रविवार, 2 दिसंबर 2012

दुकानदारों के सामने बौना साबित हो रहा फूड सेफ्टी एक्ट


विभाग के पास अभी तक पहुंचे महज 100 आवेदन

नरेंद्र कुंडू 
जींद।जिले के दुकानदारों के सामने फूड सेफ्टी एक्ट बौना साबित हो रहा है। दुकानदारों के लिए यह एक्ट बेमानी साबित हो रहा है। लोगों की सेफ्टी के लिए फूड सेफ्टी एक्ट तो बन गया और लागू भी हो गया लेकिन जनता की सेफ्टी अभी तक नहीं हो सकी है। एक्ट के प्रति न तो अधिकारी ही रुचि दिखा रहे और न ही दुकानदार परवाह कर रहे हैं। इस एक्ट को लागू हुए एक साल से ऊपर चुके हैं, लेकिन अभी तक महज 100 लाइसैंस के लिए आवेदन पहुंचा है। अधिकारियों की लापरवाही व जागरुकता के अभाव से यह एक्ट बेमौत मरने के कगार पर है। अगस्त 2011 में केन्द्र व राज्य सरकार ने खाद्य वस्तुओं में बढ़ रही मिलावट को रोकने तथा लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले लोगों पर लगाम कसने के लिए फूड सेफ्टी कानून बनाया। इसके तहत एक दूध विक्रेता से लेकर खाद्य वस्तुओं का बड़ा कारोबार करने वाले तक लाइसैंस बनाना अनिवार्य किया गया है। जिसका मुख्य मकसद खाद्य वस्तुओं की बिक्री करने वाले दुकानों व अन्य उत्पादों का निर्माण करवाने वाले प्रतिष्ठानों की पहचान करना था, ताकि समय-समय पर उनकी जांच की जा सके। लेकिन जिले में इस एक्ट का कोई असर होता दिखाई नहीं दे रहा है। जिले में इस समय खाद्य वस्तु से संबंधित लगभग सात हजार से अधिक दुकानें चल रही है, लेकिन केवल 100 दुकानदारों ने ही इस एक्ट के प्रति रूचि दिखाई है। जिले में फूड सेफ्टी एक्ट केवल कागजों में ही सिमटकर रह गया है। हालांकि केन्द्र सरकार ने लाइसैंस बनाने की इस प्रक्रिया को मार्च 2012 माह तक पूरा करने के दिए थे, लेकिन इस दौरान कार्य पूरा न होने के चलते बाद में इसकी तिथि को बढ़ाकर अगस्त 2012 तक का समय दे दिया था। लेकिन एक्ट को लागू होने के एक साल तीन माह बीत गए है, लेकिन लाइसैंस बनाने की जो रफ्तार नहीं पकड़ी। शहर के खाद्य विक्रेता पंजीकरण से दूर रहना चाहते हैं। 

7 हजार से अधिक चलती है दुकानें

सरकारी आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो जिले में सात हजार से अधिक दुकानों के अलावा हजारों ऐसे लोग हैं, जो दूध बेचने से लेकर दूसरी खाद्य वस्तुओं की बिक्री बड़े से छोटे स्तर पर कर रहे हैं। लेकिन मात्र 100 दुकानदार ही ऐसे है, जिसने फूट सेफ्टी एक्ट का समर्थन करते हुए लाइसैंस लिया है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 31 के तहत सभी खाद्य कारोबार करने वालों को लाइसैंस अथवा पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। अधिनियम के प्रावधान के अनुसार खाद्य कारोबार चाहे लाभ के लिए हो या न हो, सार्वजनिक व निजी रूप से खाद्य पदार्थों का निर्माण, पैकेज, भंडारण, वितरण या आयात करता है तो इस अधिनियम के तहत लाइसैंस या पंजीकरण जरूरी है। इसके अतिरिक्त खाद्य सेवा कैटङ्क्षरग खाद्य संघटक की बिक्री भी पंजीकरण के प्रावधानों में है। छोटा फुटकर विक्रेता, फेरी वाला, अस्थायी स्टाल धारक, कैटरर, कार्यक्रम में खाद्य वस्तुओं के वितरण को भी इस अधिनियम के तहत शामिल किया गया है।

क्यों जरूरी है लाइसैंस

राज्य और केन्द्र सरकार की ओर से फूड सेफ्टी एक्ट के तहत फूड लाइसैंस देने का प्रावधान है, ताकि संबंधित व्यापारी से यह गारंटी ली जा सके कि वह ऐसी कोई खाने, पीने की चीजें नहीं बेचेगा जो तय मापदंडों पर खरी नहीं उतरती, मिलावटी और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो। अगर खानपान का व्यापार करने वाला कोई भी व्यापारी मसलन परचून वाले, होटल, रेस्तरां, दुकानें आदि यह लाइसैंस नहीं लेता है तो फूड सेफ्टी एक्ट के सेक्शन 63 के अनुसार उसके 5 लाख रुपए तक का जुर्माना और छह महीने तक की जेल हो सकती है।

फूड सेफ्टी एक्ट की कैटेगरी

1. सालाना 12 लाख से कम का टर्नओवर या फिर प्रतिदिन 100 किलोग्राम से कम की सेल वाले छोटे व्यापारियों के लिए 100 रुपए का डी.डी. देकर रजिस्ट्रेशन। 
2.  12 लाख से ज्यादा के टर्नओवर या प्रतिदिन सौ किलोग्राम से ज्यादा की सेल करने वाले व्यापारियों को लाइसैंस के लिए 2 हजार रुपए का डी.डी.।
3.  उत्पादन के लिहाज से 1 हजार किलोग्राम से कम उत्पादन करने वाले व्यापारियों के लिए 3 हजार रुपए का डी.डी.।
4.  एक हजार किलो से ज्यादा उत्पादन करने वालों के लिए 5 हजार रुपए का डिमांड ड्राफ्ट।
5.  जिन व्यापारियों का 2 हजार किलो से ज्यादा का उत्पादन है, उन्हें लाइसेंस देने का अधिकार केन्द्र सरकार का है। इसके लिए डिमांड ड्राफ्ट भी 7 हजार रुपए का होगा।

चलाया जाता है जागरूकता अभियान

जे.एफ.आई. एन.डी. शर्मा ने कहा कि खाद्य पदार्थों की बिक्री करने वाले सभी दुकानदारों लाइसैंस लेना अनिवार्य है। अब तक उनके पास केवल 100 दुकानदार का ही लाइसैंस बनवाने के लिए आवेदन किया है। सरकार ने अब रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए फरवरी 2013 तक का समय दिया गया है। इसके लिए विभाग की तरफ से विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा और प्रत्येक दुकानदार को रजिस्ट्रेशन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। अगर उसके बाद भी कोई दुकानदार रजिस्ट्रेशन नहीं करवाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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