आसान नहीं है हिसार संसदीय क्षेत्र की जनता की तासीर को समझना

--कभी लाखों में तो कभी कड़े मुकाबले में हुआ है जीत का फैसला
--सन् 1967 से 2014 तक 4 बार जीत का फासला रहा लाख से ज्यादा

जींद, 16 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- हिसार संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने कभी एक तरफा चुनावी जीत की ईबारत लिखी तो कभी इतने कड़े मुकाबले बना दिए कि मतगणना के अंतिम दौर में जाकर जीत तय हो पाई। इस संसदीय क्षेत्र में 1967 से 2014 तक हुए चुनावों में 4 बार जीत का फासला एक लाख मतों से ज्यादा रहा तो कई बार जीत का फासला 10 हजार से भी कम मतों का रहा। इस संसदीय क्षेत्र के मतदाता कभी राजनीतिक आंधी के साथ चलते नजर आए तो कभी उन्होंने मुकाबले को इतना फंसा दिया कि सब चुनावी नतीजे देखकर हैरान रह गए। जब हिसार के मतदाता राजनीतिक आंधी के साथ चले तो यहां जीत का फासला लाखों मतों तक पहुंच गया और जब उन्होंने चुनाव को फंसाया तो ऐसा फंसाया कि जीत का फासला विधानसभा चुनावों की तरह महज कुछ हजार मतों पर आकर सिमट गया। हिसार संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं की यही तासीर अब 12 मई को होने वाले लोकसभा चुनावों में यहां के चुनावी दंगल में उतरने वाले प्रत्याशियों और उनके दलों की धड़कनें बढ़ाने का काम अभी से कर रही है।

1977 में सबसे बड़ी जीत इंद्र सिंह श्योकंद के नाम

हिसार संसदीय क्षेत्र के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी जीत जनता पार्टी के प्रत्याशी इंद्र सिंह श्योकंद के नाम है। इंद्र सिंह श्योकंद 1977 में हिसार से जनता पार्टी के प्रत्याशी थे। वह जींद जिले के डूमरखां गांव के थे। उनका मुकाबला कांग्रेस के जसवंत सिंह से हुआ था और तब इंद्र सिंह श्योकंद ने कांग्रेस के जसवंत सिंह को 2,43,384 मतों के अंतर से पराजित किया था। यह हिसार संसदीय क्षेत्र के इतिहास की सबसे बड़ी जीत है और इस रिकार्ड को बाद में किसी भी दल का कोई भी प्रत्याशी नहीं तोड़ पाया। 1977 में हुए इस चुनाव में इंद्र सिंह श्योकंद को 80.31 प्रतिशत और कांग्रेस के जसवंत सिंह को 19.69 प्रतिशत वोट मिले थे। तब जनता पार्टी के प्रत्याशी इंद्र सिंह श्योकंद और कांग्रेस के जसवंत सिंह के बीच मुकाबला आमने-सामने का था। चुनावी दंगल में केवल यही 2 प्रत्याशी थे। हिसार संसदीय क्षेत्र के चुनावी इतिहास में यह पहला और अंतिम चुनाव था, जिसमें चुनावी दंगल में केवल 2 ही प्रत्याशी थे। इस संसदीय क्षेत्र में इंद्र सिंह श्योकंद के अलावा किसी और प्रत्याशी को  80.31 प्रतिशत वोट नहीं मिले हैं।

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