नशों में रम रहा नशा

नरेंद्र कुंडू
जींद। सरकार धूम्रपान पर रोक लगाने के लिए हर साल करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान करना निषेध माना गया है। कोर्ट के इन आदेशों के तहत सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान करते पकड़े जाने पर जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन लोगों को सरकार की इस मुहिम से कोई सरोकार नहीं है। क्योंकि नशा उनकी नश-नश में रम चुका है। जिस कारण लोगों में धुआं उड़ाने का क्रेज सिर चढ़कर बोल रहा है। जिले में लोगों द्वारा हर माह लाखों रुपए धूएं में उड़ा दिए जाते हैं। सार्वजनिक स्थलों के अलावा सरकारी कार्यालयों में भी सरकारी बाबुओं द्वारा खुलेआम धूम्रपान निषेध कानून की धज्जियां उड़ाई जाती हैं। लोगों में तम्बाकू की बढ़ती लत के कारण प्रति वर्ष 8.5 लाख लोग मौत का ग्रास बन रहे हैं। पुरुषों के अलावा महिलाओं व बच्चों में भी धूम्रपान का क्रेज बढ़ रहा है। तम्बाकू व्यवसायियों की मानें तो शहर में रोजाना बीड़ी व सिगरेट के एक कैंटर की लोडिंग खप जाती है।
सरकार द्वारा धूम्रपान पर रोक लगाने के लिए लाखों प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार हर वर्ष विज्ञापनों पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। लेकिन लोगों में धुआं उड़ाने का क्रेज बढ़ता ही जा रहा है। बात यह नहीं है कि लोग तम्बाकू व गुटखे से होने वाली बीमारियों के बारे में अनजान हों। लोग धूम्रपान से होने वाले शारीरिक नुकसान के बारे में सबकुछ जानते हुए भी इस लत को नहीं छोड़ पा रहे हैं। तम्बाकू के जलने व उससे पैदा होने वाले धूएं से 4800 प्रकार के रासायनिक तत्व पैदा होते हैं जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए घातक होते हैं। 60 प्रतिशत पुरुष व 12 प्रतिशत महिलाएं इस लत का शिकार हैं। धूम्रपान निषेध कानून लागू होने के चार साल बाद भी लोगों पर इसका कोई खासा प्रभाव नहीं पड़ा है। सरकार की धूम्रपान निषेधी मुहिम कागजों तक ही सिमट कर रह गई है। इस मुहिम का असर सरकारी कार्यालयों में बैठे बाबुओं पर भी नहीं पड़ रहा है। साल में एक बार तम्बाकू दिवस पर सरकारी कर्मचारी लोगों को जागरूक करने के लिए बरसाती मैंढ़कों की तरह बाहर आते हैं लेकिन इसके बाद इन कर्मचारियों द्वारा सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान करने वाले लोगों के खिलाफ कोई मुहिम नहीं चलाई जाती।

प्रति वर्ष होते हैं 1.8 करोड़ रुपए खर्च

तम्बाकू व्यवसायियों की माने तो शहर में हर रोज लोग 30 हजार रुपए तम्बाकू व 20 हजार रुपए गुटखों पर खर्च करते हैं। इस प्रकार हर माह लोग 9 लाख रुपए धूएं में उड़ा रहे हैं तथा 6 लाख रुपए के गुटखे निगल रहे हैं। लोग प्रति वर्ष 1.8 करोड़ रुपए तम्बाकू व गुटखों पर खर्च करते हैं।

तम्बाकू में होते हैं घातक रासायनिक तत्व

वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध हो चुका है कि अधिकतर लोग अपनी तलब को पूरा करने के लिए तम्बाकू व गुटखे का सेवन करते हैं। तम्बाकू में अमोनिया व आर्सेनिक जैसे घातक रसायन डाले जाते हैं। अमोनिया का प्रयोग फर्श की सफाई व आर्सेनिक का प्रयोग चींटियों को मारने के लिए बनाई जाने वाली दवाई में किया जाता है। तम्बाकू में निकोटिन पदार्थ भी होता है। निकोटिन शरीर में फेफड़ों व जबड़े के  कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों को निमंत्रण देता है।
लघु सचिवालय के बाहर बीड़ी के कश लगाती बुजुर्ग महिला।

बस स्टेंड पर बीड़ी के कश लगाते यात्री।
 तम्बाकू से कोन-कोन सी होती हैं बीमारियां
चिकित्सक नरेश शर्मा ने बताया कि लंबे समय तक धूम्रपान करने से दिल का दौरा, प्रजजन विकार, जन्मदोष, मस्तिष्क संकोचन, अल्जाइमर रोग, स्ट्रोक, मोतिया बिंद, कैंसर, मुहं का कैंसर, भेजन नली, सरवाईकिल, फेफड़ा, पेट, जिगर, गुर्दा, गला, छाती व अधिवृक्त ग्रंथी, श्वसन विकार जैसे रोग उत्पन होते हैं। इस प्रकार धूम्रपान से होने वाली खतरनाक बीमारियों के कारण हर वर्ष 8.5 लोग मौत का ग्रास बन रहे हैं।


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