बुधवार, 17 अक्तूबर 2012

पौधों के पास सुरक्षा के लिए होते हैं सुगंध रूपी अस्त्र व शस्त्र


कीटों से ज्यादा ताकतवार होते हैं पौधे

खाप प्रतिनिधियों ने किसान-कीट विवाद पर किया गहन मंथन

नरेंद्र कुंडू 
जींद। किसानों से ज्यादा ताकतवर कीट हैं और कीटों से ज्यादा ताकतवर पौधे हैं। किसानों के लिए कीटों को नियंत्रित करना मुश्किल है लेकिन पौधे कीटों को आसानी से काबू कर लेते हैं। पौधे सुगंध छोड़कर अपनी आवश्यकता के मुताबिक ही कीटों को बुलाते हैं और आवश्यकता पूरी होने पर अलग प्रकार की गंध छोड़कर कीटों को आसानी से भगता देते हैं। यह बात कृषि विभाग के अधिकारी डा. सुरेंद्र दलाल ने मंगलवार को निडाना गांव में किसान-कीट विवाद की सुनवाई के लिए आए विभिन्न खाप प्रतिनिधियों के समक्ष रखी। इस अवसर पर विवाद की सुनवाई के लिए किसान खेत पाठशाला में दलाल खाप के प्रधान एवं कृषि विभाग से सेवानिवृत्त एस.डी.ओ. भूप सिंह दलाल, तोमर खाप के प्रतिनिधि सुरेश कुमार तोमर, गांव मांडोठी (सोनीपत) के सरपंच रामचंद्र तथा एक मासिक पत्रिका के संपादक जसबीर मलिक भी मौजूद थे। बैठक में खाप प्रतिनिधियों ने किसान-कीट विवाद पर गहन मंथन किया।
डा. दलाल ने कहा कि पौधों के पास अपनी सुरक्षा के लिए न हाथ-पैर होते हैं और न देखने के लिए आंखें। पौधों के पास तो केवल उनके द्वारा छोड़ी जाने वाली सुगंध व गंध ही उनके लिए अस्त्र व शस्त्र का काम करती है। जब पौधे बढ़े हो जाते हैं और उनके निचले पत्तों को भोजन बनाने के लिए पर्याप्त धूप नहीं मिल पाती तो पौधे एक विशेष किस्म की सुंगध छोड़कर शाकाहारी कीटों को निमंत्रण देते हैं। इसके बाद शाकाहारी कीट पौधे के ऊपरी भाग के पत्तों को खाकर बीच से छेद देते हैं। इस प्रकार कीटों द्वारा पत्तों के बीच में किए गए छेद से नीचे के पत्तों पर धूप पहुंच जाती है और वे भी पौधे के लिए भोजन बनाने का काम करते हैं। मास्टर ट्रेनर मनबीर रेढ़ू ने बताया कि वैज्ञानिकों के तर्क के अनुसार कपास की फसल में अगर सफेद मक्खी की औसत प्रति पत्ता 6, हरा तेले की प्रति पत्ता 2 व चूरड़े की प्रति पत्ता 10 औसत आने लगे तो समझना चाहिए कि ये कीट फसल में नुक्सान पहुंचाने के स्तर पर पहुंच चुके हैं। लेकिन यहां के किसानों ने 31 जुलाई से लेकर 15 अगस्त तक के बीच के जो आंकड़े जुटाएं हैं उनमें कहीं भी ये कीट वैज्ञानिकों की इस लक्ष्मण रेखा को नहीं लांघ पाए हैं। रेढ़ू ने प्रयोगरत खेत के किसान का उदहारण खाप प्रतिनिधियों के समक्ष रखते हुए बताया कि इस 5 कनाल जमीन में अभी तक किसान ने बिना किसी कीटनाशक के प्रयोग से दो चुगवाई में 9 मण कपास प्राप्त कर ली है और जिसकी अभी ओर भी चुगवाई बाकी है। 

कीटनाशकों के प्रयोग से क्यों बढ़ती है कीटों की संख्या

निडाना में किसान खेत पाठशाला में भाग लेते किसान। 
भैण से आए एक किसान बलवान ने बताया कि जब किसान फसल में कीटनाशक का छिड़काव करता है तो कीट अपने वंश को बचाने के चक्कर में अपना जीवनकाल छोटा कर अपनी प्रजनन क्रियाएं तेज कर देते हैं। इसके अलावा कीटनाशक के प्रयोग के बाद पौधों की सुगंध छोडऩे की प्रक्रिया भी गड़बड़ा जाती है। इससे भ्रमित होकर एक साथ विभिन्न प्रकार के कीट फसल में आ जाता हैं। 


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