रविवार, 18 दिसंबर 2011

थाली से जहर कम करने का महिलाओं ने उठाया बीड़ा

पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को सीखा रही हैं कीट प्रबंधन के गुर


नरेंद्र कुंडू
जींद।
फसलों में बढ़ते कीटनाशकों के इस्तेमाल को
विद्यार्थियों को कीटों की जानकारी देती महिलाएं।
रोकने तथा मित्र कीटों को बचाने के लिए कीट प्रबंधन का बीड़ा निडाना की महिलाओं ने उठाया है। महिलाओं ने स्वयं इस कार्य में दक्षता हासिल करने के बाद विद्यार्थियों को मित्र कीटों के बारे में जागरूक करने की ठानी है। निडाना गांव के डैफोडिल पब्लिक स्कूल में ये महिलाएं हर शनिवार को विद्यार्थियों की क्लास लेती हैं। विद्यार्थियों को व्यवहारिक ज्ञान देने के लिए खेतों में ले जाकर इन्हें मित्र कीटों की पहचान करवाती हैं।  पूरे भारत में यह बच्चों की अकेली मित्र कीट पाठशाला है।
फसलों की अधिक से अधिक पैदावार लेने के लिए किसान आज फसलों पर जमकर कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। फसलों पर अत्याधिक कीटनाशकों के प्रयोग के कारण भूमि की उर्वरा शक्ति तो कम ही रही है साथ-साथ हमारे खाद्य पदार्थ भी  विषैले हो रहे हैं। जिस कारण हमारी सेहत पर भी इनका विपरित प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने तथा मनुष्य की थाली से इस जहर कम करने की बीड़ा अब निडाना की महिलाओं ने उठाया है। ये महिलाएं सप्ताह के हर शनिवार को निडाना स्थित डैफोडिल पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों को कीट प्रबंधन व इससे होने वाले लाभ के बारे में जागरूक करती हैं। मित्र कीटों पर प्रयोग के लिए विद्यार्थियों को खेतों में ले जाकर मित्र कीटों की पहचान करवाई जाती हैं। पूरे भारत में इस तरह की यह एकमात्र मित्र कीट पाठशाला है, जहां पर विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ मित्र कीटों के बारे में जागरूक किया जाता है।
अनपढ़ता को ही बना लिया हथियार
मित्र कीट पाठशाला चालने वाली महिलाओं की संख्या 30 से 35 के बीच है। इन महिलाओं मैं चार-पांच महिलाओं को छोड़ बाकि सभी महिलाएं अनपढ़ हैं। इन महिलाओं ने अनपढ़ता को ही अपना हथियार बना लिया। पहले स्वयं इस कार्य में दक्षता हासिल की और बाद में अपने लक्ष्य को शिखर तक पहुंचाने के लिए इन्होंने मित्र कीट पाठशाला शुरू की।
प्रति एकड़ पर होता है दो से अढ़ाई हजार रुपए की बचत
अंग्रेजो, राजवंती, मीनी, बिमला, कमलेश, गीता ने बताया कि अगर फसल पर कीटनाशकों का प्रयोग न करके मित्र कीटों का संरक्षण किया जाए तो किसान का कीटनाशकों पर होने वाला खर्च बच जाता है और पैदावार भी  अच्छी होती है। उन्होंने बताया कि मित्र कीटों की सहायता से किसान को प्रति एकड़Þ पर दो से अढ़ाई हजार रुपए की बचत हो जाती है।
जागरूकता के लिए गीतों की भी की है रचना
इन महिलाओं ने लोगों को मित्र कीटों के प्रति जागरूक करने के लिए गीतों की भी रचना की है। ताकि गीतों के माध्यम से अधिक से अधिक किसानों तक अपनी बात पहुंचाकर उन्हें जागरूक कर सकें। ‘कीड़यां का पाट रहया चाला ए मनै तेरी सूं’ तथा बीटल कीट पर ‘बीटल हूं मैं कीटल हूं’ गीत की रचना की है। 
मासाहारी कीट करते हैं फसल की सुरक्षा
उत्प्रेरक डॉ. सुरेन्द्र दलाल ने बताया कि एक एकड़ कपास की फसल में लगभग 26 किस्म के शाकाहारी व 57 किस्म के मासाहारी कीट पाए जाते हैं। शाकाहारी कीट फसल पर निर्भार करते हैं और मासाहारी कीट शाकाहारी कीटों पर निर्भर करते हैं। माशाहारी कीटों की संख्या ज्यादा होने के कारण शाकाहारी कीट फसल को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाते।

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