मंगलवार, 20 नवंबर 2012

महिला पाठशाला की मानीटरिंग के लिए ललीतखेड़ा पहुंची कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम


कहा: अगले वर्ष प्रदेश स्तर से शुरू होगी जहर से मुक्ति दिलवाने की मुहिम

नरेंद्र कुंडू 
जींद। कृषि विभाग की आत्मा स्कीम के तहत ललीतखेड़ा गांव में चल रही प्रदेश की एकमात्र महिला पाठशाला की निगरानी व पर्यवेक्षण के लिए शनिवार को कृषि मंत्रालय से अवर सचिव आर.एस. वर्मा तथा कृषि विस्तार प्रबंधन राष्ट्रीय संस्थान हैदराबाद की उप निदेशक डा. लक्ष्मी मूर्ति ललीतखेड़ा पहुंची। पाठशाला की मानिटङ्क्षरग के लिए पहुंचे दोनों अधिकारी पाठशाला की महिलाओं व मास्टर ट्रेनरों से रू-ब-रू हुए। महिलाओं की उपलब्धियों को देखते हुए विभागीय अधिकारियों ने महिलाओं व मास्टर ट्रेनरों की पीठ थपथपाई, वहीं पाठशाला की महिलाएं भी विभागीय अधिकारियों को अपने बीच पाकर गदगद थी। इस अवसर पर उनके साथ उपमंडल अधिकारी सुरेंद्र मलिक, खंड कृषि विकास अधिकारी डा. जे.पी. शर्मा, डा. सुरेंद्र दलाल व विषय विशेषज्ञ दीपिका भनवाला भी मौजूद थी। 
अधिकारियों को जानकारी देते ललीतखेड़ा की महिलाएं।

 महिलाओं से बातचीत करते विभागीय अधिकारी। 
महिला किसान मिनी, सविता, अंग्रेजो, यशवंती, सविता, शीला ने विभागीय अधिकारियों को पाठशाला के दौरान खोजे गए 119 मासाहारी व 43 शाकाहारी कीटों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। महिला किसानों ने बताया कि किसानों को बीमारी व कीटों के बीच के अंतर के बारे में जानकारी नहीं है। किसान पथभ्रष्ट होकर कीटनाशकों के माध्यम से कीटों को नियंत्रण करना चाहते हैं। महिलाओं ने बताया कि 'कीट नियंत्रणाय कीटा हि: अस्त्रामोघा' अर्थात कीट ही कीटों को नियंत्रण करने में सहायक हैं। कीटों को नियंत्रण करने के लिए कीटनाशकों की आश्यकता नहीं है। अनिता मलिक ने बताया कि उसने अपनी 7 कनाल जमीन पर बिना कीटनाशक का प्रयोग किए धान की 1121 किस्म की 40 मण की पैदावार ली है। महिलाओं ने बताया कि आज कोई भी किसान यह मानने को तैयार नहीं है कि बिना कीटनाशकों के भी खेती हो सकती है लेकिन पाठशाला में आने वाली अन्य महिलाओं ने ऐसे किसानों के इस सवाल का जवाब प्रमाण के साथ दिया है। उन्होंने इस बार बिना कीटनाशकों के कपास व धान की अच्छी पैदावार ली है। महिलाओं ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा सिर्फ 6 सत्र के लिए पाठशाला चलाने की योजना थी लेकिन यहां की महिलाओं ने विभाग पर बिना कोई अतिरिक्त बोझ डाले कपास की फसल के पूरे सीजन इस पाठशाला को चलाया है। विभागीय अधिकारियों ने महिलाओं की उपलब्धियों को देखते हुए उनकी इस मुहिम को अगले वर्ष प्रदेश स्तर पर चलाकर पूरे प्रदेश में फैलाने का आश्वासन दिया, ताकि प्रदेश के अन्य किसान भी जहर से मुक्ति पा सकें। इस अवसर पर उनके साथ मास्टर ट्रेनर रणबीर मलिक व मनबीर रेढ़ू भी मौजूद थे। 

अधिक उत्पादन के लिए खेत में पौधों की पर्याप्त संख्या व सिंचाई के लिए नहरी पानी जरूरी

सविता ने विभागीय अधिकारियों को बताया कि आज किसान पथभ्रष्ट होकर अधिक उत्पादन की चाह में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग कर रहा है। इससे हमारा खान-पान व पर्यावरण दूषित हो रहा है। उन्होंने बताया कि अच्छे उत्पादन के लिए खेत में पौधों की पर्याप्त संख्या के साथ-साथ ङ्क्षसचाई के लिए नहरी पानी की अहम भूमिका होती है। सविता ने बताया कि ललीतखेड़ा व आस-पास के गांवों का भूमिगत पानी खेती के योज्य नहीं है और यहां के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त नहरी पानी नहीं मिल पाता है। नहरों में थोड़ा बहुत जो पानी आता है वह चोरी हो जाता है। ऐसे में सीमांत व छोटे किसानों के लिए विकराल समस्या पैदा हो चुकी है।  



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