जिला उद्यान विभाग का कारनामा

आरटीआई कार्यकर्ता को दी गई सूचना में जारी कर दिए गलत आंकड़े
--उद्यान विभाग के सूचना अधिकारी ने दो बार जारी की गई सूचना में दिखए अलग-अलग आंकड़े
--जिला उद्यान विभाग को सरकार से प्राप्त बजट में दो लाख व लैप्स हुई राशि में साढ़े 11 लाख रुपए का अंतर

जींद, 21 नवंबर (नरेंद्र कुंडू):- जिला उद्यान विभाग कार्यालय का अनोखा कारनामा सामने आया है। जिला उद्यान विभाग के सूचना अधिकारी द्वारा आनन-फानन में एक आरटीआई कार्यकर्ता को भ्रामक व अधूरी सूचना जारी कर दी गई। उद्यान विभाग के सूचना अधिकारी ने आरटीआई कार्यकर्ता को एक ही सवाल की दो अलग-अलग जानकारी दी हैं। पहले दी गई जानकारी में उद्यान विभाग को वित्त वर्ष 2016-17 में सरकार से प्राप्त बजट में कुल 9,30,48,395 रुपये की राशि दिखाई गई है जबकि दोबारा दी गई जानकारी में 9,28,48,394 रुपए का बजट मिलना दर्शाया गया है। इस प्रकार पहले दिए गए आंकड़ों व दोबारा दिए गए आंकड़ों में दो लाख रुपए का अंतर है। इसी प्रकार वित्त वर्ष 2016-17 में विभाग की लैप्स हुई राशि के सवाल के जवाब में पहले दी गई जानकारी में कुल 2,69,64,258 रुपए का बजट विभाग के कार्यालय से लैप्स हुआ बताया गया है जबकि अक्तूबर में दोबारा दी गई सूचना में बताया कि 2,81,20,457 रुपए का बजट लैप्स हुआ है। इस प्रकार इन दोनों सूचनाओं में भी लगभग 11 लाख 56 हजार 199 रुपए का अंतर है।

विभाग के जन सूचना अधिकारी ने जारी कर दी अलग-अलग जानकारी 

झांझ कलां निवासी आरटीआई कार्यकर्ता वीरेंद्र जांगड़ा ने जींद जिले के उद्यान विभाग कार्यालय के जन सूचना अधिकारी से 12 मार्च 2018 को पांच बिन्दुओं पर प्रमाणित सूचनाएं मांगी थी। इनमें मुख्य रूप से वित्त वर्ष 2016-17 के लिए किस-किस मद में हरियाणा सरकार से बजट प्राप्त हुआ और किस-किस मद में खर्च किया गया पूछा था। जिला उद्यान विभाग के सूचना अधिकारी ने मई में पत्र भेज कर सूचना देते हुए बताया कि विभाग के जींद कार्यालय को वित्त वर्ष 2016-17 में कुल 9,30,48,395 रुपये का बजट प्राप्त हुआ जबकि दूसरा पत्र अक्तूबर में भेजते हुए बताया है कि 9,28,48,394 रुपए का बजट प्राप्त हुआ है और इसमें से लगभग 6,47,27,937 रुपए 6 अलग-अलग स्कीमों में खर्च किए गए हैं, यह बताया गया है। इस पर आरटीआई कार्यकर्ता ने विभाग के अधिकारी के जवाब पर प्रश्र चिह्न लगाते हुए कहा कि जब उद्यान विभाग के अधिकारी को इतना भी नहीं पता है कि उन्हें सरकार से बजट कितना प्राप्त हुआ है तो वो अधिकारी कैसे किसानों को सब्सिडी दे पाएगा। वीरेंद्र जांगड़ा ने बताया कि उद्यान विभाग के अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी में दोनों राशि में लगभग दो लाख एक रुपए का अंतर है और अब यहां सवाल यह उठता है कि जिला उद्यान विभाग द्वारा दी गई किस सूचना को सही माना जाए। वहीं उद्यान विभाग के सूचना अधिकारी द्वारा बजट के लैप्स होने को लेकर जो दो अलग-अलग आंकड़े दिए गए हैं उस राशि में भी बहुत ज्यादा अंतर है। सूचना अधिकारी द्वारा मई में भेजे गए पत्र के माध्यम से दी गई सूचना में बताया गया कि कुल 2,69,64,258 रुपए का बजट विभाग के कार्यालय से लैप्स हुआ जबकि दूसरा पत्र अक्तूबर में भेजते हुए बताया कि 2,81,20,457 रुपए का बजट लैप्स हुआ है। इस पर भी आरटीआई कार्यकर्ता ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि इन दोनों सूचनाओं में भी लगभग 11 लाख 56 हजार 199 रुपए का अंतर है। सभी सूचनाएं द्वंदात्मक हैं तथा न ही स्पष्ट हैं। 

सब्सिडी जारी करने को लेकर मांगी गई जानकारी की नहीं दी सूचना

आरटीआई कार्यकर्ता वीरेंद्र जांगड़ा ने कहा कि उसने विभाग से यह भी जानकारी मांगी थी कि विभाग ने वित्त वर्ष 2016-17 में कितने किसानों को सब्सिडी दी है। जन सूचना अधिकारी ने सूचना में बताया कि विभिन्न स्कीमों के तहत जिला उद्यान विभाग ने जींद जिले के केवल 61 किसानों को ही विभिन्न उपकरणों की खरीद पर सब्सिडी दी है। इसके साथ ही आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा यह भी सूचना मांगी गई थी कि एक वर्ष में एक किसान को कितनी बार सब्सिडी दी जा सकती है। सूचना अधिकारी ने इसकी जानकारी देने से मना करते हुए यह जवाब दे दिया कि इस तरह के नियमों की जानकारी विभाग की वेबसाइट से ली जा सकती है।

विभाग के प्रथम अपील अधिकारी को भी करके चुके हैं शिकायत 

आरटीआई कार्यकर्ता वीरेंद्र जांगड़ा ने बताया कि 1 अगस्त 2018 को विभाग के प्रथम अपील अधिकारी को भी प्रथम अपील भेजते हुए अनुरोध किया था कि उसे प्रमाणित व स्पष्ट सूचनाएं दिलवाई जाएं लेकिन प्रथम अपील अधिकारी ने आज तक भी सूचनाओं के लिए दायर कि गई प्रथम अपील कि सुनवाई नहीं कि है। जबकि प्रथम अधिकारी को इस अपील पर नियम के हिसाब से 45 दिन में ही फैसला करना था। आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि अब वे राज्य सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील करते हुए माननीय आयोग से सही, स्पष्ट व प्रमाणित सूचनाएं दिलवाने का अनुरोध करेंगे।

गलती से जारी हो गई थी पहली सूचना, दूसरी सूचना में दिए गए आंकड़े हैं सही

पहले दी गई सूचना में लिपिकीय गलती के कारण आरटीआई कार्यकर्ता को गलत आंकड़े जारी हो गए थे। बाद में प्रथम अपील के दौरान विभाग के महानिदेशक द्वारा पूरे रिकार्ड की जांच कर इन आंकड़ों को ठीक करवा कर दोबारा से सही जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता को देने के लिए आदेश जारी किए गए थे। प्रथम अपील की सुनवाई के दौरान आरटीआई कार्यकर्ता मौके पर नहीं पहुंच पाया था। प्रथम अपील की सुनवाई पर मैं खुद चंडीगढ़ गया था। विभाग के महानिदेशक द्वारा मुझे सही आंकड़े जुटा कर देने के लिए आदेश दिए गए थे। इसके बाद दोबार से पूरे रिकार्ड की जांच कर सही आंकड़े एकत्रित कर आरटीआई कार्यकर्ता को सही जानकारी दे दी गई थी। पहले दी गई सूचना जल्दबाजी में गलती से जारी हो गई थी। दोबारा जो सूचना दी गई है उसमें दिए गए आंकड़े सही हैं।
बीरेंद्र हुड्डा, जिला उद्यान अधिकारी
जींद
 
जिला उद्यान विभाग द्वारा दी गई सूचना की कॉपी को दिखाता आरटीआई कार्यकर्ता वीरेंद्र जांगड़ा। 

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