शुक्रवार, 15 मार्च 2019

हिसार संसदीय क्षेत्र में आज तक नहीं खिला 'कमल'

भाजपा के लिए बंजर जमीन रहा है हिसार संसदीय क्षेत्र 
7-7 बार कांग्रेस और देवीलाल के परिवार वाली पार्टी को जीत हुई हासिल 

जींद, 15 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- प्रदेश में सिरसा के बाद हिसार ऐसा संसदीय क्षेत्र है जिसमें आज तक कमल का फूल कभी नहीं खिला है। इस संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए चुनावों में 7 बार कांग्रेस और 7 बार चौधरी देवीलाल के परिवार वाली पार्टी को जीत हासिल हुई है। बीच में हरियाणा विकास पार्टी और जनहित कांग्रेस को भी हिसार के मतदाताओं ने मौका देने का काम किया लेकिन इस सीट पर भाजपा एक बार भी जीत हासिल नहीं कर पाई है। हिसार, भिवानी और जींद जिले में फैला हिसार संसदीय क्षेत्र कांग्रेस तथा चौधरी देवीलाल के परिवार वाली पाॢटयों का ही मजबूत राजनीतिक गढ़ रहा है। इस संसदीय क्षेत्र में 1952 से 2014 तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में ज्यादातर में मुकाबले कांग्रेस पार्टी तथा चौधरी देवीलाल के परिवार वाली पाॢटयों के बीच ही हुए हैं। पहले जनसंघ और उसके बाद बनी भारतीय जनता पार्टी इस संसदीय क्षेत्र में कभी भी खुद को साबित नहीं कर पाई और इस संसदीय क्षेत्र में कभी जनसंघ का दीपक नहीं जल पाया और बाद में भारतीय जनता पार्टी का कमल का फूल भी नहीं खिल पाया। यह संसदीय क्षेत्र अब तक हुए 16 चुनावों में भाजपा के लिए एक तरह से राजनीति की बंजर जमीन ही साबित हुआ है। 2014 में भाजपा ने हजकां के साथ गठबंधन भी किया लेकिन तब भी उसके गठबंधन में हजकां प्रत्याशी के रूप में हिसार से चुनावी दंगल में उतरे कुलदीप बिश्रोई लोकसभा में नहीं पहुंच पाए थे। इस नाते हिसार संसदीय क्षेत्र अब 12 मई को होने वाले लोकसभा चुनावों मेें प्रदेश में सत्तारूढ़ दल भाजपा के लिए बहुत बड़ी राजनीतिक चुनौती साबित होगा। सत्तारूढ़ दल भाजपा के सामने हिसार में 16 संसदीय चुनावों के लगातार चले आ रहे सूखे को समाप्त करने की चुनौती होगी। 
हिसार संसदीय क्षेत्र में भले ही ज्यादातर चुनावी मुकाबले कांग्रेस पार्टी और चौधरी देवीलाल के परिवार वाली पार्टियों के बीच हुए हैं और इन दोनों को 7-7 बार हिसार में जीत मिली है लेकिन बीच में हिसार के मतदाताओं ने इन दोनों दलों को नकार कर तीसरों पर भी भरोसा जताया है। 1996 में हुए संसदीय चुनावों में हिसार से हरियाणा विकास पार्टी (हविपा) के जयप्रकाश उर्फ जे.पी. तथा 2009 में हुए संसदीय चुनावों में कांग्रेस से अलग होकर अपना अलग दल बनाने वाले पूर्व सी.एम. भजनलाल की हजकां (हरियाणा जनहित कांग्रेस) ने भी जीत का स्वाद चखा है। जयप्रकाश उर्फ जे.पी. ने हलोदरा के लाला गौरी शंकर को पराजित कर लोकसभा में दस्तक दी थी तो पूर्व सी.एम. भजनलाल ने इनैलो के डॉ. अजय सिंह चौटाला को पराजित किया था।

क्या इस बार मतदान में टूटेगा 1977 का रिकॉर्ड!

हरियाणा में इस बार मतदान के पुराने रिकॉर्ड टूटने के आसार हैं। 10 संसदीय सीटों वाले हरियाणा में इस बार सात प्रमुख दल चुनावी ताल ठोक रहे हैं। इसके अलावा पिछले चुनाव की तुलना में इस बार लोकसभा चुनाव एक माह देरी से हैं। हरियाणा में 1967 से लेकर 2014 तक 13 चुनावों में सर्वाधिक मतदान 1977 में 73.26 फीसदी मतदान हुआ था। हरियाणा में इस बार के चुनाव में करीब 1 करोड़ 74 लाख 48 हजार 293 वोटर्स हैं। इनमें से करीब 93 लाख 97 हजार 153 पुरुष जबकि 80 लाख 51 हजार 140 महिला मतदाता हैं। सियासी पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस बार सत्तासीन भाजपा, मुख्य विपक्षी दल इनैलो के अलावा कांग्रेस, जजपा, लोसुपा-बसपा, शिरोमणि अकाली दल सक्रिय हैं। सभी दलों ने लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव लडऩे की तैयारी की हुई है। आमतौर पर हरियाणा में अतीत के चुनाव में तीन बड़े दल ही चुनाव लड़ते रहे हैं। इस बार चूंकि सात दल चुनाव लड़ रहे हैं तो तमाम लोकसभा क्षेत्रों में सघन प्रचार अभियान चलेगा। चुनाव को भी करीब दो माह का समय है। इसके अलावा आम मतदाता अब पहले से जागरूक भी हुआ है। ऐसे में सियासी पंडितों का आंकलन है कि इन सब पहलुओं के चलते इस बार मतदान का नया रिकॉर्ड कायम हो सकता है।



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