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‘गांव’ की धरती से ‘जहान’ में उठेगी एक नई क्रांति की लहर

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कीटनाशकों की दलदल में धंसता जा रहा किसान उग्र हो रही है किसान-कीट की जंग नरेंद्र कुंडू जींद। आज फसलों में अंधाधूंध कीटनाशकों के प्रयोग के कारण मानव व पशु जगत पर जो खतरा मंडरा रहा है, वह किसी से छुपा नहीं है। अगर पिछले 40 सालों के इतिहास पर नजर डाली जाए तो इन 40 वर्षों में हर वर्ष कीटनाशकों के प्रयोग का ग्राफ लगातार ऊपर की तरफ बढ़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट के मृत्युदर के आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो उसमें 13 प्रतिशत लोग अकेले कैंसर के कारण मौत के मुहं में समा रहे हैं। इसी संगठन की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार फसल की सुरक्षा के लिए कीटनाशक का छिड़काव करते हुए हर वर्ष 20 हजार किसान काल का ग्रास बन रहे हैं। इस प्रकार पिछले 40 वर्षों में किसानों व कीटों की इस जंग में आठ लाख किसान अनामी शहीद हो चुके हैं। इसके अलावा विषायुक्त भेजन खाने के कारण कैंसर, शुगर, हार्ट फेल व सैक्स संबंधि बीमारियों के मरीजों की तादात भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। काटन व काजू बैलट में कीटनाशकों के अधिकतम इस्तेमाल के कारण इस बैलट में कैंसर के मरीजों की तादात में बढ़ोतरी हो रही ...