सत्ता के सेमीफाइनल में भाजपा की पीच पर डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने मारा अर्द्धसतक
भाजपा के कृष्ण मिढ़ा ने जजपा के दिग्विजय चौटाला को हराया
जमानत भी नहीं बचा पाए लोसुपा के प्रत्याशी विनोद आशरी व इनेलो के प्रत्याशी उमेद सिंह रेढू
भाजपा को शहरों के अलावा गांवों से भी मिले वोट, जींद की जनता नेे बाहरी प्रत्याशियों को नकारा
सांसद राजकुमार सैनी नहीं बन सके पिछड़ों का चेहरा
जींद, 31 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):- जींद में पहली बार कमल खिला। भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा ने 50 हजार 566 वोट लेकर निकटतम प्रतिद्वंद्वी जनननायक जनता पार्टी के दिग्विजय सिंह चौटाला को 12 हजार 935 वोटों से हराया। जेजेपी उम्मीदवार को 37 हजार 631 वोटों के साथ दूसरे और कांग्रेस के हैवीवेट उम्मीदवार रणदीप सिंह सुरजेवाला को 22 हजार 740 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा। भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी की पार्टी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के उम्मीदवार विनोद आशरी ने 13 हजार 582 वोट लेकर इनेलो के उमेद सिंह रेढ़ू को पांचवें स्थान पर धकेल दिया। उपचुनाव में कुल 21 उम्मीदवार थे जिनमें से पांच प्रत्याशी मतों का सैंकड़ा भी पार नहीं कर सके। 345 वोट लेकर नोटा (पसंद नहीं) 15 उम्मीदवारों से आगे रहा। पांच मुख्य सियासी दलों के अलावा केवल एसएनपी के उम्मीदवार राधेश्याम ही ऐसे प्रत्याशी हैं जो नोटा से ज्यादा वोट ले सके। हालांकि नोटा पर उनकी बढ़त भी केवल 15 मतों पर सिमट गई। हरियाणा की सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे जींद विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा ने भारी मतों से जीत हासिल की है। इस उपचुनाव में भाजपा को शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्र में भी काफी संख्या में वोट हासिल किए।
जींद में तमाम राजनीतिक दलों के योद्धा अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे थे, लेकिन यहां के मतदाताओं ने भाजपा के मिढ़ा के पक्ष में अपना फरमान सुनाया। इनेलो के टिकट पर दो बार विधायक रह चुके डॉ. हरिचंद मिढ़ा के देहावसान के चलते जींद में उपचुनाव हुआ था। प्रदेश की राजनीतिक राजधानी माने जाने वाले जींद उपचुनाव के नतीजे सभी दलों के लिए आइना हैं। इन नतीजों से सबक लेकर राजनीतिक दलों को न केवल अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है, बल्कि लोकसभा चुनाव के लिए नई पैंतरेबाजी अपनानी पड़ सकती है। जींद को जाटलैंड माना जाता है। इसके बावजूद 1972 के बाद से यहां कभी जाट उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका। यह भी हकीकत है कि इनेलो व कांग्रेस के गढ़ रह चुके जींद में भाजपा भी कभी कमल का फूल नहीं खिला सकी, लेकिन इस बार फूल खिल गया। जींद में इस बार 76 फीसदी मतदान हुआ। शहर के साथ-साथ ग्रामीण मतदाताओं खासकर महिलाओं ने भी इस बार मतदान में खासी रुचि दिखाई। जींद उपचुनाव के नतीजों न केवल मुख्यमंत्री मनोहर लाल की प्रतिष्ठा से जुड़े थे, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की राजनीतिक विरासत का फैसला भी किया। कांग्रेस को इस बार सत्ता में वापसी की आस थी, इसलिए पार्टी ने अपने कद्दावर नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला पर दांव खेला। लेकिन,जींद की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया। सुरजेवाला तीसरे स्थान पर रहे।
शाह ने दी जीत पर बधाई
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा कि हरियाणा के जींद विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की भव्य जीत मोदी की केंद्र सरकार और प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर सरकार के विकास व लोक-कल्याणकारी कार्यों में जनता के विश्वास की जीत है। हरियाणा की जनता ने भ्रष्टाचार और जातिवाद को नकार कर पुन: भाजपा के विकासवाद पर अपनी मोहर लगाई है।
इनेलो ने कहा पैसे वालों के मुकाबले रहे कमजोर
इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने जींद उपचुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि उनका उम्मीदवार पैसे वालों के मुकाबले कमजोर रहा है। वह किसान का बेटा है और सरकार ने साम-दाम-दंड-भेद लगाया। हम पार्टी की हार को स्वीकार करते हैं और जीतने वाले भाजपा के उम्मीदवार डॉ. कृष्ण मिढ़ा को बधाई देते हैं। उन्होंने मशीनों पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया।
शर्मा ने कहा, मैंने हुड्डा को पहले ही कहा था उनका कांटा निकल गया
जींद उपचुनाव पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा का कहना है कि उन्होंने इस उपचुनाव के परिणाम नामांकन के समय ही बता दिए थे। उन्होंने याद दिलाया कि नामांकन के बाद जब उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से यह कहा था कि उनका कांटा निकल गया तब ही यह स्पष्ट हो गया था कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की मूंछ के बाल के रूप में काम कर रहे रणदीप सुरजेवाला तीसरे स्थान पर आएंगे। उन्होंने कहा कि अभय सिंह चौटाला ने जिस तरह दबाव बनाकर पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और उनकी पत्नी स्नेहलता का बयान जारी करवाया उसी का परिणाम है कि उनके उम्मीदवार को इतने कम वोट मिल रहे हैं।
यूं हुआ था चुनाव
सोमवार को हुए चुनाव के दौरान जींद में कुल 174 बूथों पर मतदान हुआ। जींद की 1,72,774 मतदाताओं में से 1,30,913 मतदाताओं ने अपना वोट डाला। इस बार ग्रामीणों ने शहर के लोगों को पीछे छोड़ते हुए कुल 87 प्रतिशत मतदान किया, वहीं शहरों में 72 प्रतिशत मतदान हुआ। वोटिंग के दौरान बूथ नंबर 146 पर ईवीएम मशीन भी खराब हुई थी। दो जगह पर कार्यकर्ताओं में आपसी झड़प हुई थी। एक झड़प में कांग्रेस और लोसपा के कार्यकर्ता बताए गए थे।
आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिलेगा फायदा
इस चुनाव में भाजपा एक मात्र ऐसी पार्टी थी, जिसने अपनी पूरी संगठनात्मक ताकत के साथ चुनाव लड़ा है। छोटे कार्यकर्ता से लेकर मंत्री और मुख्यमंत्री तक चुनाव में प्रचार के लिए उतरे। इस जीत का असर 2019 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। जीत से उत्साहित पार्टी लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव कराने की ओर भी कदम बढ़ा सकती है। वहीं मोमेंटम को बरकरार रखने के लिए अपने गैर परंपरागत वोटर को साधने की कोशिश करेगी। इस कड़ी में सरकार घोषणाओं का पिटारा भी खोल सकती है।
कांग्रेस के लिए अंदरुनी गुटबाजी फिर बड़ी चुनौती
इस चुनाव में रणदीप सुरजेवाला जैसे उम्मीदवार को उतारने के बाद भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। राजनीतिक के जानकार इसे कहीं न कहीं एक बार फिर अंदरुनी गुटबाजी से जोड़कर देख रहे हैं। पूरे चुनाव में कांग्रेस नेता दिखाने के लिए जरूर सुरजेवाला के साथ रहे, लेकिन चुनाव अकेले सुरजेवाला ने ही लड़ा। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में यदि कांग्रेस को जीत हासिल करनी है तो इस अंदरूनी गुटबाजी को खत्म करना पड़ेगा। तभी वह हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा सीटों पर कब्जा जमा सकती है। हाईकमान और हरियाणा प्रभारी के लिए यह बड़ी चुनौती होगा।
जजपा के गठन ने इनेलो को कर दिया कमजोर
जींद उपचुनाव में भले ही जननायक जनता पार्टी की हार हुई हो लेकिन गठन के चंद महीने बाद चुनाव लडऩा और 37631 वोट हासिल करना उनके लिए सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट है। जजपा के गठन ने इनेलो को कमजोर कर दिया है। जाटलैंड में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी जजपा कहीं न कहीं इनेलो का विकल्प बनकर उभरी है। जजपा इस हार को भी अपनी जीत की तरह लेगी और आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में ज्यादा दमखम के साथ उतरेगी।
इनेलो के लिए जजपा बड़ी चुनौती
2014 में जींद का विधायक देने वाली इनेलो उपचुनाव में पांचवें नंबर पर पहुंच गई। इनेलो के वोट बैंक में सबसे ज्यादा सेंधमारी जजपा ने की। भविष्य में इनेलो के लिए सबसे बड़ी चुनौती जजपा है। इस साल में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में यह देखना मुख्य रहेगा कि इनेलो अपने परंपरागत वोट बैंक को रोके रखने के लिए जजपा के खिलाफ क्या रणनीति बनाती है। यदि इनेलो इस सेंधमारी को नहीं रोक सकी तो यह आगामी चुनाव में उसके लिए बेहद नुकसानदायक होगा। चुनाव से पहले ओमप्रकाश चौटाला और उनकी पत्नी स्नेहलता के वायरल वीडियो ने संकेत दे दिए हैं कि भविष्य में पारिवारिक कलह और बढ़ सकता है।
मात्र 932 वोटों से बची कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सिंह सुरजेवाला की जमानत
उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सिंह सुरजेवाला मात्र 932 वोटों से ही अपनी जमानत बचा पाए। 28 जनवरी को हुए उपचुनाव में कुल 130828 वोट पड़े थे। इनमें से 51 बेलट पेपर वोट भी पड़े। इस प्रकार कुल मतों की संख्या 130859 हो गई। जमानत बचाने के लिए उम्मीदवार को कुल मतों का छठा हिस्सा लेना पड़ता है। इसलिए रणदीप सिंह सुरजेवाला को जमानत बचाने के लिए 21810 मतों की जरुरत है। उन्हें कुल 22742 वोट मिले। इस प्रकार रणदीप सिंह सुरजेवाला 932 वोटों से अपनी जमानत बचाने में कामयाब रहे।
जींद की जनता ने जीता दिल
यह मेरा पहला चुनाव था और इस चुनाव में जींद की जनता ने हमें काफी सहयोग किया है। हम चुनाव भले ही हार गए हों लेकिन जींद की जनता से मिले जनसमर्थन ने हमारा दिल जीत लिया है। हम जींद की जनता के इस फैसले को स्वीकार करते हैं। ईवीएम में काफी खामियां थी। कई ईवीएम के सीरियल नंबर नहीं मिल रहे थे। इसके कारण अंदर मौजूद सभी राजनीतिक दलो ने इसको लेकर अपना विरोध दर्ज करवाया है। हम विजयी प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा व भाजपा सरकार को शुभकामनाएं देते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि डॉ. मिढ़ा सरकार के साथ मिलकर जींद की जनता की समस्याओं का समाधान करवाएं व जींद के विकास के लिए कार्य करें।
दिग्विजय चौटाला, प्रत्याशी जननायक जनता दल
विकास के मुद्दे पर जात-पात की राजनीति पड़ी भारी
जींद उपचुनाव में विकास उनका मुद्दा था लेकिन विकास के मुद्दे पर खट्टर सरकार की जात-पात की राजनीति भारी पड़ गई है। वह भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा को उनकी जीत पर बधाई देते हैं और वह उम्मीद करते हैं कि डॉ. मिढ़ा जींद के विकास की तरफ ध्यान देंगे। एक दर्जन से भी ज्यादा ईवीएम में काफी खामिया थी। हमनें सभी प्वाइंट लिखकर अधिकारियों को दे दिए हैं। भविष्य में पार्टी उन्हें जहां से चुनाव लडऩे के लिए बोलेगी वह वहीं से चुनाव लड़ेंगे।
रणदीप सिंह सुरजेवाला, कांग्रेस प्रत्याशी एवं कैथल विधायक
हरियाणा के गठन के बाद यह-यह रहे विधायक
हरियाणा में पहला चुनाव 1967 में हुआ। इसमें कांग्रेस के दयाकृष्ण ने 26089 मत लेकर आजाद उम्मीदवार इंद्र सिंह को हरा दिया। इंद्र सिंह को 15548 मत मिले। 1968 में हुए चुनाव में कांग्रेस के दयाकृष्ण ने फिर से आजाद उम्मीदवार शंकर दास को हरा दिया। इस चुनाव में दयाकृष्ण ने 17733 और शंकर दास ने 16136 मत प्राप्त किए। 1972 के चुनाव में कांग्रेस (एस) के उम्मीदवार चौधरी दलसिंह ने 28281 मत प्राप्त कर कांग्रेस के दयाकृष्ण को हरा दिया। दयाकृष्ण को इस चुनाव में 21999 मत मिले। 1977 के चुनाव में चौधरी देवीलाल की लहर के बावजूद आजाद उम्मीदवार मांगेराम गुप्ता 15751 वोट लेकर विधायक बने। उन्होंने जनता पार्टी के उम्मीदवार प्रताप सिंह को हरा दिया। प्रताप सिंह को इस चुनाव में 9646 वोट मिले। 1982 के चुनाव में फिर से समीकरण बदले और लोकदल की टिकट पर बृजमोहन सिंगला ने कांग्रेस के मांगेराम गुप्ता को हरा दिया। इस चुनाव में बृजमोहन सिंगल को 27045 व मांगेराम गप्ता को 26899 वोट मिले। 1987 में हुए चुनाव में परमानंद ने लोकदल की टिकट पर चुनाव लड़कर कांगे्रस के उम्मीदवार मांगेराम गुप्ता को हरा दिया। परमानंद को 39323 व मांगेराम गुप्ता को 31221 वोट मिले। 1991 में कांग्रेस के मांगेराम गुप्ता ने 35346 वोट लेकर जनता पार्टी के उम्मीदवार टेकराम को हरा दिया। टेकराम को 19213 वोट मिले। 1996 में हविपा की टिकट पर फिर से बृजमोहन सिंगला विधायक बने और उन्होंने कांग्रेस के मांगेराम गुप्ता को हरा दिया। बृजमोहन सिंगला को 40803 व मांगेराम गुप्ता को 22245 वोट मिले। 2000 के चुनाव में मांगेराम गुप्ता ने इनेलो के गुलशन लाल को हरा दिया। मांगेराम गुप्ता को 41621 व गुलशन लाल को 36978 वोट मिले थे। 2005 के चुनाव में मांगेराम गुप्ता ने इनेलो के सुरेंद्र बरवाला को हराकर विधानसभा पहुंचे। इस चुनाव में गुप्ता को 43883 व बरवाला को 26448 वोट मिले। 2009 के चुनाव में इनेलो के डॉ. हरिचंद मिढ़ा ने 34057 व कांग्रेस के मांगेराम गुप्ता को 26195 मत मिले। 2014 के विधानसभा चुनाव में इनेलो के डॉ. हरिचंद मिढ़ा ने भाजपा के सुरेंद्र बरवाला को हरा दिया। डॉ. मिढ़ा को इस चुनाव में 31631 व बरवाला को 29374 वोट मिले।
डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने राजनीति के इतिहास में लिखा नया अध्याय
भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने राजनीति के इतिहास में नया अध्याय लिखने का काम किया है। हरियाणा के 52 वर्ष के इतिहास में जींद विधानसभा की सीट पर जो भाजपा कभी अपना खाता भी नहीं खोल पाती थी उस सीट पर डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने राजनीति के बड़े-बड़े धुरंधरों को मात देखकर भारी मतों से जीत हासिल कर इस सीट पर कमल खिलाने का काम किया है। जिस तरह से डॉ. कृष्ण मिढ़ा के पिता स्वर्गीय डॉ. हरिचंद मिढ़ा ने 2009 में कांग्रेस के दिग्गिज नेता एवं कांग्रेस सरकार में तत्कालीन मंत्री रहे मांगेराम गुप्ता को 7862 से पराजित किया था ठीक उसी तर्ज पर चलते हुए डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने कांग्रेस के दिग्गिज नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला व जजपा नेता दिग्विजय चौटाला को 12935 वोटों से पराजित करने का काम किया है।
एक घंटा बाधित रही मतगणना
वीरवार को सुबह साढ़े आठ बजे के करीब मतगणना शुरू हो पाई। सात राउंडों तक तो मतगणना का कार्य ठीक-ठाक चला लेकिन दोपहर 12:35 पर आठवें राउंड में भाजपा के विरोधी प्रत्याशियों ने ईवीएम मशीन में सीरियल नंबर नहीं मिलने की बात कहकर विवाद खड़ा कर दिया। इस दौरान भाजपा के विरोधी दलों के समर्थक भारी संख्या में मतगणना केंद्र के बाहर भी जमा हो गए। ईवीएम में गड़बड़ी की अफवाह फैलते ही विरोधी दलों के समर्थकों ने मतगणना केंद्र के बाहर हंगामा खड़ा कर दिया। जिसके चलते लगभग एक घंटा मतगणना का कार्य प्रभावित हुई। बाद में पुलिस ने लाठी चार्ज कर हंगामा कर रहे लोगों को खदेड़ा और इसके बाद मतगणना का कार्य सुचारू रूप से चला।
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