रविवार, 22 जुलाई 2012

अब जरुरतमंदों को ही मिलेगा हथियार चलाने का प्रशिक्षण


बदमाशों का निशाना बने लोगों को दी जाएगी प्रशिक्षण में वरीयता

नरेंद्र कुंडू
जींद।
लंबे अर्से के बाद जिले में हथियार प्रशिक्षण की शुरूआत होने जा रही है। एक वर्ष की कड़ी मशक्कत के बाद होमगार्ड विभाग को कुछ कारतूस मिल पाए हैं। कारतूसों की कमी को देखते हुए जिला प्रशासन व होमगार्ड विभाग ने विशेष व्यक्तियों को ही हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने का निर्णय लिया है। होमगार्ड विभाग द्वारा तैयार की गई योजना के अनुसार अभी सिर्फ उन्हीं लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी जो बदमाशों का निशाना बने हैं या निशाने पर हैं, ताकि ये लोग ट्रेनिंग लेकर अपना आर्म्ज लाइसेंस बनवाकर हथियार खरीद कर अपनी सुरक्षा खुद कर सकें। फिलहाल होमगार्ड विभाग को सिर्फ 40 लोगों को ट्रेनिंग देने के लिए एमिनेशन मिल पाया है।
जिले में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में पिछले एक वर्ष से कारतूसों की कमी के चलते होमगार्ड की ट्रेनिंग नहीं हो पा रही थी। ट्रेनिंग बंद होने के कारण आर्म्ज लाइसेंस बनवाने के इच्छु आवेदकों में मायूसी छाई हुई थी। हथियारों का प्रशिक्षण न मिलने के कारण जरुतमंद लोग भी लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे थे। दरअसल लाइसेंस बनवाने के लिए प्रक्रिया शुरू करने की पहली सीढ़ी होमगार्ड में हथियार चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होता है। बिना होमगार्ड या एनसीसी के प्रमाण पत्र के आर्म्ज लाइसेंस की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती। लेकिन होमगार्ड विभाग के पास कारतूस उपलब्ध न होने के कारण सारी प्रक्रिया बंद पड़ी थी। जिले में बढ़ते आपराधिक ग्राफ व लोगों के दबाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने होमगार्ड मुख्यालय से कारतूसों की डिमांड की थी। जिसके बाद होमगार्ड मुख्यालय द्वारा ट्रेनिंग शुरू करवाने के लिए कारतूस मुहैया करवाए गए। फिलहाल होमगार्ड मुख्यालय द्वारा सिर्फ 40 लोगों को ही ट्रेनिंग देने के लिए कारतूस उपलब्ध करवाए गए हैं। एमिनेशन की कमी को देखते हुए फिलहाल जिला प्रशासन व गृहरक्षी विभाग के जिला कमांडेंट ने जरुरतमंद लोगों को ही ट्रेनिंग देने की योजना तैयार की है। जिला प्रशासन द्वारा तैयार की गई योजना के अनुसार सिर्फ ऐसे लोगों को ही प्रशिक्षण में प्राथमिकता दी जाएगी जो बदमाशों के निशाने पर आ चुके हैं या फिर जिन पर बदमाशों का निशाना टिका हुआ है। गृहरक्षी विभाग द्वारा ट्रेनिंग के लिए उन्हीं आवेदकों को दाखिला दिया जाएगा, जिन्हें पुलिस प्रशासन की तरफ से मंजूरी दी जाएगी। जिला प्रशासन द्वारा इस योजना को लागू करने का मुख्य उद्देश्य जरुरतमंदों को लाइसेंस उपलब्ध करवाना है, ताकि जरुरतमंद व्यक्ति अपना स्वयं का हथियार खरीदकर अपनी सुरक्षा कर सकें।

हथियारों के प्रति युवाओं में बढ़ रहे क्रेज पर लगेगा अंकुश

जिले के युवाओं में हथियारों के प्रति काफी क्रेज बढ़ रहा है। लाइसेंस बनवाने की होड़ में युवाओं में मारामारी रहती है। पुलिस प्रशासन व होमगार्ड विभाग द्वारा तैयार की गई इस योजना के बाद हथियारों के प्रति युवाओं में बढ़ रहे क्रेज पर भी अंकुश लगेगा। विभाग द्वारा उठाए गए इस कदम से दिखावे या शौक के लिए लाइसेंस बनवाने वाले युवाओं पर अब नकेल कसी जा सकेगी।

जरुरतमंदों को दी जाएगी प्राथमिकता

 जिला कमांडेंट बीरबल कुंडू का फोटो।
कारतूसों की कमी के कारण एक वर्ष से प्रशिक्षण का कार्य बंद था। मुख्यालय की तरफ से अभी 40 व्यक्तियों की ट्रेनिंग के लिए एमिनेशन उपलब्ध करवाय गया है। कारतूसों की कमी को देखते हुए जिला प्रशासन ने विभाग से ऐसे लोगों को ही ट्रेनिंग में प्राथमिकता देने की मांग की थी जो बदमाशों के निशाने पर हैं। इसलिए इस ट्रेनिंग में उन्हीं लोगों को प्राथमिकता दी गई है, जिन्हें इसकी जरुरत है। उन्होंने विभाग से ओर एमिनेशन की मांग की है। ताकि बचे हुए आवेदकों को भी प्रशिक्षण दिया जा सके।
बीरबल कुंडू, जिला कमांडेंट
गृहरक्षी विभाग, जींद 

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