पांचवीं बार आमने-सामने होगा चौटाला व रणदीप परिवार
एक मंच पर दिखे कांग्रेस दिग्गिज, पर साथ निभाने पर दारमदार
जींद, 10 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):- जब-जब भी कांग्रेस मुश्किल दौर से गुजरी है तब-तब रणदीप सिंह सुरेजवाला कांग्रेस के लिए तारणहार बनकर आए हैं। रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हर बार मुश्किल की घड़ी में कांग्रेस की नैया को मझधार से निकाल कर पार लगाने का काम किया है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासन काल में गुरुग्राम में हुए मारुती कांड के दौरान उठे बवाल के दौरान रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस विवाद को निपटा कर कांग्रेस की शाख को बचाने का काम किया था। मारुती कांड के दौरान काफी बड़ा बवाल गुरुग्राम में हुआ था और उद्योगिक क्षेत्रों ने यहां से पलायन का निर्णय ले लिया था। इसके बाद जाट आरक्षण के दौरान भी हरियाणा में कांग्रेस को काफी विदोह का सामना करना पड़ा था। जगह-जगह जाटों ने आंदोलन शुरू करते हुए धरने-प्रदर्शन किए थे। इसके चलते रेलवे टै्रक तक जाम हो गए थे। जाट आंदोलन के दौरान बसें ही नहीं ट्रेनों के पहिए तक थम गए थे। जाट आंदोलन के दौरान भी रणदीप सिंह सुरजेवाला कांग्रेस के लिए संकट मोचन के रूप में सामने आए थे। जाट आंदोलन को निपटाने में रणदीप सिंह सुरजेवाला की अहम भूमिका थी। वहीं 2014 में चुनाव के बाद जब देश में भाजपा सत्ता पर काबिज हुई थी और कांग्रेस चारों खाने चित होकर सिकुडऩे लगी थी उस दौरान भी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कांग्रेस में प्राण फूंकने का काम किया था। रणदीप सिंह सुरजेवाला ने गत दिनों दूसरे प्रदेशों में हुए चुनाव में भी अच्छी भूमिका निभाने का काम किया था। अब जब जींद उपचुनाव में कांग्रेस को कोई भाजपा व जजपा को टक्कर देने के लिए कोई मजबूत चेहरा नहीं मिल रहा था तो भी रणदीप सिंह सुरजेवाला इस संकट की घड़ी में कांग्रेस के लिए तारणहार बनकर सामने आए हैं। रणदीप सिंह सुरजेवाला के चुनावी मैदान में आने के बाद इस उपचुनाव के समीकरण बदल गए हैं। कांग्रेसी नेताओं में फुट के कारण हरियाणा में बदनाम हो चुकी कांग्रेस को इस उपचुनाव में रणदीप सिंह सुरजेवाला ने संजीवनी देने का काम किया है। रणदीप ङ्क्षसह के मैदान में आने से कांग्रेस के सभी दिग्गज एक मंच पर आ गए हैं।
एक मंच पर दिखे कांग्रेस दिग्गिज, पर साथ निभाने पर दारमदार
रणदीप सिंह सुरजेवाला के मैदान में आने के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कैप्टन अजय यादव, कुमारी सैलजा, किरण चौधरी, कुलदीप बिश्रोई, प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर सभी एक मंच पर आ गए हैं। रणदीप सिंह के नामांकन दाखिल करवाने के लिए सभी दिग्गज नेता वीरवार को यहां पहुंचे थे लेेकिन यह सभी दिग्गज साथ निभाने के लिए कितने कारगर साबित होंगे यह समय बताएगा।
पांचवीं बार आमने-सामने होगा चौटाला-रणदीप परिवार
चौटाला परिवार व रणदीप सिंह सुरजेवाला का 36 का आंकड़ा रहा है। इस जींद विधानसभा उपचुनाव में चौटाला परिवार व रणदीप सिंह सुरजेवाला परिवार पांचवीं बार आमने-सामने होगा। इससे पहले 1993 में रणदीप सिंह सुरजेवाला के पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला को राज्यसभा में भेजे जाने के कारण नरवाना विधानसभा सीट खाली हो गई थी। इसके चलते वहां उपचुनाव हुआ था। इसमें इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला व रणदीप सिंह सुरजेवाला आमने-सामने हुए थे। इस उपचुनाव में रणदीप हार गए थे और ओमप्रकाश चौटाला विजयी हुए थे। इसके बाद 1996 में हुए विधानसभा चुनाव में रणदीप सिंह व ओमप्रकाश चौटाला फिर आमने-सामने हुए। इस बार बाजी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मारी ली और ओमप्रकाश चौटाला को हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला ने जीत हासिल की और रणदीप सिंह यह चुनाव हार गए थे। 2005 में ओमप्रकाश चौटाला व रणदीप सिंह सुरजेवाला फिर आमने-सामने हुए थे। 2005 में ओमप्रकाश चौटाला के मुख्यमंत्री होने के दौरान रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ओमप्रकाश चौटाला को हराने का काम किया था। अब 2019 में जींद विधानसभा के उपचुनाव में ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र दिग्विजय चौटाला व रणदीप सिंह सुरजेवाला का आमना-सामना हुआ है। अब देखना यह है कि चौटाला परिवार व रणदीप ङ्क्षसह सुरजेवाला के बीच इस मुकाबले में बाजी किसके हाथ लगती है।
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दिग्विजय चौटाला का नामांकन भरवाते सांसद दुष्यंत चौटाला। |
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नामांकन दाखिल करवाने के बाद बाहर आते रणदीप सुरजेवाला। |
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