शिव भक्तों की आस्था पर भारी पड़ी आपदा
कांवडिय़ों पर नजर आया उत्तराखंड आपदा का असर
उत्तराखंड आपदा के कारण इस बार कांवडिय़ों की संख्या में आई कमी
नरेंद्र कुंडूजींद। उत्तराखंड में आई आपदा शिव भक्तों की आस्था पर भारी पड़ रही है। आपदा का प्रभाव इस बार शिव भक्तों पर साफ नजर आ रहा है। इसके चलते इस बार पिछले वर्षों की भांति कांवडिय़ों की संख्या में काफी कमी नजर आ रही है। अन्य वर्षों के मुकाबले इस बार मात्र 10-15 प्रतिशत कांवडिय़े ही हरिद्वार व गौमुख से कांवड़ लेकर पहुंच रहे हैं। कांवडिय़ों की कम संख्या के कारण ही इस बार कांवडिय़ों की सेवा के लिए लगाए जा रहे शिविर भी खाली-खाली नजर आ रहे हैं।
सावन का महीना आते ही हरिद्वार और गौमुख से शिव की कांवड़ लाने के लिए शिव भक्तों में एक तरह से होड़ सी लग जाती थी। अकेले हरियाणा से लाखों की संख्या में श्रद्धालु कांवड़ लाने के लिए हरिद्वार का रुख करते थे। शिव भक्त अपने आराध्य देव भगवान शिव शंकर को प्रसन्न करने के लिए गौमुख तथा हरिद्वार से कांवड़ में गंगाजल भरकर लेकर आते थे। शिव रात्रि के नजदीक आते-आते सड़कों पर हर तरफ कांवडिय़ों का हुजूम नजर आने लगता था और शिव के जयकारों के कारण पूरा माहौल शिवमय हो जाता था लेकिन इस बार उत्तराखंड में भीष्ण त्रास्ती आने तथा त्रास्ती में हजारों लोगों की मौत ने शिव भक्तों की आस्था पर गहरा प्रहार किया है। आपदा के कारण उत्तराखंड में हुए विनाश की कहानी सुनकर इस बार हरिद्वार की तरफ शिव भक्तों के रुझान में भी काफी कमी आई है। इसी का परिणाम है कि अन्य वर्षों की भांति इस वर्ष काफी कम संख्या में शिव भक्त हरिद्वार व गौमुख से कांवड़ लेकर यहां पहुंच रहे हैं। शिव रात्रि नजदीक आ चुकी है लेकिन सड़कों पर शिव भक्तों की तादात बहुत कम नजर आ रही है। अन्य वर्षों की भांति इस वर्ष महज 10-15 प्रतिशत श्रद्धालु ही कांवड़ लेने हरिद्वार पहुंचे हैं। शिव भक्तों की विमुखता के कारण इस बार शिव भक्तों के ठहराव के लिए बनाए गए शिविर भी खाली-खाली नजर आ रहे हैं।
हरिद्वारा से कांवड़ लेकर पहुंचे शिव भक्त।
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जींद-सफीदों मार्ग पर पगडिय़ों उगी झाडिय़ां। |
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