अपने पिता बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए राजनीति में इंट्री कर सकता है आईएएस बेटा बृजेंद्र सिंह
--भाजपा विधायक प्रेमलता ने दिए बेटे बृजेंद्र सिंह के चुनाव लडऩे के संकेत
--चौटाला व भजनलाल परिवार को टक्कर देने के लिए बृजेंद्र सिंह को युवा चेहरे के तौर पर मैदान में उतार सकते हैं केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह
जींद, 22 नवंबर (नरेंद्र कुंडू) :- अपने पिता एवं चौधरी छोटूराम के नाती केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए आईएएस बेटा बृजेंद्र सिंह आईएएस की कुर्सी को छोडक़र राजनीति के मैदान में उतर सकता है। केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी एवं उचाना से भाजपा विधायक प्रेमलता ने अपने बेटे बृजेंद्र सिंह के 2019 में चुनाव लडऩे के संकेत दिए हैं। बृजेंद्र सिंह को 2019 में लोकसभा या विधानसभा की टिकट पर चुनाव लड़वाया जा सकता है। किस लोकसभा या विधानसभा से बृजेंद्र सिंह को चुनाव लड़वाया जाएगा इसको लेकर अभी तक विधायक प्रेमलता ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। शहर के पीडब्ल्यूडी रैस्ट हाऊस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान विधायक प्रेमलता ने कहा कि जिस भी लोकसभा या विधानसभा से बृजेंद्र सिंह चुनाव लडऩे की इच्छा जाहिर करेगा उसी सीट से उसे चुनाव लड़वा दिया जाएगा, उसके लिए पूरा मैदान खाली पड़ा है। वहीं प्रेमलता ने यह भी कहा कि केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह 2019 का चुनाव नहीं लड़ेंगे। क्योंकि चौधरी बीरेंद्र सिंह का केंद्रीय मंत्री का कार्यकाल 2022 तक का है। आईएएस अधिकारी बृजेंद्र सिंह के राजनीति में आने को लेकर यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि उचाना क्षेत्र में चौटाला परिवार व भजनलाल परिवार को टक्कर देने के लिए केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह अपने आईएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को युवा चेहरे के तौर पर मैदान में उतार सकते हैं। फिलहाल बृजेंद्र सिंह हैफेड में मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं।
पत्रकारों से बातचीत करती विधायक प्रेमलता। |
2014 में हुड्डा व शैलजा ने डाला अड़ंगा
उचाना की विधायक प्रेमलता ने कहा कि वह अपने बेटे बृजेंद्र सिंह को 2014 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़वाने की तैयारी में थे लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा ने उनके बेटे को टिकट नहीं देने के लिए कांग्रेस पार्टी पर दबाव बनाकर उनको टिकट नहीं मिलने दी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा व कुमारी शैलजा ने 2014 में उनके बेटे के राजनीति में आने को लेकर उनकी राह में अड़ंगा डाला।
बृजेंद्र सिंह को लोगों में पहचान बनाने के लिए फील्ड में करनी पड़ेगी मेहनत
आईएएस अधिकारी बृजेंद्र सिंह यदि अपने पिता चौधरी बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए राजनीति में आते हैं तो राजनीति के क्षेत्र में उनकी राह इतनी आसान नहीं होगी। लोगों में अपनी पहचान बनाने के लिए बृजेंद्र सिंह को फील्ड में उतर कर काफी मेहनत करनी पड़ेगी। क्योंकि सरकारी नौकरी में होने के चलते अभी तक बृजेंद्र सिंह राजनीति में सक्रीय नहीं थे। इसके चलते लोगों से भी उनकी नजदीकियां ज्यादा नहीं रही।
उचाना में चौधरी बीरेंद्र सिंह के साथ चौटाला परिवार का रहा है 36 का आंकड़ा
चौधरी बीरेंद्र सिंह के गृह क्षेत्र उचाना में चौटाला परिवार के साथ चौधरी बीरेंद्र सिंह का 36 का आंकड़ा रहा है। 2009 में विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने चौधरी बीरेंद्र सिंह के टक्कर में चुनाव लडक़र चौधरी बीरेंद्र सिंह को लगभग 635 मतों से पराजित किया था। इसके बाद ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र दुष्यंत चौटाला ने 2014 में हिसार लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लडक़र जीत हासिल की और उचाना क्षेत्र में अपनी अच्छी-खासी पहचान बनाने का काम किया। लेकिन 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता ने भाजपा की सीट पर चुनाव लड़ते हुए युवा सांसद दुष्यंत चौटाला को 7800 वोटों से पराजित किया। इसके बाद से ही सांसद दुष्यंत चौटाला उचाना क्षेत्र में अपनी पकड़ को मजबूत करने में लगे हुए हैं। वहीं भजनलाल परिवार भी उचाना क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने के लिए प्रयासरत है। क्योंकि उचाना विधानसभा क्षेत्र हिसार लोकसभा क्षेत्र में आता है और हिसार लोकसभा क्षेत्र भजनलाल परिवार की राजनीतिक का गढ़ माना जाता रहा है।
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