शनिवार, 16 मार्च 2019

जातिवादी कार्ड खेलना पड़ेगा भारी, होगा बड़ा एक्शन

दोष साबित होने पर छह महीने से दो साल के लिए जेल की हवा

जींद, 16 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा और डेरा सच्चा सौदा प्रकरण को लोकसभा चुनाव में भुनाने की रणनीति पर चल रहे सियासी दलों पर चुनाव आयोग की नजर टेढ़ी हो गई है। आम चुनाव में अगर किसी भी प्रत्याशी ने जाट बनाम गैर जाट या फिर जातिवाद और धर्म का कार्ड खेला तो उसकी उम्मीदवारी खत्म हो सकती है। दोष साबित होने पर छह महीने से दो साल तक के लिए जेल की हवा भी खानी पड़ेगी। प्रदेश की सियासत में जब-तब जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा का मामला तूल पकड़ता रहा है। लोकसभा चुनाव का शेड्यूल जारी होते ही एक बार फिर से विभिन्न सियासी दलों से जुड़े दिग्गज एक-दूसरे पर हिंसा का ठीकरा फोड़ते हुए अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में जुट गए हैं। इस पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने ऐसे नेताओं पर निगरानी बढ़ा दी है। कहीं भी जाति, धर्म, नस्ल, समुदाय या भाषा के आधार पर कोई प्रत्याशी या राजनेता मतदाताओं को प्रभावित करता दिखा तो इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 (3) के तहत किसी उम्मीदवार का दोष साबित होने पर निर्वाचन आयोग चुनाव तक रद्द कर सकता है। इसके अलावा आयोग संबंधित उम्मीदवार पर भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के तहत आपराधिक मामला भी दर्ज कराएगा जिसके तहत दो साल तक की सजा का प्रावधान है। अगर कोई उम्मीदवार किसी धर्म गुरु को अपने पक्ष में धर्म, भाषा, जाति इत्यादि के आधार पर वोट मांगने के लिए सहमति देता है तो चुनाव आयोग उस पर एक्शन ले सकता है। उम्मीदवार का दोष साबित होने पर आयोग को चुनाव तक रद्द करने का अधिकार है। वहीं, आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को फॉर्म-26 भरते हुए सारी जानकारी इंटरनेट पर डालनी होगी। साथ ही तीन बार अखबार और टीवी पर विज्ञापन जारी कर अपने खिलाफ दर्ज मामलों की जानकारी सार्वजनिक करनी पड़ेगी। नियम तोडऩे वाले दलों पर मान्यता खत्म होने का खतरा रहेगा। अगर कोई उम्मीदवार जाति, धर्म, नस्ल, समुदाय या भाषा के आधार पर वोट मांगता है तो कोई भी व्यक्ति इसका वीडियो बनाकर सी-विजिल एप पर डाल सकता है। शिकायत के 20 मिनट के भीतर चुनाव आयोग की टीम मौके पर पहुंचकर मामले की पड़ताल कर एक्शन लेगी। इसके अलावा जिला निर्वाचन अधिकारियों के पास भी आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत की जा सकती है।

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