पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए राजनीति में रखा कदम : धर्मपाल प्रजापत

उनके पिता पूर्व मंत्री परमानंद की मेहनत से जींद में खुला था मिनी जू व जेबीटी प्रशिक्षण केंद्र
जींद विधानसभा में पूर्व मंत्री परमानंद के बाद कंडेला खाप से आज तक नहीं बन पाया कोई विधायक  

नरेंद्र कुंडू  
जींद, 15 सितम्बर : प्रदेश में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है और सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने मैदान में उतर कर कसरत शुरु कर दी है। राजनीति का गढ़ कहे जाने वाले जींद जिले के जींद विधानसभा से जन नायक जनता पार्टी (जजपा) ने पिछड़ा वर्ग पर अपना दाव खेला है। जजपा ने पूर्व मंत्री परमानंद के बेटे इंजीनियर धर्मपाल प्रजापत को अपने प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतारा है। इंजीनियर धर्मपाल प्रजापत का कहना है कि उन्हें यह टिकट मिलना उनके पिता की स्वच्छ राजनीतिक छवि तथा उनकी मेहनत व पार्टी के प्रति वफादारी का परिणाम है। अब अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए वह राजनीति में आए हैं।
जजपा प्रत्याशी धर्मपाल प्रजापत का फोटो।
धर्मपाल प्रजापत ने बताया कि उनके पिता के पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल के साथ घनिष्ठ संबंध थे और 1987 में उनके पिता परमानंद ने कांग्रेस के दिग्गज नेता मांगेराम गुप्ता को 8102 मतों से पराजित कर विधानसभा पहुंचे थे और मंत्री बने थे। जजपा प्रत्याशी धर्मपाल ने कहा कि यह एक संयोग है कि 37 साल इतिहास अपने आप को एक बार फिर दोहराने जा रहा है। 1987 में उनके पिता परमानंद व मांगेराम गुप्ता के बीच मुकाबला था, जिसमें उनके पिता ने जीत दर्ज की थी। आज 37 साल बाद एक बार फिर वही संयोग बना है। उनके पिता परमानंद के स्थान पर वह हैं और मांगेराम गुप्ता की जगह पर उनके पुत्र महावीर गुप्ता हैं। धर्मपाल प्रजापत ने कहा कि उनके पिता परमानंद कंडेला खाप से विधायक बनने वाले पहले व्यक्ति थे। उसके बाद आज तक कंडेला खाप से कोई भी विधायक नहीं बन पाया है। कंडेला खाप से अबकी बार वह चुनाव मैदान में हैं।

यह है इंजीनियर धर्मपाल का राजनैतिक सफर

जजपा प्रत्याशी इंजीनियर धर्मपाल पूर्व मंत्री परमानंद के पुत्र हैं और वह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में एक्स-ई-एन के पद पर कार्यरत थे। 2019 में जींद में हुए उपचुनाव में धर्मपाल ने अपनी नौकरी से वीआरएस लेकर जजपा पार्टी ज्वाइन की थी। इसके बाद जजपा पार्टी ने उनके कार्यों को देखते हुए उन्हें पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ का सह सचिव नियुक्त किया। इसके बाद धर्मपाल प्रजापत ने पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के सचिव, राजनीतिक सलाहकार कमेटी के मैम्बर तथा राज्य प्रधान के पद पर कार्य किया है।

अपने समर्थकों के साथ प्रचार अभियान पर जजपा प्रत्याशी धर्मपाल।
जींद से राजनीतिक आक्सीजन लेकर विधानसभा पहुंचने के बाद जींद को भूल जाते हैं राजनेता

जजपा प्रत्याशी धर्मपाल ने कहा कि जींद को राजनीतिक का गढ़ माना जाता है लेकिन जो भी लोग राजनीति में आते हैं वह जींद से राजनीतिक आॅक्सीजन लेकर चंडीगढ़ तो पहुंच जाते हैं लेकिन विधानसभा पहुंचने के बाद वह जींद को बिल्कुल भूला देते हैं। इसलिए जींद के माथे से आज तक पिछड़ेपन का धब्बा नहीं हट पाया है। प्रदेश की राजनीति में ऐसे बहुत उदाहरण हैं जिन लोगों ने जींद से अपनी राजनीति शुरु की और जींद ने उन्हें राजनीति के शीर्ष पर पहुंचा दिया लेकिन उन्होंने कभी जींद के विकास के बारे में नहीं सोचा।

ईक्कस का जेबीटी प्रशिक्षण केंद्र उनके पिता की देन

जजपा प्रत्याशी धर्मपाल प्रजापत का कहना है कि उनके पिता 1987 में लोकदल की टिकट पर विधायक बनने के बाद मंत्री बने थे। 1987 से 1989 तक हरियाणा सरकार में मंत्री रहे और उनके पास शिक्षा, लोकनिर्माण भवन एवं सड़क, खाद्य आपूर्ति तथा वन एवं जीवन सरंक्षण जैसे महत्वपूर्ण विभाग रहे थे। उनके पिता ने मंत्री रहते हुए जींद जिले के ईक्कस गांव में जेबीटी प्रशिक्षण केंद्र तथा जींद को पर्यटक स्थल बनाने के लिए जींद में मिनी जू खोला था। इसलिए आज ईक्कस गांव को मास्टरों की नर्सरी कहा जाता है। इसके अलावा जींद के युवाओं को सबसे ज्यादा रोजगार भी उनके पिता ने दिलवाए थे। इसलिए आज भी जींद के लोग उनके पिता द्वारा करवाए गए कार्यों को याद करते हैं। उनके पिता ने हमेशा कर्मचारी, किसान, पिछड़ा वर्ग की आवाज उठाने का काम किया था। 1973 में उनके पिता ने कर्मचारी, किसान, पिछड़ा वर्ग के आंदोलन में भागीदारी की थी और एक महीना जेल भी काटी थी।

जब आधी रात को राजीव गांधी ने अपने सैक्रेटरी को भेजा था पूर्व मंत्री परमानंद के पास

जजपा प्रत्याशी धर्मपाल प्रजापत ने बताया कि उनके पिता जब प्रदेश सरकार में मंत्री थे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सभी प्रदेशों के मंत्रियों की मीटिंग बुलाई थी। जिसमें उनके पिता भी शामिल हुए थे। मीटिं
ग में उनके पिता परमानंद ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर अपना वक्तव्य दिया था। उनके पिता का भाषण राजीव गांधी को इतना पसंद आया कि राजीव गांधी ने आधी रात को अपने सैक्रेटरी को उनके पिता के पास उसकी स्पीच लेने के लिए भेजा था।

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