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घर की चारदीवारी में भी महफूज नहीं हैं बच्चे

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बच्चों के शोषण व हिंसात्मक मामलों में हो रही बढ़ौतरी घर के अंदर हो रहे शोषण व प्रताडऩा से छुटकारा पाने के लिए चाइल्ड हैल्प लाइन का सहारा ले रहे बच्चे बाल मजदूरी के मामलों पर भी नहीं लग पा रही रोक एक वर्ष में चाइल्ड हैल्प लाइन के पास आए हिंसा व छेड़छाड़ के 66 मामले नरेंद्र कुंडू जींद। भौतिकतावादी इस युग में हमारा सामाजिक ताना-बाना टूटने के साथ-साथ हमारे नैतिक मूल्यों में भी इतनी गिरावट आ चुकी है कि आज घर की चारदीवारी में भी हमारे बच्चे महफूज नहीं हैं। घर के अंदर ही परिवार के सदस्यों द्वारा बच्चों का शोषण करने के साथ-साथ बच्चों को प्रताडि़त भी किया जा रहा है। घर के अंदर बच्चों पर बढ़ते शोषण व हिंसात्मक मामलों का सबूत दे रही है चाइल्ड हैल्प लाइन। घर की चारदीवारी के अंदर हो रहे शोषण व प्रताडऩा से मुक्ति पाने के लिए बच्चे चाइल हैल्प लाइन का सहारा ले रहे हैं। चाइल्ड हैल्प लाइन के आंकड़ों पर यदि नजर डाल जाए तो सबसे अधिक मामले बच्चों के साथ हो रहे शोषण व प्रताडऩा के सामने आ रहे हैं। पिछले एक वर्ष में चाइल्ड हैल्प लाइन के पास छेड़छाड़ व हिंसा के 66 तथा बाल मजदूरी के 31 मामले सामन...

घर की चारदीवारी में भी महफूज नहीं हैं बच्चे

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बच्चों के शोषण व हिंसात्मक मामलों में हो रही बढ़ौतरी घर के अंदर हो रहे शोषण व प्रताडऩा से छुटकारा पाने के लिए चाइल्ड हैल्प लाइन का सहारा ले रहे बच्चे बाल मजदूरी के मामलों पर भी नहीं लग पा रही रोक एक वर्ष में चाइल्ड हैल्प लाइन के पास आए हिंसा व छेड़छाड़ के 66 मामले नरेंद्र कुंडू जींद। भौतिकतावादी इस युग में हमारा सामाजिक ताना-बाना टूटने के साथ-साथ हमारे नैतिक मूल्यों में भी इतनी गिरावट आ चुकी है कि आज घर की चारदीवारी में भी हमारे बच्चे महफूज नहीं हैं। घर के अंदर ही परिवार के सदस्यों द्वारा बच्चों का शोषण करने के साथ-साथ बच्चों को प्रताडि़त भी किया जा रहा है। घर के अंदर बच्चों पर बढ़ते शोषण व हिंसात्मक मामलों का सबूत दे रही है चाइल्ड हैल्प लाइन। घर की चारदीवारी के अंदर हो रहे शोषण व प्रताडऩा से मुक्ति पाने के लिए बच्चे चाइल हैल्प लाइन का सहारा ले रहे हैं। चाइल्ड हैल्प लाइन के आंकड़ों पर यदि नजर डाल जाए तो सबसे अधिक मामले बच्चों के साथ हो रहे शोषण व प्रताडऩा के सामने आ रहे हैं। पिछले एक वर्ष में चाइल्ड हैल्प लाइन के पास छेड़छाड़ व हिंसा के 66 तथा बाल मजदूरी के 31 मामले सामन...

कहाँ खो गई हमारी बेटियां

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जिले के 29 गांवों में बेटियों को अब भी समझा जाता है बोझ जिले का लिंगानुपात सुधरकर 888 पर पहुंचा अब लिंगानुपात में पिछड़े गांवों पर फोकस करेगा स्वास्थ्य विभाग पिछले वर्षों के मुकाबले जिले में बढ़ा है लिंगानुपात नरेंद्र कुंडू जींद।  एक ओर जहां सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चला रही है, वहीं जिला में अब भी लोगों की सोच बेटियों के प्रति पूरी तरह नहीं बदली है। जिले में 29 गांव ऐसे हैं, जिन गांवों में बेटियों को अब भी बोझ समझा जाता है। यह इसी का परिणाम है कि इन 29 गांवों में इस समय भी लिंगानुपात 550 से नीचे है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में चलाए गए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के काफी सकारात्मक परिणा म सामने आए हैं। इसके चलते पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष जिले का लिंगानुपात में काफी सुधार हुआ है। इस वर्ष जिले का लिंगानुपात 857 से बढ़कर 888 पर पहुंच गया है। गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा सख्त रुख अपनाया गया है। इसी के चलते स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा जिले ही नहीं बल्कि जिले से बाहर भी 33 ऐसे अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर छापेमारी...

हॉपर नामक कीट व तना गलन की बीमारी ने दी फसल में दस्तक

हॉपर व तना गलन को रोकने में पेस्टीसाइड भी नहीं है कारगर चार किस्म के हैं हॉपर नामक कीट समझदारी की फसल के बचाव का एकमात्र तरीका   नरेंद्र कुंडू जींद। खेतों में किसान का पीला सोना (धान) लगभग पक्ककर तैयार है लेकिन धान की इस अंतिम चरण की प्रक्रिया में पहुंचने के साथ धान में हॉपर नामक कीट व तना गलन की बीमारी का प्रकोप बढ़ गया है। धान की फसल में हॉपर से ज्यादा नुकसान तना गलन का है। क्योंकि हॉपर कीट तो खेत में खड़ी फसल के कुछ ही को नुकसान पहुंचाता है लेकिन तना गलन नामक बीमारी के ज्यादा क्षेत्र में फैलने की संभावनाएं हैं। इसमें सबसे खास बात यह है कि हॉपर व तना गलन से फसल को बचाव के लिए पेस्टीसाइड भी कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। इसलिए किसानों को इस तरफ विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पेस्टीसाइड पर अपना खर्च करने की बजाए सावधानी के साथ अपनी फसल की तरफ ध्यान देने की जरूरत है। चार किस्म का है रस चुसक हॉपर कीट  कृषि विशेषज्ञों के अनुसार हॉपर एक रस चुसक कीट है और इसकी चार किस्में अभी तक देखी जा चुकी हैं। हॉपर कीट सफेद, हरा, ब्राउन व काले रंग का होता है। ब्राउन व काला हॉपर पौधे के तने ...

किसानों के लिए फायदे की खेती है सरसों

कम खर्च में किसान को मिलता है अधिक मुनाफा स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभप्रद है सरसों का तेल नरेंद्र कुंडू  जींद। रबी की फसलों में सरसों की खेती किसानों के लिए सबसे फायदेमंद है। सरसों की खेती में किसान को कम खर्च में अधिक मुनाफा होता है। सरसों की खेती के उत्पादन के लिए किसान को शारीरिक श्रम भी काफी कम करना पड़ता है और कीड़ों व बीमारी के मामले में भी यह फसल काफी सुरक्षित है। वहीं सरसों से निकलने वाला तेल भी स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद होता है। इसलिए किसान सरसों की खेती को अपना कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। यह है सरसों की बिजाई का उपयुक्त समय सरसों की बिजाई का सबसे उपयुक्त समय 25 सितंबर से 15 अक्तूबर का समय सबसे उपयुक्त है। ड्रील मशीन व हाथ की छांट से भी सरसों की बिजाई की जा सकती है। बिजाई के दौरान 25 किलो यूरिया तथा 40 किलो सिंगल सुपर फासफोर्स खाद डालें। इसके बाद सरसों की फसल में पहला पानी लगाने के बाद 25 किलो यूरिया खाद डालें। इन-इन किस्मों की कर सकते हैं बिजाई अधिक पानी वाले क्षेत्र में किसान हिसार कृषि विश्वविद्यालय की आरएच 749, लक्ष्मी व वरूण किस्म की बिजाई कर सकते हैं। क...

'यूपी में भाजपा के चुनावी मुद्दे को रोशन करेगा जींद का दीपक'

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चित्रकार दीपक के व्यंगात्मक कार्टूनों को भाजपा ने प्रचार सामग्री में किया शामिल चित्रकार दीपक ने यूपी बचाओ नाम से तैयार की है कार्टून पुस्तिका  कार्टूनिस्ट दीपक प्रधानमंत्री के अच्छे दिनों पर भी प्रकाशित कर चुके हैं दो पुस्तकें  नरेंद्र कुंडू जींद। उत्तरप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में जींद के युवा चित्रकार दीपक कौशिक के कार्टून अपनी छाप छोड़ेंगे। चुनाव के इस दंगल में विरोधियों को घेरने के लिए भाजपा दीपक कौशिक द्वारा यूपी में हुए भ्रष्टाचार पर तैयार किए गए व्यंगात्मक कार्टूनों को अपनी चुनाव प्रचार सामग्री में शामिल करने जा रही है। चित्रकार दीपक कौशिक द्वारा यूपी बचाओ के नाम से यह कार्टून पुस्तिका तैयार की गई है।    भजपा के राट्रीय महासचिव अरुण सिंह, भाजपा के उत्तरप्रदेश के संगठन मंत्री सुनील बंसल और भाजपा के प्रदेश मंत्री गोविंद नारायण शुक्ल उर्फ  राजा बाबू के साथ हुई दीपक कौशिक की मुलाकात के बाद पार्टी पदाधिकारियों ने दीपक के कार्टूनों को चुनाव सामग्री में शामिल करने का फैसला लिया है। भाजपा द्वारा इस पुस्तिका की लाखों प्रतियां तैयार करवाई ...

65 वर्षीय ओमपति ने 45 लाख खर्च कर बुझाई गांव की प्यास

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गांव में पानी की किल्लत को दूर करने के लिए 10 किलोमीटर दूर से दबवाई पाइप लाइन पाइप लाइन दबाकर घर-घर दिया कनेक्शन नरेंद्र कुंडू जींद। छतीसगढ़ के धमतरी जिले की 104 वर्षीय कुंवरबाई द्वारा जहां अपनी बकरियां बेचकर गांव में शौचालय का निर्माण करवाकर एक मिशाल पेश की गई है, वहीं जींद जिले के गोहाना रोड पर स्थित लुदाना गांव निवासी 65 वर्षीय वृद्धा ओमपति ने अपनी पूंजी से 40 से 45 लाख रुपये खर्च कर गांव की प्यास बुझा कर एक नई मिशाल पेश की है। ओमपति ने गांव से 10 किलोमीटर दूर स्थित सुंदर ब्रांच नहर से पाइप लाइन दबाकर गांव के लोगों को पीने के लिए पानी मुहैया करवाया है। ओमपति ने गांव तक पाइप लाइन दबवाने के अलावा निशुल्क घर-घर कनेक्शन दिए हैं। इतना ही नहीं पास के गांव मालश्रीखेड़ा, भंभेवा व मोरखी गांव से होकर गुजर रही पाइप लाइन पर भी कई जगह हैंडपंप भी लगवाए गए हैं, ताकि राहगीर व पास के गांव के लोग भी इनसे अपनी प्यास बुझा सकें।  पाइप लाइन दबाने के बाद गांव में बनाया गया पानी का टैंक। जींद जिले के लुदाना गांव में भूमिगत पानी खराब होने के कारण गांव में पानी की भारी किल्लत थी। ग्रामीणो...