शनिवार, 17 मई 2014

गेहूं की कटाई के बाद कपास की बिजाई ने पकड़ी रफ्तार

बिजाई के दौरान विशेष बातों का ध्यान रखें किसान
अच्छे उत्पादन के लिए पौधों की पर्याप्त संख्या, खुराक व अच्छा पानी है प्राथमिकता
जिले में ६५ से ७० हजार हैक्टेयर में होती है कपास की खेती

नरेंद्र कुंडू 
जींद। गेहूं की कटाई खत्म होते ही कपास के उत्पादन क्षेत्र के किसान नरमा की बिजाई में जुट गए हैं। जींद जिले में 65  से 70  हजार हैक्टेयर में कपास की खेती होती है और इस बार यह आंकड़ा बढऩे की संभावना है। कपास की अधिक पैदावार लेने के लिए किसान बीज की अच्छी किस्म से लेकर बिजाई के दौरान भिन्न-भिन्न किस्म के तरीके अपना रहे हैं। कपास की बिजाई के सीजन को देखते हुए कृषि विभाग द्वारा भी किसानों को बिजाई के दौरान कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखने के लिए विशेष गाइड लाइन जारी की गई हैं। कृषि विभाग तथा प्रगतिशील किसानों की मानें तो किसी भी फसल के अच्छे उत्पादन के लिए सबसे पहली प्राथमिकता खेत में पर्याप्त पौधों का होना तथा सिंचाई के लिए अच्छा पानी होना है। अगर बिजाई के दौरान किसान खेत में पौधों की पर्याप्त संख्या पर ध्यान नहीं देंगे तो इससे अच्छे उत्पादन की उम्मीद नहीं लगाई जा सकती। पौधों की पर्याप्त संख्या के बाद पौधों के लिए सही मात्रा में खाद व पानी की आवश्यकता पड़ी है। इसके साथ-साथ किसान अधिक उत्पादन के लिए लंबी अवधि की किस्म की बिजाई भी कर सकते हैं। लंबी अवधि की किस्म की बिजाई कर किसान कपास की फसल में ही रीले क्रापिंग विधि से गेहूं की बिजाई कर सकते हैं। इससे भी कपास के उत्पादन में काफी बढ़ौतरी होगी।

खेत में पौधों की पर्याप्त संख्या पहली प्राथमिकता 

कपास के अच्छे उत्पादन के लिए खेत में सबसे पहले पौधों की पर्याप्त संख्या जरूरी है। अगर खेत में पौधों की संख्या पर्याप्त नहीं होगी तो इससे उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। एक एकड़ में कपास के पौधों की संख्या 4000  से 4800  के बीच में होनी चाहिए। बिजाई के दौरान पौधों के बीच की दूरी का भी विशेष ध्यान रखें। पौधें के बीच का फासला सही होने से पौधों का धूप सही तरीके  से मिल पाएगी और इससे पौधा आसानी से भोजन बना सकेगा और उससे उत्पादन भी बढ़ेगा। बिजाई के दौरान एक पौधे से दूसरे पौधो के बीच की दूरी अढ़ाई से तीन फीट के बीच होनी चाहिए।

फसल में कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग पर अंकुश लगाकर घटाया जा सकता है खर्च

किसान अधिक उत्पादन की चाह में फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग कर रहा है। इससे किसान का खेती पर खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है और मुनाफा कम हो रहा है। किसान कीटनाशकों के इस बढ़ते प्रयोग को कम कर भी अपनी आमदनी बढ़ा सकता है, क्योंकि कपास की फसल में कीटनाशकों के प्रयोग की जरूरत नहीं होती है। कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि कपास की फसल में मांसाहारी तथा शाकाहारी दो किस्म के कीट होते हैं और पौधे समय-समय पर अपनी जरूरत के अनुसार इन कीटों को भिन्न-भिन्न किस्म की सुगंध छोड़कर अपनी सहायता के लिए बुलाते हैं लेकिन किसान जागरूकता के अभाव में कीटनाशकों का प्रयोग कर इनका खात्मा कर देते हैं। इसलिए किसानों को कीटनाशकों का प्रयोग करने की बजाए कीटों के क्रियाकलापों को समझने की जरूरत है। क्योकि कीटनाशकों के अधिक प्रयोग के कारण पौधों की सुगंध छोडऩे की क्षमता गड़बड़ा जाती है और इससे फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

बीज की किस्म को लेकर असमंजस में न पड़ें किसान

कपास की बिजाई के दौरान किसान बीटी बीज की किस्म को लेकर असमंजस में न पड़ें। क्योंकि इस समय बाजार में कपास की हजारों तरह की किस्म और कृषि विभाग के अधिकारी भी उन किस्मों की सिफारिश नहीं कर रहे हैं। ऐसे में किसान अपने विवेक से काम ले और जो भी बीज उसका जांच व परखा हुआ है और जिस बीज पर उसे विश्वास है उसी बीज की बिजाई करे। नए किस्म के बीजों की बिजाई नहीं करें। किसान बीटी की बजाए देशी बीज की बिजाई भी कर सकते हैं। इसके अलावा कपास की फसल के बीच-बीच में मूंग या बेल वाली सब्जियों की बिजाई भी कर सकते हैं।

सीधे की बजाए डोलियां बनाकर करें बिजाई

मौसम के बिगड़ते मिजात को देखते हुए किसानों को कपास की सीधी बिजाई करने की बजाए डोलियां बनाकर बिजाई करनी चाहिए। अगर किसान कपास की बिजाई हाथ से चौब कर करें तो बीज के साथ गोबर की खाद भी डालें। इसके अलावा बाजार से बीज खरीदते समय किसान विशेष सावधानी रखें। बीज खरीदने के बाद दुकानदार से पक्का बिल अवश्य लें और यदि कोई दुकानदार पक्का बिल नहीं देता है और बीज के साथ टैगिंग करता है तो तुरंत इसकी सूचना कृषि विभाग के अधिकारियों को दें।

बीटी की बिजाई करने वाले किसान रखें ध्यान 

जिले में ज्यादातर किसान अधिक उत्पादन के लिए बीटी बीज की बिजाई करता है। बीटी की बिजाई करने वाले किसानों इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बीटी की किस्म को तैयार होने के लिए ज्यादा खुराक की जरूरत होती है। इसलिए बीटी की बिजाई के लिए एक एकड़ में 20 किलो पोटाश, एक बेग डीएपी, 20 किलो यूरिया तथा 10 किलो जिंक
सल्फेट जरूर डालें। जिस क्षेत्र में पानी ज्यादा खारा है, उस क्षेत्र के किसानों को कपास की बिजाई से पहले प्रति एकड़ के अनुसार कम से कम 8 से 10 ट्राली गोबर की खाद डालनी चाहिए। क्योंकि कपास के पौधे कम नमक को तो सहन कर लेते हैं लेकिन अधिक नमक को सहन नहीं कर पाते। इसके अलावा नरमा की बिजाई के 15 दिन बाद से ही फसल की नुलाई-गुडाई शुरू कर देनी चाहिए। तापमान अधिक होने पर 4-5 दिन के अंतर में हल्के पानी का स्प्रे जरूर करना चाहिए। पौधों को पर्याप्त खुराक देने के लिए 15 दिन के अंतर पर प्रति एकड़ में आधा किलो जिंक, अढ़ाई किलो यूरिया तथा अढ़ाई किलो डीएपी का 100 लीटर पानी में घोल तैयार कर पौधों पर छिड़काव करना चाहिए।
डॉ. कमल सैनी, एडीओ
कृषि विभाग, रामराय

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