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कीटों की ‘कलाइयों’ पर भी सजा बहनों का प्यार

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‘हो कीड़े भाई म्हारे राखी के बंधन को निभाना’  राखी बांधकर कीटों से शुगुन के तौर पर मांगी फसलों की सुरक्षा नरेंद्र कुंडू जींद। भाई व बहन के प्यार के प्रतीक रक्षाबंधन के त्योहार पर आप ने बहनों को भाइयों की कलाइओं पर राखी बांधते हुए तो खूब देखा होगा, लेकिन कभी देखा या सुना है कि किसी लड़की या किसी महिला ने कीट को राखी बांधकर अपना भाई माना हो और कीट ने उसे राखी के बदले कोई शुगुन दिया हो नहीं ना। लेकिन निडाना व ललीतखेड़ा गांव की महिलाओं ने रक्षाबंधन के अवसर पर कीटों की कलाइयों पर बहन का प्यार सजाकर यानि राखी बांधकर ऐसी ही एक नई रीति की शुरूआत की है। महिलाओं ने कीटों के चित्रों पर प्रतिकात्मक राखी बांध कर इन्हें अपने परिवार में शामिल कर इनको बचाने का संकल्प लिया है। कीट मित्र महिला किसानों ने बुधवार को ललीतखेड़ा गांव में पूनम मलिक के खेतों पर आयोजित महिला किसान पाठशाला में रक्षाबंधन के अवसर पर मासाहारी कीटों के चित्रों पर राखी बांध कर कीटों को भाई के रूप में अपना लिया। इसके साथ ही इन अनबोल मासाहारी कीटों ने भी इन महिला किसानों को शुगुन के रूप में उनकी थाली से जहर कम करने का आश्वासन दिय

अब ‘लाडो’ के संदेश से शुरू होगी पंचायतों की कार्रवाई

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बेटी को बचाने के लिए खाप प्रतिनिधियों ने शुरू की ऐतिहासिक व सकारात्मक पहल नरेंद्र कुंडू जींद। आनर किंलिंग व गौत्र विवाद जैसे संवेदनशील मामलों में फतवे जारी करने के लिए बदनाम हुई खाप पंचायतें अब ‘लाडो’ को बचाने के लिए दुनिया को रास्ता दिखाएंगी। बेटी बचाने के लिए खाप पंचायतों ने अब एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब किसी भी मसले को सुलझाने के लिए आयोजित होने वाली पंचायतों की कार्रवाई ‘बेटी बचाओ’ के संदेश से शुरू होगी। पंचायत के अध्यक्ष द्वारा पंचायत की कार्रवाई शुरू करने से पहले बेटी के महत्व के बारे में बताते हुए सभी लोगों को बेटी बचाओ का संकल्प दिलवाया जाएगा। बेटी बचाओ के संकल्प के बाद ही पंचायत की आगामी कार्रवाई शुरू हो सकेगी। कन्या भ्रूण हत्या के कारण गिरते लिंगानुपात को सुधारने तथा अजन्मी कन्या को उसका हक दिलवाने का बीड़ा अब खाप पंचायतों ने अपने कंधों पर उठाया है। बेटी को बचाने के लिए खाप पंचायतों ने एक अनोखा रास्ता ढुंढ़ निकाला है। हालांकि कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए खाप प्रतिनिधि 14 जुलाई को बीबीपुर गांव में सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत से इस लड़ाई का शंखनाद कर चुके हैं। इ

फाइलों से नहीं निकल पाई निर्मल ग्राम पुरस्कार में हुई फर्जीवाड़े की जांच

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निर्मल गांव के ताज पर पड़े गंदगी के छींटे नरेंद्र कुंडू जींद। निर्मल ग्राम पुरस्कार के लिए जिले से गांवों का चयन करने में हुए फर्जीवाड़े को दबाने में जिला प्रशासन कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। पहले तो जिला प्रशासन ने ऐसे गांवों को निर्मल ग्राम पुरस्कार दिलवा दिया जो निर्मल गांव की शर्तें पूरी करने में कोसों दूर थे। लेकिन जब निर्मल गांव का ताज पहनने वाले गांवों की असली तस्वीरें जिले के लोगों के सामने आई तो प्रशासनिक अधिकारियों ने अपनी शाख बचाने के लिए अलग से कमेटी बनाकर इन गांवों की जांच करवाने का ढोंग रच दिया। इस फर्जीवाड़े पर लीपापोती करने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा शुरू किए गए जांच के ड्रामे को दो माह से भी ज्यादा का समय हो गया, लेकिन अभी तक न तो जांच के लिए कोई कमेटी बनी और न ही किसी गांव का दोबारा से निरीक्षण हुआ।  सरकार द्वारा देश को स्वच्छ बनाने के लिए शुरू की गई निर्मल ग्राम पुरस्कार योजना को जिले में करारा झटका लगा है। प्रदेश सरकार द्वारा मई माह में करनाल में कार्यक्रम का आयोजन कर प्रदेश के 330 गांवों को निर्मल पुरस्कार से नवाजा गया था। इस पुरस्कार के लिए जींद जि

आखरी सांस तक जारी रखेंगी लड़ाई

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  नरेंद्र कुंडू जींद। कीट चाहे शाकाहारी हों या मासाहारी दोनों ही किस्म के कीटों ने कीट मित्र महिलाओं के साथ दोस्ती कर ली है। जैसे ही महिलाएं महिला किसान पाठशाला में पहुंचती हैं, वैसे ही कीट महिलाओं के पास आकर  बैठ जाते हैं। बुधवार को ललीतखेड़ा गांव की महिला किसान पूनम मलिक के खेत पर जैसे ही महिलाओं का आगम शुरू हुआ, वैसे ही कीटों ने भी पाठशाला में दस्तक दे दी। पाठशाला शुरू होने से पहले ही सुमित्रा के हाथ पर कातिल बुगड़ा तथा सुषमा के हाथ पर मटकु बुगड़ा आकर बैठ गया। पाठशाला का आरंभ खाप पंचायतों के संचालक कुलदीप ढांडा ने कैप्टन लक्ष्मी सहगल की मृत्यु पर दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर की। ढांडा ने बताया कि कैप्टन लक्ष्मी सहगल नेता जी सुभाष चंद्र बोस की रानी झांसी रेजिमेंट की कैप्टन थी और इन्होंने देश की आजादी के बाद गरीबों के इलाज का बीड़ा उठाया था। उन्होंने बताया कि सहगल ने मृत्यु के तीन दिन पहले तक कानपुर में मरीजों का इलाज किया था। अंग्रेजो ने कहा कि देश को जहर से बचाने के लिए छेड़ी गई इस लड़ाई को वे आखरी सांस तक जारी रखेंगी और यही कैप्टन लक्ष्मी सहगल को सच्ची श्र

....खेलों के क्षेत्र में छात्राओं को तरासने की कवायद

नरेंद्र कुंडू जींद। पढ़ाई के साथ-साथ लड़कियों को खेल के क्षेत्र में और आगे बढने के लिए सर्व शिक्षा अभियान द्वारा एक नई पहल शुरू की गई है। इस पहल के अनुसार एसएसए पहली कक्षा से आठवीं कक्षा तक की छात्राओं के लिए खेलकूद प्रतियोगिताएं व सहपाठयक्रम गतिविधियों का आयोजन करवाएगा। प्रतियोगिता को दो ग्रुपों में बांटा जाएगा। पहले ग्रुप में पहली से पांचवीं तथा दूसरे ग्रुप में छठी से आठवीं कक्षा तक की छात्राओं को शामिल किया जाएगा। इसके लिए एसएसए ने जिले को दो भागों में बांटा है। पहले ग्रुप में शैक्षणिक रुप से पिछड़े तथा दूसरे ग्रुप में सामान्य खंडों को शामिल किया गया है। प्रदेश में इस वर्ष से पहली बार इन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। सर्व शिक्षा अभियान द्वारा छात्राओं को पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद प्रतियोगिताओं में आगे बढ़ाने के लिए छात्राओं के लिए खेलकूद व सहपाठयक्रम गतिविधियों का आयोजन करवाया जाएगा। इन गतिविधियों में पहली से आठवीं तक की छात्राएं ही भाग ले सकेंगी। प्रतियोगिताओं की शुरूआत खंड स्तर से होगी। खंड स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली छात्राएं जिला स्तर पर होने वाली प्रतियोगिताओं

कीटों-किसान मुकदमे की सुनवाई के लिए पाठशाला में पहुंचे खाप प्रतिनिधि

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कहा कीटों को नियंत्रित करने के लिए कीट ही अचूक अस्त्र नरेंद्र कुंडू    जींद। ‘कीट नियंत्रणाय कीटा: हि:अस्त्रामोघा’ अर्थात कीटों को नियंत्रित करने के लिए कीट ही अचूक अस्त्र है। यह बात कीट कमांडो किसान रणबीर मलिक ने मंगलवार को निडाना गांव के खेतों में आयोजित किसान पाठशाला में पहुंचे खाप प्रतिनिधियों के सामने कीटों की पैरवी करते हुए रखी। पिछले कई दशकों से किसानों व कीटों के बीच चले आ रहे झगड़े को निपटाने के लिए खाप पंचायत की अदालत में आए मुकदमे की सुनवाई के लिए खाप प्रतिनिधि किसान पाठशाला में पहुंचे थे। खाप पंचायत की तरफ से आए सफीदों बारहा प्रधान रणबीर देशवाल, किनाना बाराह के प्रधान दरिया सिंह सैनी, हाट बारहा के प्रधान दयारनंद बूरा व हटकेश्वर धाम कमेटी के प्रधान बलवान सिंह बूरा ने कीट कमांडो किसानों के साथ खेत में बैठकर कीटों व पौधों की भाषा सीखने के लिए प्रयास किए। पाठशाला में किसानों ने 6 ग्रुप बनाकर कीटों का सर्वेक्षण किया। खाप प्रतिनिधियों ने कीट सर्वेक्षण में पाया कि कपास के इस खेत में रस पीकर गुजारा करने वाली सफेद मक्खी, हरा तेला व चूरड़ा हानि पहुंचाने की स्थिति से काफी नीचे

दूसरी फसल के कीटों ने भी दी महिला किसान पाठशाला में दस्तक

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नरेंद्र कुंडू जींद। नजारा है ललीतखेड़ा गांव की महिला किसान पाठशाला का। पाठशाला की शुरूआत के साथ ही मास्टर ट्रेनर महिला किसान कविता ने महिलाओं को एक नई किस्म का कीट दिखाया, जिसका पेट भिरड़ जैसा था। इस कीट को निडाना व ललीतखेड़ा की महिलाओं ने खेतों में पहली बार देखा था। कीट को देखते ही नारो पूछ बैठती है आएं यू डांगरां की माच्छरदानी आला कीड़ा आड़ै खेतां में के कैरा सै। इसे-इसे कीड़े तो डांगरां की माच्छरदानी में घैने पाया करें सैं। कविता ने नारो की बात को बीच में ही काटते हुए महिलाओं को नए कीट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह नए किस्म की लोपा मक्खी है जो खान-पान के आधार पर मासाहारी होती है। इस मक्खी की तीन जोड़ी पैर व दो जोड़ी पंख होते हैं। अकसर किसान इसे हैलीकॉपटर के नाम से पुकारते हैं। कविता ने बताया कि यह धान में लगने वाले तना छेदक, पत्ता लपेट के पतंगों का उडते हुए शिकार कर लेती है। कविता ने कहा कि जब पतंगे नहीं रहेंगे तो अंडे कहां से आएंगे और अंडे ही नहीं होंगे तो सुंडी नहीं नए किस्म की लोपा मक्खी आएंगी। सविता ने बताया कि लोपा मक्खी अपने अंडे धान के खेत में खड़े पानी