जींद विधानसभा में एक बार फिर मिढ़ा व गुप्ता परिवार की शाख दाव पर
--जींद विधानसभा सीट पर भाजपा व कांग्रेस चुनाव में नहीं फूंक पा रहे जान
--जींद विधानसभा में इनैलो बिगाड़ रही भाजपा का खेल व निर्दलीय प्रत्याशी प्रदीप गिल कांग्रेस को पहुंचा रहा नुकसान
नरेंद्र कुंडू जींद, 26 सितम्बर : राजनीति का गढ़ कही जाने वाली जींद विधानसभा सीट पर एक बार फिर से मिढ़ा व गुप्ता परिवार की राजनीतिक शाख दाव पर लगी हुई। क्योंकि पूर्व मंत्री मांगे राम गुप्ता जींद विधानसभा से चार बार विधायक रह चुके हैं। मांगे राम गुप्ता 2000 से 2009 तक लगातार दो बार जींद से विधायक रहे और इस दौरान वह कांग्रेस सरकार में मंत्री भी बने। 2009 तक जींद की राजनीति में गुप्ता परिवार की तुती बोलती थी। लेकिन 2009 के विधानसभा चुनाव में डॉ. हरिचंद मिढ़ा ने मांगे राम गुप्ता को 7862 वोटों से पराजित कर उनकी राजनीतिक जमीन छीन ली। इसके बाद से जींद विधानसभा सीट पर मिढ़ा परिवार का कब्जा है। 2009 व 2014 में डॉ. हरिचंद मिढ़ा यहां से विधायक बने। अगस्त 2018 में डॉ. हरिचंद मिढ़ा की मृत्यु के बाद जनवरी 2019 में हुए जींद उपचुनाव में डॉ. हरिचंद मिढ़ा के पुत्र डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और वह जजपा प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला को 12935 वोटों से पराजित कर विधायक बने। अक्तूबर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में डॉ. कृष्ण मिढ़ा पूर्व मंत्री मांगे राम गुप्ता के पुत्र जजपा प्रत्याशी महावीर गुप्ता को 12508 वोटों से पराजित कर फिर से विधायक बने। अब 2024 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से मिढ़ा परिवार व गुप्ता परिवार आमने-सामने है। अब देखना यह है कि क्या गुप्ता परिवार मिढ़ा परिवार से अपनी राजनीतिक जमीन वापस ले पाएगा।
इनेलो प्रत्याशी नरेंद्र नाथ शर्मा |
निर्दलीय प्रत्याशी प्रदीप गिल |
कांग्रेस प्रत्याशी महवीर गुप्ता |
भाजपा प्रत्याशी डॉ कृष्ण मिढा |
चुनाव प्रचार में जान नहीं फूंक पा रहे भाजपा व जजपा प्रत्याशी
जींद विधानसभा में भले ही मिढ़ा व गुप्ता परिवार की शाख दाव पर लगी हुई है लेकिन दोनों की प्रत्याशी फिल्हाल चुनाव प्रचार में जान फूंकने में असफल नजर आ रहे हैं। भाजपा समर्थकों का मामना है कि महावीर गुप्ता को टिकट मिलने के बाद से उनका चुनाव काफी आसान हो गया है। इसलिए भाजपा समर्थक अति उत्साहित नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी महावीर गुप्ता के समर्थकों का मामना है कि प्रदेश में भाजपा के विरोध में और कांग्रेस के पक्ष में लहर चल रही है इसलिए इस बार वह चुनाव आसानी से जीत जाएंगे। इस प्रकार दोनों ही प्रत्याशियों के अति उत्साहित होने से चुनाव प्रचार जोर नहीं पकड़ पा रहा है।15 साल से जींद में मिढ़ा परिवार का कब्जा, इसलिए लोगों में बढ़ सकती है नाराजगी
जींद विधानसभा सीट पर पिछले 15 सालों से मिढ़ा परिवार का कब्जा रहा है और 2019 से डॉ. कृष्ण मिढ़ा सत्ता पक्ष में रहे हैं। लगातार तीन दशकों तक एक ही परिवार की राजनीति चलने व सत्ता पक्ष में होने के कारण जनता की सीटिंग एमएलए से थोड़ी बहुत नाराजगी हो जाती है। क्योंकि सत्ता पक्ष में होने के कारण विधायक से स्थानीय लोगों की अपेक्षाएं ज्यादा होती हैं और लोगों की अपेक्षाएं पूरी नहीं होने के कारण चुनाव में थोड़ा बहुत नुकसान उठाना पड़ सकता है।किसानों की नाराजगी भाजपा पर पड़ सकती है भारी
पिछले काफी लंबे समय से किसान एमएसपी की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। किसानों की मांगें पूरी नहीं होने व किसानों पर लाठियां बरसाने के कारण भाजपा के प्रति किसानों में गुस्सा है। किसानों की नाराजगी का खामियाजा भाजपा को विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है। क्योकि जींद विधानसभा सीट किसान बैल्ट है। जींद विधानसभा में 50 हजार के लगभग जाट वोटर हैं और इस समय जाट वोटर्स भाजपा से नाराज चल रहे हैं। इसलिए इस बार भाजपा प्रत्याशी की राह इतनी आसान नहीं है।
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