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पौधों और कीटों के बीच है गहरा संबंध

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पौधे अपनी जरूरत के अनुसार बुलाते हैं कीटों को  नरेंद्र कुंडू  जींद। कीटाचार्या नीता तथा सविता ने कहा कि कीट दो प्रकार के होते हैं, एक शाकाहारी और दूसरे मांसाहारी। फसल में पहले शाकाहारी कीट आते हैं और फिर उन्हें नियंत्रित करने के लिए मांसाहारी कीट आते हैं। पौधों और कीटों का गहरा संबंध है। पौधे अपनी जरूरत के अनुसार कीटों को बुलाते हैं। इसलिए पौधों और कीटों के आपसी संबंध को बारीकी से समझना जरूरी है। कीटाचार्या नीता तथा सविता शनिवार को निडाना गांव में चलाई जा रही महिला किसान खेत पाठशाला में महिला किसानों को सम्बोधित कर रही थी। इस अवसर पर खेल गांव निडानी के सरपंच अशोक कुमार ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की तथा महाबीर पूनिया भी विशेष रूप से मौजूद थे। सरपंच अशोक कुमार ने महिलाओं के कार्य के प्रयासों की सराहना करते हुए महिलाओं को समय-समय पर हर तरह की संभव मदद देने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर महिला किसानों ने सरपंच को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया।  महिला किसानों के सामने अपने अनुभव सांझा करती मास्टर ट्रेनर किसान। कीटाचार्या इश्वंती व नीलम ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि प

म्हारे किसानों के कीट ज्ञान के कायल हुए कृषि वैज्ञानिक

कानूपर में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में किसानों ने प्रस्तुत की प्रजंटेशन कहा, बिना कीटों की पहचान के नहीं संभव होगा थाली को जहरमुक्त करना नरेंद्र कुंडू  जींद। राष्ट्रीय समेकित नाशी जीव प्रबंधन केंद्र नई दिल्ली (एनसीआईपीएम) द्वारा कानपूर (उत्तरप्रदेश) में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में म्हारे किसानों का कीट ज्ञान देखकर कार्यक्रम में मौजूद सभी कृषि वैज्ञानिक उनके कायल हो गये। कार्यक्रम में नार्थ जोन के सब्जेक्ट मेटर स्पेशलिस्ट (विषय वस्तु विशेषज्ञों) के अलावा कई प्रगतिशील किसानों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम में जींद जिले के कीटाचार्य किसानों की तरफ से मास्टर ट्रेनर किसान रणबीर मलिक व सुरेश अहलावत प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हुए। रणबीर मलिक ने कृषि अधिकारियों के साथ अपने अनुभव सांझा करते हुए बताया कि किस तरह से फसलों में कीटनाशकों के प्रयोग की शुरूआत हुई और अब किसानों के सामने क्या स्थिति है तथा वह किस तरह से किसानों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। कीटाचार्य किसानों की कीट ज्ञान की पद्धति को देखकर कार्यक्रम में मौजूद सभी कृषि अधिकारियों ने उनकी पीठ थपथपाई और उन्हें एक त

नार्थ जोन के कृषि वैज्ञानिकों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगे म्हारे किसान

एनसीआईपीएम द्वारा उत्तरप्रदेश में आयोजित करवाया जाएगा दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 26 से शुरू होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम में नार्थ जॉन के सब्जेक्ट मेटर स्पेशलिस्ट कृषि वैज्ञानिक लेंगे भाग  नरेंद्र कुंडू जींद। थाली को जहरमुक्त करने के लिए जींद जिले से शुरू हुई कीट ज्ञान क्रांति की मुहिम को देशभर में फैलाने के लिए राष्ट्रीय समेकित नाशी जीव प्रबंधन केंद्र नई दिल्ली (एनसीआईपीएम) द्वारा कानपूर (उत्तरप्रदेश) में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। 26 अगस्त से शुरू होने वाले इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि विभाग के नार्थ जोन के सब्जेक्ट मेटर स्पेशलिस्ट (विषय वस्तु विशेषज्ञ) भाग लेंगे। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में जींद जिले के कीटाचार्य किसान कृषि वैज्ञानिकों को कीट ज्ञान की तालीम देंगे और कृषि वैज्ञानिकों के साथ अपने अनुभव सांझा करेंगे। ताकि देश के अन्य किसानों को भी इस मुहिम से जोड़ा जा सके। शिविर की अध्यक्षता एनसीआईपीएम के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मुकेश सहगल तथा वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अजनता बिराह करेंगी।  फसलों में बढ़ते कीटनाशकों के प्रयोग के कारण दूषित हो

ईटीएल लेवल को पार करना तो दूर इसके पास भी नहीं पहुंच पाये कपास के मेजर कीट

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कीट ज्ञान की मदद से कपास के मेजर कीटों के प्रकोप को कम कर रहे कीटाचार्य किसान प्रदेश में कपास की फसल में तेजी से बढ़ रहा है सफेद मक्खी का प्रकोप  नरेंद्र कुंडू  जींद। कीटाचार्या प्रमिला रधाना ने बताया कि जहां-जहां पर भी सफेद मक्खी को नियंत्रित करने के लिए किसानों ने कीटनाशकों का प्रयोग किया है, वहां-वहां पर इसके भयंकर परिणाम सामने आ रहे हैं। कई क्षेत्रों में तो सफेद मक्खी के प्रकोप से कपास की फसल बिल्कुल खत्म होने की कगार पर है। हालात ऐसे हो चुके हैं कि सफेद मक्खी का नाम सुनते ही किसानों के पैरों तले से जमीन खिसक रही है लेकिन जहां पर सफेद मक्खी को नियंत्रित करने के लिए किसी कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया गया, वहां पर हालात पूरी तरह से सामान्य हैं। इसका जीता जागता प्रमाण निडाना तथा आस-पास के गांवों में देखा जा सकता है। वह शनिवार को निडाना गांव में चलाई जा रही महिला किसान खेत पाठशाला में महिलाओं के साथ विचार सांझा कर रही थी।  कपास की फसल में कीटों का अवलोकन करती महिला किसान। कीटाचार्या मुकेश रधाना ने बताया कि फसल की बिजाई के बाद से लगातार महिला किसान खेत पाठशालाओं में यहां

किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बना ईगराह का मनबीर रेढ़ू

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पिछले 6 वर्षों से बिना कीटनाशक के कर रहा है खेती पहले उत्पादन का 40 प्रतिशत हिस्सा हो जाता था कीटनाशकों पर खर्च  नरेंद्र कुंडू जींद। आज अधिक उत्पादन की चाह में किसान फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। फसलों में अधिक कीटनाशकों के प्रयोग के कारण खेती में खर्च लगातार बढ़ रहा है, वहीं हमारा खान-पान व वातावरण भी दूषित हो रहा है। अधिक उत्पादन के मोह में फंसे किसानों को कीटनाशकों के अलावा कोई अन्य विकल्प नजर नहीं आ रहा है लेकिन जींद जिले के ईगराह गांव के प्रगतिशील किसान मनबीर रेढ़ू ने कीट ज्ञान की पद्धति को अपनाकर खेती पर बढ़ते अपने खर्च को तो कम किया ही है साथ-साथ अपने परिवार को थाली में बढ़ रहे जहर से भी मुक्ति दिलवाई है। मनबीर रेढ़ू आज दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन चुका है। मनबीर की उपलब्धियों को देखते हुए जींद जिला प्रशासन के अलावा गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भी मनबीर को सम्मानित किया जा चुका है। मनबीर रेढ़ू को गुजरात सरकार के मंत्री। मनबीर रेढ़ू का कहना है कि पहले वह अधिक उत्पादन की चाह में फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग क

बेवजह सफेद मक्खी से भयभीत हो रहे हैं किसान

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छेडख़ानी करने से बढ़ती है कीटों की संख्या सफेद मक्खी को नियंत्रित करने के लिए फसल में काफी संख्या में मौजूद होते हैं कुदरती कीटनाशी नरेंद्र कुंडू  जींद। कृषि विकास अधिकारी डॉ. कमल सैनी ने कहा कि जिन-जिन खेतों में कपास की फसल में कीटों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग कर छेडख़ानी की गई है, उन-उन खेतों में कीटों की संख्या निरंतर बढ़ रही है लेकिन जहां पर कीटों के साथ कोई छेडख़ानी नहीं की गई है, वहां कीटों की संख्या नुकसान पहुंचाने के आर्थिक स्तर (ईटीएल लेवल) से काफी नीचे है। डॉ. सैनी शनिवार को निडाना गांव में आयोजित महिला किसान खेत पाठशाला में कीटाचार्य किसानों से बातचीत कर रहे थे। पाठशाला के आरंभ में महिला किसानों ने कपास की फसल में कीटों का निरक्षण किया और उसके बाद फसल में मौजूद कीटों के आंकड़े को चार्ट पर उतारा।  कपास की फसल में कीटों का अवलोकन करती महिला किसान। डॉ. सैनी ने बताया कि आज पूरे प्रदेश में सफेद मक्खी नामक रस चूसक कीट ने किसानों के मन में भय पैदा कर दिया है। इसलिए अज्ञानतावश किसान सफेद मक्खी को नियंत्रित करने के लिए लगातार कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे

कीट साक्षारता के जनक डॉ. सुरेंद्र दलाल के नाम से शुरू होगा राज्य स्तरीय पुरस्कार

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हरियाणा किसान आयोग देगा पुरस्कार हर वर्ष कृषि क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले कृषि विभाग के एडीओ को दिया जाएगा पुरस्कार डॉ. सुरेंद्र दलाल को मरणोपरांत मिलेगा यह पुरस्कार कीट साक्षरता के अग्रदूत डॉ. सुरेंद्र दलाल का फोटो। नरेंद्र कुंडू जींद। खाने की थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए जींद जिले से कीट ज्ञान क्रांति के जन्मदाता डॉ. सुरेंद्र दलाल को हरियाणा किसान आयोग ने विशेष सम्मान देने का निर्णय लिया है। हरियाणा किसान आयोग द्वारा डॉ. सुरेंद्र दलाल के नाम से राज्य स्तर पर विशेष पुरस्कार शुरू किया जा रहा है। आयोग द्वारा एक नवंबर को हरियाणा दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में कृषि क्षेत्र में विशेष कार्य करने वाले कृषि विभाग के एडीओ को यह पुरस्कार दिया जाएगा। कृषि क्षेत्र में डॉ. सुरेंद्र दलाल के अथक योगदान को देखते हुए आयोग ने यह पुरस्कार देने का निर्णय लिया है। इसकी शुरूआत खुद डॉ. सुरेंद्र दलाल से ही की जाएगी। आयोग द्वारा डॉ. दलाल को मरणोपरांत इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा। फसलों में अंधाधुंध प्रयोग किये जा रहे पेस्टीसाइड के कारण दूषित हो रहे खान-पान तथा वातावरण को बचाने के लिए