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कीट साक्षारता के जनक डॉ. सुरेंद्र दलाल के नाम से शुरू होगा राज्य स्तरीय पुरस्कार

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हरियाणा किसान आयोग देगा पुरस्कार हर वर्ष कृषि क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले कृषि विभाग के एडीओ को दिया जाएगा पुरस्कार डॉ. सुरेंद्र दलाल को मरणोपरांत मिलेगा यह पुरस्कार कीट साक्षरता के अग्रदूत डॉ. सुरेंद्र दलाल का फोटो। नरेंद्र कुंडू जींद। खाने की थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए जींद जिले से कीट ज्ञान क्रांति के जन्मदाता डॉ. सुरेंद्र दलाल को हरियाणा किसान आयोग ने विशेष सम्मान देने का निर्णय लिया है। हरियाणा किसान आयोग द्वारा डॉ. सुरेंद्र दलाल के नाम से राज्य स्तर पर विशेष पुरस्कार शुरू किया जा रहा है। आयोग द्वारा एक नवंबर को हरियाणा दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में कृषि क्षेत्र में विशेष कार्य करने वाले कृषि विभाग के एडीओ को यह पुरस्कार दिया जाएगा। कृषि क्षेत्र में डॉ. सुरेंद्र दलाल के अथक योगदान को देखते हुए आयोग ने यह पुरस्कार देने का निर्णय लिया है। इसकी शुरूआत खुद डॉ. सुरेंद्र दलाल से ही की जाएगी। आयोग द्वारा डॉ. दलाल को मरणोपरांत इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा। फसलों में अंधाधुंध प्रयोग किये जा रहे पेस्टीसाइड के कारण दूषित हो रहे खान-पान तथा वातावरण को बचाने के लिए

जमा किये गये अतिरिक्त भोजन को बाहर निकालने के लिए कीटों को बुलाते हैं पौधे

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कीट ज्ञान की मुहिम के प्रति बढ़ रहा स्कूली विद्यार्थियों का रूझान नरेंद्र कुंडू जींद। निडाना गांव में चल रही कीट ज्ञान की मुहिम के प्रति स्कूली बच्चों में भी रूझान लगातार बढ़ रहा है। इसी के चलते शनिवार को निडाना गांव में चलाई जा रही महिला किसान खेत पाठशाला में हर बार अलग-अलग स्कूलों से बच्चे कीट ज्ञान सीखने के लिए पहुंच रहे हैं। शनिवार को खरकरामजी गांव स्थित निराकार ज्योति विद्या निकेतन स्कूल के  विधार्थियों ने पाठशाला में पहुंचकर कीटों के जीवन चक्र व क्रियाकलापों के बारे में बारीकी से जानकारी हासिल की। इस अवसर पर स्कूल के डायरेक्टर जसमेर बूरा भी विशेष रूप से मौजूद रहे। कीटों के प्रति महिलाओं के इतने स्टीक ज्ञान को देखकर जसमेर बूरा ने महिलाओं की जमकर प्रशंसा की। पाठशाला में भाग लेने के लिए पहुंची छात्राएं। बुगडिय़ा खाप की कीटाचार्या कमलेश, प्रमीला, विजय, बिमला व सुदेश ने विद्यार्थियों को पौधों पर मौजूद शाकाहारी तथा मांसाहारी कीटों के जीवनच्रक व क्रियाकलापों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि कीट फसल में किसान को नुकसान या फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से नहीं बल्कि

भारतीय मूल्यों को संजोये हुए है कालवा गुरुकुल

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योग गुरू स्वामी रामदेव व आचार्य बाल कृष्ण की कर्मस्थली रहा है कालवा गुरुकुल वैदिक धर्म की शिक्षा का किया जा रहा प्रचार-प्रसार नरेंद्र कुंडू जींद। पिल्लूखेड़ा कस्बे में स्थित कालवा गुरुकुल आधुनिकता के इस दौर में भी वैदिक संस्कृति व भारतीय मूल्यों को संजोये हुए है। कालवा गुरुकुल में आज भी हमारी वैदिक संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। आज भी यहां के ब्रह्मचारियों व आचार्यों की सुबह की शुरूआत हवन से होती है। हालांकि मोबाइल क्रांति के बाद से गुरुकुल के प्रति युवाओं का रूझान कम जरूर हुआ है लेकिन कालवा गुरुकुल में आज भी दूसरे प्रदेश के कई ब्रह्मचारी यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कालवा गुरुकुल योग गुरु बाबा रामदेव व बालकृष्ण की भी कर्म स्थली रही है। स्वामी रामदेव व बालकृष्ण ने भी कालवा गुरुकुल से ही अपनी शिक्षा-दीक्षा पूरी की है। कालवा गुरुकुल लोगों को वैदिक धर्म की शिक्षा देने के साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध करवा रहा है। कालवा गुरुकुल के औषद्यालय में हर प्रकार की बीमारियों का उपचार देशी दवाओं से किया जाता है और सांप के काटे का उपचार तो बिल्कुल निशुल्क किया जाता है।  कालव

जींद जिले से होगी अगली सुरक्षित हरित क्रांति की शुरूआत

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किसानों के कीट ज्ञान की पद्धति को परखने के लिए जींद पहुंची एनसीआईपीएम की टीम नरेंद्र कुंडू  जींद। आज देश में प्रयोग हो रहे पेस्टीसाइड का 44 प्रतिशत हिस्सा अकेला कपास में प्रयोग हो रहा है। इसका कारण यह है कि किसानों को गुमराह कर कीटों के प्रति उनके मन में भय पैदा किया गया है लेकिन जींद जिले के किसानों ने कीट ज्ञान की एक अनोखी मुहिम शुरू की है। यहां के किसानों द्वारा पेस्टीसाइड बंद किये जाने का मुख्य कारण इन किसानों को ईटीएल लेवल की जानकारी होना है। इससे पहले फसल में कीटनाशकों के  एनसीआईपीएम की टीम का स्वागत करती महिला किसान।  प्रयोग की जरूरत नहीं होती। यह बात राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंधन केंद्र नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मुकेश सहगल ने मंगलवार को निडाना गांव के खेतों में आयोजित किसान खेत पाठशाला में किसानों को सम्बोधित करते हुए कही। इस अवसर पर उनके साथ वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अजंता बिराह, डॉ. सोमेश्वर भगत, वैज्ञानिक डॉ. राकेश कुमार, प्रधान तकनीकी अधिकारी एसपी सिंह, उप-कृषि निदेशक डॉ. रामप्रताप सिहाग, एसडीओ डॉ. सिवाच, खंड कृषि अधिकारी डॉ. राजेंद्र शर्मा, डॉ. कमल सैनी,

कमलेश के मजबूत इरादे व सीखने के जुनून ने परिवार को दी नई दिशा

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आठवीं पास कमलेश कीट ज्ञान में बड़े-बड़े कीट वैज्ञानिकों को दे रही है चुनौती परिवार के विरोध के बाद भी नहीं मानी हार और साधारण ग्रहणी से बन गई कीटों की मास्टरनी नरेंद्र कुंडू जींद। कहते हैं कि अगर मन में किसी काम को करने का जुनून पैदा हो जाए तो बड़ी से बड़ी बाधा भी उसका रास्ता नहीं रोक पाती। इस कहावत को सच साबित कर दिखाया है निडाना गांव की वीरांगना कमलेश ने। कमलेश चूल्हे-चौके के साथ-साथ खेती-बाड़ी के कामकाज में भी अपने पति जोगेंद्र का हाथ बंटवाती है। लगभग चार वर्ष पहले कमलेश को कीट साक्षरता के अग्रदूत डॉ. सुरेंद्र दलाल से जहरमुक्त खेती की ऐसी प्रेरणा मिली की उसने परिवार की कमलेश का फोटो। मर्जी के खिलाफ कीट ज्ञान हासिल करने के लिए गांव के ही खेतों में चल रही महिला किसान खेत पाठशाला में भाग लेना शुरू कर दिया। पति और परिवार की मर्जी के खिलाफ कीट ज्ञान हासिल करने वाली कमलेश को लगभग दो वर्षों तक परिवार के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी और यह कमलेश की मेहनत का ही परिणाम है कि महज आठवीं पास कमलेश को आज सैंकड़ों कीटों के नाम कंठस्थ हैं। कमलेश फसल में मौजू

कीटाचार्य महिलाएं निभा रही हैं चिकित्सक व कृषि वैज्ञानिक की भूमिका

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जींद के श्रीराम विद्या मंदिर व निडाना के डेफोडिल्स पब्लिक स्कूल के विधार्थियों ने भी किया पाठशाला का भ्रमण विधालयों ने समझा पौधे और कीटों के आपसी रिश्ते का अर्थ नरेंद्र कुंडू जींद। सामान्य अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राजेश भोला ने कहा कि कीट ज्ञान की मुहिम से जुड़ी महिलाएं एक तरह से चिकित्सक व कृषि वैज्ञानिक दोनों की भूमिका निभा रही हैं। क्योंकि एक कीट वैज्ञानिक की तरह कीटों पर शोध करने के साथ-साथ थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए पिछले कई वर्षों से लगातार किसानों को जहरमुक्त खेती के लिए जागरूक करने का काम भी कर रही हैं। डॉ. भोला शनिवार को अमर उजाला फाउंडेशन द्वारा निडाना गांव में आयोजित महिला किसान खेत पाठशाला में बतौर मुख्यातिथि शिरकत करने पहुंचे थे। इस अवसर पर पाठशाला में डेफोडिल्स स्कूल की प्राचार्या विजय गिल तथा अखिल भारतीय पर्यावरण एवं स्वास्थ्य मिशन से सुनील कंडेला भी विशेष तौर पर पाठशाला में मौजूद रहे। पाठशाला में शनिवार को डेफोडिल्स पब्लिक स्कूल के साथ-साथ जींद से श्रीराम विद्या मंदिर स्कूल के विद्यार्थी भी कीट ज्ञान अर्जित करने के लिए पहुंचे थे। बच्चों ने बड़ी ही रुचि

महिला पाठशाला में कीटों की मास्टरनियों ने ढूंढ़ा एक नया कीट

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विधार्थियों  ने अपनी आंखों से देखा कैसे शाकाहारी कीटों को नियंत्रित करते हैं मांसाहारी कीट नरेंद्र कुंडू  जींद। निडाना गांव के खेतों में चल रही की महिला किसान खेत पाठशाला के चौथे सत्र के दौरान शनिवार को महिला किसानों के साथ-साथ निडाना गांव के डेफोडिल्स पब्लिक स्कूल के नौंवी कक्षा के विद्यार्थियों ने भी पाठशाला में पहुंचकर मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों के क्रियाकलापों के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल की। पाठशाला में मौजूद विद्यार्थियों ने मांसाहारी कीटों को दूसरे कीटों का शिकार करते हुए भी अपनी आंखों से देखा और किस तरह से मांसाहारी कीट शाकाहारी कीटों को नियंत्रित करते हैं, इसके बारे में भी जानकारी हासिल की। कीटाचार्या महिलाओं ने स्कूली विधार्थियों को कपास की फसल में मेजर कीटों के नाम से मशहूर सफेद मक्खी, हरा तेला, चूरड़े के बारे में बारीकी से जानकारी दी। इसके साथ-साथ विधार्थियों को गुलाबी रंग की सुंडी, लोपा मक्खी तथा फौजन बिटल के क्रियाकलापों के बारे में जानकारी दी। इस दौरान महिला किसानों ने एक नये किस्म का कीट भी ढूंढ़ा, जिस पर महिला किसानों ने अपना शोध भी शुरू कर दिया। लो

महज 15 वर्ष की उम्र में जीते एक दर्जन मैडल

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कुश्ती के क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड रही सीमा बेनिवाल माता-पिता बनाना चाहते थे आईएएस व आईपीएस लेकिन सीमा ने खेलों में चुना अपना करियर नरेंद्र कुंडू जींद। कहते हैं कि पुत के पांव तो पालने में ही दिख जाते हैं। नरवाना निवासी सीमा बेनिवाल भी कुछ इसी तरह की शख्सियतों में से एक है। सीमा बेनिवाल पढ़ाई के साथ-साथ कुश्ती क्षेत्र में भी लगातार अपनी सफलता की छाप छोड़ रही है। सीमा बेनिवाल महज 15 वर्ष की उम्र में कुश्ती क्षेत्र में जिला स्तर से लेकर राष्ट्र स्तर तक की प्रतियोगिताओं में एक दर्जन के लगभग मैडल जीत कर अपनी सफलता के झंड़े गाड चुकी है। अब सीमा बेनिवाल का अगला टारगेट सीमा बेनिवाल अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में देश के लिए गोल्ड मैडल जीतने का है। सीमा बेनिवाल इस समय नरवाना के आर्य कन्या महाविद्यालय में नॉन मेडिकल से 12वीं कक्षा की पढ़ाई कर रही है। सातवीं कक्षा से कुश्ती क्षेत्र में अपने करियर की शुरूआत करने वाली सीमा बेनिवाल ने पिछले पांच वर्षों में लगभग दर्जनभर प्रतियोगिताओं में भाग लिया और अपने कठोर परिश्रम और मजबूत इरादों से उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए कई मैडल अपने नाम कि

कीटों की मास्टरनियों ने विधार्थियों को पढ़ाया कीट ज्ञान का पाठ

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महिला किसान खेत पाठशाला में डेफोडिल्स स्कूल के विधार्थियों  ने ली कीट ज्ञान की तालीम नरेंद्र कुंडू जींद। पौधा 24 घंटे में साढ़े चार ग्राम भोजन बनाता है। डेढ़ ग्राम भोजन पौधा अपने नीचे के हिस्से को देता है तथा डेढ़ ग्राम भोजन ऊपरी हिस्से को देता है। बाकि बचा हुआ डेढ़ ग्राम भोजन रिजर्व में रखता है ताकि एमरजैंसी में यह भोजन उसके काम आ सके। भोजन के आवागमन के लिए पौधे में दो नालियां होती हैं। एक नाली से पौधा कच्चा माल जड़ों तक पहुंचाता है और दूसरी नाली से पक्का हुआ माल पौधे के सभी हिस्सों तक पहुंचता है। यह जानकारी कीटों की मास्टरनी सविता तथा मिनी मलिक ने शनिवार को अमर उजाला फाउंडेशन द्वारा निडाना गांव के खेतों में आयोजित महिला किसान खेत पाठशाला में निडाना गांव स्थित डैफोडिल्स पब्लिक स्कूल के  विधार्थियों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाते हुए दी। महिला पाठशाला में डैफोडिल्स पब्लिक स्कूल के 8वीं कक्षा के  विधार्थियों ने पढ़ाई के साथ-साथ फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों के बारे में जानकारी हासिल की।  पाठशाला में कीटों की जानकारी को नोट करते बच्चे।  पाठशाला में बच्चों को कीटों की

सफेद मक्खी को नियंत्रित करने के लिए फसल में कूदरती कीटनशानी कीटों ने दी दस्तक

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महिला पाठशाला में स्कूली बच्चों ने भी लिया कीट ज्ञान  बच्चों ने कहा रोचक और ज्ञानवर्धक रही महिला किसान खेत पाठशाला नरेंद्र कुंडू  जींद। कीटों की मास्टरनी गीता व मनीषा ने बताया कि सफेद मक्खी पौधे के पत्तों का रस चूसकर अपना गुजारा करती है लेकिन यह कपास की फसल में लीपकरल (मरोडिया) को फैलाने में एक माध्यम का भी काम करती है। सफेद मक्खी अपने डंक के माध्यम से लीपकरल के वायरस को एक पौधे से दूसरे पौधे तक पहुंचाती है और इस तरह धीरे-धीरे कर लीपकरल को पूरे खेत में पहुंचा देती है लेकिन किसानों को इससे भयभीत होने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसे नियंत्रित करने के लिए फसल में कई किस्म के मांसाहारी कीट मौजूद होते हैं जो सफेद मक्खी को नियंत्रित कर फसल में कूदरती कीटनाशी का काम करते हैं। कीटों की मास्टरनियां शनिवार को निडाना गांव में आयोजित महिला किसान खेत पाठशाला के दूसरे सत्र में मौजूद महिलाओं को फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों के बारे में अवगत करवा रही थी। माह के दूसरे शनिवार की छुट्टी होने के कारण कई छोटे-छोटे स्कूली बच्चों ने भी पाठशाला में पहुंचकर कीटों के क्रियाकलापों के बारे में ब

मांसाहारी कीट हथजोड़ा और लेडी बर्ड बीटल

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 मांसाहारी कीट हथजोड़ा  हथजोड़े का फोटो। हथजोड़ा (प्रेइंगमेंटिस) नामक इस कीट की अंडेदानी को आम बोलचाल की भाषा में गादड़ की सुंडी कहा जाता है। इसकी एक अंडेदानी में 500 से 600 अंडे होते हैं। 20 से 25 दिन में अंडे से बच्चे बनते हैं और बच्चों से यह प्रौढ़ अवस्था में आता है। तीन से छह माह का इसका जीवन काल होता है। इसके बच्चे व प्रौढ़ दोनों ही मांसाहारी होते हैं। यह अपने से छोटे व बराबर के कीटों का शिकार करता है। हथजोड़े की कई किस्में होती हैं लेकिन अभी तक 8 तरह की किस्में देखी जा चुकी हैं।  यह मांसाहारी कीट है और शाक हारी कीटों को खाकर अपना गुजारा करता है। यह फसल में शाकाहारी कीटों को खाकर फसल में कुदरती कीटनाशाी का काम करता  है। यह किसान के फायदे का कीट है।   शारीरिक बनावट :- हथजोड़ा नामक इस कीट के अगले पैरों पर कांटे होते हैं और इन कांटों की मदद से यह अपना शिकार करता है। इन कांटों को बचाने के लिए यह कीट अपने अगले दोनों पैरों को मोड़कर रखता है। देखने वाले को ऐसा लगता है जैसे इसने हाथ जोड़ रखे हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह अपनी गर्दन को चारों तरफ घूमा सकता है।

पंजाब के किसानों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगे जींद के किसान

4 जुलाई को मानसा में आयोजित होने वाले समारोह में भाग लेंगे जींद के किसान पंजाब कृषि विभाग ने सम्मेलन के लिए जींद के किसानों को भेजा निमंत्रण नरेंद्र कुंडू जींद। जींद जिले के कीट कमांडो किसान हरियाणा ही नहीं बल्कि दूसरे प्रदेश के किसानों के लिए भी रोल मॉडल बन चुके हैं। कीट ज्ञान हासिल करने के लिए इन किसानों को अब दूसरे प्रदेशों से भी निमंत्रण मिलने लगा है। गत चार जुलाई को पंजाब कृषि विभाग द्वारा मानसा (पंजाब) में आयोजित करवाए जा रहे सम्मेलन में यह कीट कमांडो किसान पंजाब के किसानों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगे। इसके लिए पंजाब कृषि विभाग ने इन किसानों को सम्मेलन में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा है। चार जुलाई को होने वाले इस सम्मेलन में यह कीट कमांडो किसान अपने लेक्चर के माध्यम से फसल में मौजूद शाकाहारी तथा मांसाहारी कीटों के क्रियाकलापों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। फसलों में कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग के कारण बिना वजह मारे जा रहे कीटों तथा दूषित हो रहे खान-पान को देखते हुए जींद जिले के किसानों ने वर्ष 2008 में निडाना गांव से कीट ज्ञान की मुहिम की शुरूआत की थी। इस दौरान

देश-प्रदेश में फैलेगी कीट ज्ञान की क्रांति

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अमर उजाला फाउंडेशन ने निडाना में किया पाठशाला का शुभारंभ नरेंद्र कुंडू जींद। अकेले चले थे सफर में मन में एक ख्वाब लेकर लोग जुड़ते गए कारवां जुड़ता गया यह शब्द कीट साक्षरता के अग्रदूत डॉ. सुरेंद्र दलाल की पत्नी कुसुम दलाल ने बुधवार को निडाना गांव में अमर उजाला फाउंडेशन द्वारा आयोजित की गई महिला किसान खेत पाठशाला के उद्घाटन अवसर पर कीटाचार्य महिलाओं को सम्बोधित करते हुए कही। इस अवसर पर पाठशाला में कृषि विभाग के जिला उप-निदेशक डॉ. रामप्रताप सिहाग बतौर मुख्यातिथि तथा बराह तपा प्रधान कुलदीप ढांडा, प्रगतिशील किसान राजबीर कटारिया भी विशेष रूप से मौजूद रहे। डॉ. रामप्रताप सिहाग ने रिबन काटकर पाठशाला का उद्घाटन किया। मैडम कुसुम दलाल ने अमर उजाला फाउंडेशन की तरफ से दी गई पैड, पैन व लैंस महिला किसानों को वितरित किये। महिला किसानों ने बुके भेंटकर पाठशाला में आए सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने बताया के अब यह पाठशाला सप्ताह के हर शनिवार को लगेगी और यह 18 सप्ताह तक चलेगी । मैडम कुसुम दलाल ने कहा कि डॉ. सुरेंद्र दलाल ने थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए जो पौधा लगाया था आज वह वटवृक्ष का रूप धा