गुरुवार, 9 मई 2019

बांगर व खादर के राजनीतिक समीकरणों की मझधार में फंसी उम्मीदवारों की नैया

सोनीपत लोकसभा हॉट सीट : 
--सोनीपत लोस सीट पर हर उम्मीदवार की अपनी चुनौती
--कांग्रेस व भाजपा में बना मुकाबला, अन्य उम्मीदवार जमानत बचाने के लिए कर रहे संघर्ष
--रमेश कौशिक मोदी के नाम पर, हुड्डा क्षेत्र की चौधर के नाम तो दिग्विजय जींद को राजधानी बनाने के नाम पर मांग रहे वोट 

जींद, 8 मई (नरेंद्र कुंडू):- पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के चुनावी रणक्षेत्र में आने के बाद सोनीपत लोकसभा सीट हॉट सीट बन गई है और पूरे हरियाणा की नजर सोनीपत लोस सीट पर टिकी हुई है। लेकिन सोनीपत लोकसभा क्षेत्र बांगर व खादर दो क्षेत्रों में बंटा हुआ है। इसमें 6 विधानसभा क्षेत्र खादर (सोनीपत) व 3 विधानसभा क्षेत्र बांगर (जींद) के शामिल हैं। इसके चलते यहां बांगर व खादर क्षेत्र में बन रहे राजनीतिक समीकरणों की मझधार में उम्मीदवारों की नैया फंसी हुई है। यदि पिछले लोकसभा चुनाव परिणाम पर नजर डाली जाए तो मोदी लहर में सांसद रमेश कौशिक को जीत हासिल करवाने में सोनीपत लोकसभा क्षेत्र के 9 विधानसभा क्षेत्रों में से खादर के तीन व बांगर के दो विधानसभा क्षेत्रों का अहम योगदान था लेकिन इस बार बांगर की धरती पर हो रहे सांसद रमेश कौशिक के विरोध ने सांसद की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वहीं जजपा व आप गठबंधन से दिग्विजय चौटाला के चुनाव मैदान में आने के कारण पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। इस समय यदि चुनावी समीकरणों पर नजर डाली जाए तो मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच नजर आ रहा है। अन्य उम्मीदवारों इस समय केवल अपनी जमानत बचाने के लिए जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं। जींद जिले में हो रहे भारी विरोध के बावजूद सांसद रमेश कौशिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा क्षेत्र की चौधर के नाम पर वोट मांगते नजर आ रहे हैं। वहीं जजपा प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला जींद को राजधानी बनाने के मुद्दे को भुनाने के प्रयास में हैं। सोनीपत लोकसभा के बांगर व खादर दो अलग-अलग क्षेत्रों में बंटा होने के कारण यहां हर उम्मीदवार के लिए अपनी-अपनी चुनौतियां हैं। 

कांग्रेस के लिए अपना वोट बैंक बचाना भी एक चुनौती

कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग रहा है लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद भाजपा कांग्रेस के इस वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल रही है। जींद उपचुनाव में इसका परिणाम देखने को मिला है। शहरी पार्टी माने जाने वाली भाजपा ने जींद उपचुनाव में ग्रामीण क्षेत्र से भी अच्छी वोट हासिल की थी। इस प्रकार यदि देखा जाए तो भाजपा कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी करने में सफल रही है। इससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी हैं। 

कांग्रेस की गुटबाजी हुड्डा के लिए खड़ी कर सकती है परेशानी

कांग्रेस की अंदरुनी कलह ही कांग्रेस की सबसे बड़ी मुश्किल है। हाल ही में हुए जींद उपचुनाव में कांग्रेस की गुटबाजी के परिणाम सामने आए थे, जिसके चलते कांग्रेस के दिग्गिज नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला बड़ी मुश्किल से अपनी जमानत बचा पाए थे। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की आपसी गुटबाजी किसी से छुपी नहीं है। कांग्रेस की अंदरुनी गुटबाजी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है।

हुड्डा ने देवीलाल को तीन बार किया पराजित, अब चौथी पीढ़ी हुड्डा को दे रही चुनौती  

हरियाणा ही नहीं देश की राजनीति में चौधरी देवीलाल का बड़ा कद रहा है। लेकिन यदि लोकसभा चुनाव के भूतकाल में देखा जाए तो चुनाव मैदान में चौधरी देवीलाल को तीन बार भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा के सामने हार का मुंह देखना पड़ा था। रोहतक लोकसभा सीट पर 1991, 1996 व 1998 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तीन बार चौधरी देवीलाल को पराजित किया था। अब सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से चौधरी देवीलाल की चौथी पीढ़ी दिग्विजय चौटाला का भूपेंद्र सिंह हुड्डा से आमना-सामना है। दिग्विजय चौटाला के चुनाव मैदान में आने से हुड्डा को नुकसान हो सकता है।



कई प्रत्याशी जमानत बचाने के लिए कर रहे जद्दोजहद

सोनीपत लोकसभा सीट पर इस समय मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच नजर आ रहा है। जींद उपचुनाव में 37 हजार वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहने वाले जजपा प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला के लिए इस बार राह आसान नहीं है। दिग्विजय चौटाला जींद को राजधानी बनाने के नाम पर वोट मांग रहे हैं लेकिन सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में जींद जिले के केवल तीन व सोनीपत जिले के 6 विधानसभा क्षेत्र हैं। सोनीपत जिले पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा का प्रभाव ज्यादा है। इसके चलते जजपा प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला की राह आसान नहीं है। इनैलो, लोसपा सहित अन्य उम्मीदवार इस समय जीत के लिए नहीं बल्कि जमानत बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।  

शहीद की मां ने सांसद रमेश कौशिक से सवाल पूछे तो चढ़ा सांसद का पारा

लोकसभा सोनीपत से बीजेपी प्रत्याशी रमेश कोशिश सोमवार देर सायं गांव मुआना में प्रचार अभियान के लिए पहुंचे तो इस दौरान शहीद राजेंद्र राणा की मां ने चौपाल में ही सांसद रमेश कौशिक से सवाल पूछने शुरू कर दिए। शहीद राजेंद्र राणा की मां ने सांसद रमेश कौशिक से कहा कि जब मेरा लड़का शहीद हुआ तो आप पांच लाख रुपए देने की घोषणा करके गए थे लेकिन आज तक वह राशि हमारे परिवार को नहीं मिली है। शहीद की मां के सवाल पूछे जाने के बाद सांसद रमेश कौशिक शहीद की मां पर भड़क गए। इससे नाराज होकर ग्रामीणों ने सांसद रमेश कौशिक के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए सांसद रमेश कौशिक बीच में ही कार्यक्रम छोड़कर चले गए। इसके अलावा भी कई गांवों में सांसद रमेश कौशिक का विरोध हो चुका है।  

सोनीपत सीट पर 11 चुनावों में से तीन बार कांग्रेस व तीन बार भाजपा का रहा है कब्जा 

हरियाणा गठन के बाद 1977 में सोनीपत लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया था। सोनीपत लोकसभा सीट पर अब तक 11 बार चुनाव हो चुके हैं। इन 11 चुनाव में से सोनीपत सीट पर तीन बार कांग्रेस तो तीन बार भाजपा पार्टी का कब्जा रहा है। जबकि एक-एक बार जनता पार्टी व जनता पार्टी (एस), जनता दल, हरियाणा लोकदल व आजाद उम्मीदवार विजयी होकर लोकसभा पहुंचे हैं। 1984 में कांग्रेस उम्मीदवार धर्मपाल मलिक के सबसे कम 2941 वोटों के अंतराल से जीत हासिल करने तथा 1977 के चुनावों में जनता पार्टी उम्मीदवार मुखत्यार सिंह 280223 वोटों के अंतराल से जीत हासिल करने का रिकार्ड दर्ज है। 
 

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