट्रेनर नियुक्त करने के लिए विभाग से हरी झंडी मिल गई है। जल्द ही प्रस्ताव को अंतिम रूप देकर इस पर अमल किया जाएगा। 
डॉ. इंद्रजीत मलिक
सेवानिवृत्त जिला बागवानी अधिकारी एवं कोर्डिनेटर गेएप



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