शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

मिलावटखोरों के सामने बौना साबित हो रहा फूड सेफ्टी विभाग


पिछले वर्ष लिए गए सैंपलों पर अभी तक नहीं हुई कार्रवाई

नरेंद्र कुंडू
जींद।  त्यौहारी सीजन के दौरान मिलावटखोरों पर नकेल कसने में फूड सेफ्टी विभाग भी बेबस नजर आ रहा है। नई मिलावटी मिठाई बाजार में आ चुकी है लेकिन विभाग अभी तक पिछले वर्ष मिलावटी मिठाई बेचकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है। पिछले वर्ष दीपावली के अवसर पर विभाग द्वारा लगभग 65 सैंपल लिए गए थे। इनमें से अब तक सिर्फ 50 के लगभग सैंपलों की रिपोर्ट ही विभाग के पास पहुंची है, जिनमें से भी सिर्फ 5 ही सैंपल संदेह के घेरे में आए हैं लेकिन विभाग अभी तक इनके खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाया है। एक वर्ष की लंबी अवधि बीत जाने के बाद भी अभी तक इन पांचों सैंपलों का केस अतिरिक्त उपायुक्त के पास ही विचाराधीन हैं। इस प्रकार जांच प्रक्रिया लंबी व धीमी होने के कारण विभाग मिलावटखोरों के सामने बौना साबित हो रहा है। 

त्यौहारी सीजन के दौरान मिलावटखोरी को रोकने के लिए फूड सेफ्टी विभाग हर वर्ष विशेष अभियान चलाता है। इस अभियान के तहत मिठाइयों की दुकानों से सैंपल भी लिए जाते हैं और इन्हें जांच के लिए लैब में भी भेजा जाता है लेकिन इसके बाद क्या होता है किसी को कुछ भी पता नहीं होता। लैब से रिपोर्ट आने में महीनों बीत जाते हैं। अगर लैब से रिपोर्ट आ भी जाती है तो सैंपल फेल होने वाले दुकानदारों पर समय रहते कार्रवाई नहीं हो पाती। फूड सेफ्टी विभाग से मिले आंकड़ों से यह बात साफ हो रही है। विभाग दीपावली पर मिलावटखोरी को रोकने के लिए नए सैंपल लेने में जुटा है लेकिन पिछले वर्ष लिए गए सैंपलों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। विभाग द्वारा पिछले वर्ष मिठाइयों के 65 के लगभग सैंपल लिए गए थे, जिनमें से अभी तक विभाग के पास लगभग 50 ही सैंपलों की रिपोर्ट पहुंची है। इसमें से सिर्फ 5 ही सैंपल संदेह के घेरे में आए हैं लेकिन अभी तक इनके खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। संदेह के घेरे में आने वाले इन पांचों दुकानदारों के खिलाफ विभाग द्वारा केस तो तैयार कर दिया गया लेकिन अभी तक यह केस अतिरिक्त उपायुक्त की टेबल से आगे नहीं बढ़ पाया है। बाजारा नई मिलावटी मिठाइयों से अटा पड़ा है लेकिन विभाग अभी तक पिछले वर्ष मिलावटी मिठाइयां बेचने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है। एक वर्ष की लंबी अवधि बीत जाने के बावजूद अभी तक मिलावटखोरों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि मिलावटखोरों पर नकेल डालने के लिए प्रशासन कितना सक्रिय है। जांच की इस लंबी व धीमी प्रक्रिया के कारण मिलावटखोरों के जहन से विभागीय अधिकारियों का खौफ निकल जाता है।

बिना लाइसैंस के ही चल रही हैं मिठाई की दुकानें 

मिलावटी खाद्य पदार्थों को रोकने के लिए फूड सेफ्टी एक्ट के तहत विभाग ने पंजीकरण सिस्टम शुरू किया हुआ है। इसके तहत दुकानदारों को विभाग की वेबसाइट पर अपना पंजीकरण करवाकर लाइसैंस लेना होता है लेकिन विभागीय अधिकारियों के अनुसार अभी तक शहर में एक भी मिठाई विक्रेता ने लाइसैंस नहीं लिया है। शहर में बिना लाइसैंस के ही मिठाई की दुकानें चल रही हैं और खुलेआम मीठा जहर बिक रहा है। जिला प्रशासन की नाक के नीचे ही बिना लाइसैंस के मिठाई की दुकानें चलने से यह बात साफ हो जाती है कि जिला प्रशासन व विभाग मिलावटखोरी को रोकने के लिए कितना सजग है।

रिपोर्ट के आधार पर होती है कार्रवाई

इस बारे में फूड सेफ्टी विभाग के इंस्पैक्टर एन.डी. शर्मा से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि सैंपल लेने के बाद जांच के लिए लैब में भेज दिए जाते हैं। लैब से रिपोर्ट आने में समय लगता है। रिपोर्ट के आधार पर ही विभाग आगे कार्रवाई करता है। पिछले वर्ष 65 सैंपल लिए गए थे, जिनमें से 50 के लगभग सैंपलों की रिपोर्ट आ चुकी है। इसमें से 5 सैंपलों की रिपोर्ट सही नहीं है। इन पांचों सैंपलों का केस तैयार कर कार्रवाई के लिए ए.डी.सी. को सौंपा गया है। पंजीकरण करवाकर लाइसैंस लेने के लिए विभाग द्वारा समय-समय पर दुकानदारों को जागरूक किया जाता है।  



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