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...फिर सुलगने लगी जाट आरक्षण की चिंगारी

केंद्र में जाटों को आरक्षण दिलवाने के लिए सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई के मुढ़ में हैं खाप चौधरी 4 अगस्त को दनौला कलां के बिनैन खाप के चबूतरे से होगा आंदोलन का शंखनाद नरेंद्र कुंडू जींद।  हरियाणा में जाट आरक्षण की चिंगारी फिर से सुलगने लगी है। केंद्र में आरक्षण की मांग को लेकर हरियाणा के जाट अब सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई के मुढ़ में हैं। आंदोलन की लड़ाई के लिए खाप के चौधरी रणनीति तैयार करने में लगे हुए हैं। आंदोलन के शंखनाद के लिए खाप चौधरियों द्वारा मंच तैयार किया जा रहा है। पिछले वर्ष की तर्ज पर इस बार भी दनौदा कलां गांव में स्थित बिनैन खाप के उसी चबूतरे से आंदोलन का आगाज किया जाएगा। इसी चबूतरे से 13 सितंबर 2012 को हरियाणा में जाट आरक्षण की नींव रखी गई थी। पंचायत में भाग लेने के लिए बिनैन खाप की तरफ से संदेश भेजने का काम शुरू किया जा चुका है। इस बार खाप चौधरियों के आंदोलन शुरू करने का लक्ष्य केंद्र में जाटों को आरक्षण दिलवाना है। केंद्र में जाटों को आरक्षण दिलवाने के लिए खाप प्रतिनिधियों ने फिर से बगावत के सुर छेड़ दिए हैं। खाप चौधरियों द्वारा आंदोलन को सफल बनाने के लिए रणनीत

शिव भक्तों की आस्था पर भारी पड़ी आपदा

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कांवडिय़ों पर नजर आया उत्तराखंड आपदा का असर उत्तराखंड आपदा के कारण इस बार कांवडिय़ों की संख्या में आई कमी नरेंद्र कुंडू जींद।  उत्तराखंड में आई आपदा शिव भक्तों की आस्था पर भारी पड़ रही है। आपदा का प्रभाव इस बार शिव भक्तों पर साफ नजर आ रहा है। इसके चलते इस बार पिछले वर्षों की भांति कांवडिय़ों की संख्या में काफी कमी नजर आ रही है। अन्य वर्षों के मुकाबले इस बार मात्र 10-15 प्रतिशत कांवडिय़े ही हरिद्वार व गौमुख से कांवड़ लेकर पहुंच रहे हैं। कांवडिय़ों की कम संख्या के कारण ही इस बार कांवडिय़ों की सेवा के लिए लगाए जा रहे शिविर भी खाली-खाली नजर आ रहे हैं। सावन का महीना आते ही हरिद्वार और गौमुख से शिव की कांवड़ लाने के लिए शिव भक्तों में एक तरह से होड़ सी लग जाती थी। अकेले हरियाणा से लाखों की संख्या में श्रद्धालु कांवड़ लाने के लिए हरिद्वार का रुख करते थे। शिव भक्त अपने आराध्य देव भगवान शिव शंकर को प्रसन्न करने के लिए गौमुख तथा हरिद्वार से कांवड़ में गंगाजल भरकर लेकर आते थे। शिव रात्रि के नजदीक आते-आते सड़कों पर हर तरफ कांवडिय़ों का हुजूम नजर आने लगता था और शिव के जयकारों के कारण पूरा माहौ

'एक दिन के लिए जेल गई कीटों की मास्टरनियां'

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जिला कारागार में लगी खेती की पाठशाला, कैदियों व बंदियों को पढ़ाया कीट ज्ञान का पाठ कारागार में देश की पहली महिला किसान खेत पाठशाला के आयोजन से जींद कारागार के इतिहास में जुड़ा एक नया अध्याय नरेंद्र कुंडू जींद।  कीट ज्ञान में माहरत हासिल कर चुकी ललीतखेड़ा, निडाना व निडानी गांव की कीटों की मास्टरनियां एक दिन के लिए जेल में गई। कीटों की मास्टरनियों ने जिला कारागार में एक दिन के लिए किसान खेत पाठशाला लगाई और यहां कैदियों व बंदियों को कीट ज्ञान क पाठ पढ़ाया। कारागार के अंदर डा. सुरेंद्र दलाल किसान खेत पाठशाला के आयोजन तथा फसलों में मौजूद मांसाहारी और शाकाहारी कीटों के बारे में इतनी बारिकी से जानकारी हासिल कर बंदी भी काफी खुश थे। वहीं जींद की जिला कारागार में देश की पहली महिला किसान खेत पाठशाला के आयोजन से जींद की जिला कारागार के इतिहास में भी एक नया अध्याय जुड़ गया। महिला किसान खेत पाठशाला का शुभारंभ जेल अधीक्षक डा. हरीश कुमार रंगा ने किया। इस अवसर पर कृषि विभाग के उप-निदेशक डा. रामप्रताप सिहाग, जिला उद्यान अधिकारी डा. बलजीत भ्याण, ए.डी.ओ. कमल सैनी, डा. सुरेंद्र दलाल की पत्नी कुसुम दल

अब कैदियों व बंदियों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगी कीटों की मास्टरनियां

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25 जुलाई को जिला कारागार में लगाई जाएगी किसान खेत पाठशाला नरेंद्र कुंडू जींद।  महिला किसानों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाने वाली निडाना व ललीतखेड़ा की कीटों की मास्टरनियां अब जिला कारागार में बंद कैदियों व बंदियों को भी कीट ज्ञान की तालीम देंगी। इसके लिए जिला कारागार में 25 जुलाई को किसान खेत पाठशाला का आयोजन किया जाएगा। इस पाठशाला में निडाना, निडानी तथा ललीतखेड़ा गांव की कीटाचार्या महिलाएं जेल में बंद कैदियों व बंदियों को जहरमुक्त खेती के टिप्स देंगी। जेल में इस कार्यक्रम के आयोजन का मुख्य उद्देश्य कैदियों व बंदियों को कीट ज्ञान के माध्यम से खेती के गुर सिखाकर समाज की मुख्य धारा से जोडऩा है, ताकि जेल में बंद कैदियों व बंदियों को सही दिशा देकर गलत संगत से निकाला जा सके और जेल से छुटने के बाद वे कीट ज्ञान के बूते खेती को व्यवसाय के तौर पर अपनाकर अपने भविष्य को संवार सकें।  कीट साक्षरता के अग्रदूत डा. सुरेंद्र दलाल द्वारा निडाना गांव के खेतों से शुरू की गई कीट ज्ञान क्रांति की मुहिम अब जिले में तेजी से फैलने लगी है। कीट कमांडों किसानों के स्तही ज्ञान को देखते हुए अब कृषि विभाग के साथ

'कीटाचार्य किसानों ने कृषि विकास अधिकारियों को पढ़ाया कीट ज्ञान का पाठ'

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प्रशिक्षण शिविर के दौरान कीट शोध पर जानकारी लेने किसान पाठशाला में पहुंचे थे अधिकारी नरेंद्र कुंडू जींद। कीटाचार्य किसानों ने कृषि विभाग के कृषि विकास अधिकारियों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाया तथा मांसाहारी और शाकाहारी कीटों की पहचान करवाकर उनके क्रियाकलापों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। जींद के किसान प्रशिक्षण केंद्र में 21 दिवसीय रिफरेश ट्रेनिंग कैंप में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे कृषि विकास अधिकारियों का 30 सदस्यीय दल शनिवार को ट्रेनिंग इंचार्ज डा. बलजीत लाठर के नेतृत्व में राजपुरा भैण गांव में आयोजित डा. सुरेंद्र दलाल किसान खेत पाठशाला में एक दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण पर पहुंचा था। यहां पर कृषि विकास अधिकारियों ने कीटाचार्य किसानों के साथ कपास की फसल का अवलोकन कर पौधों तथा कीटों के आपसी सम्बंध पर गहनता से विचार-विमर्श किया। पाठशाला के मुख्यातिथि रहे धर्मपाल उर्फ मानू लौहान ने किसानों की जहरमुक्त खेती की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए 11 हजार रुपए की राशि भेंट की। इस अवसर पर डा. सुभाषचंद्र, डा. राजेश लाठर, डा. हरिभगवान, बराह तपा के प्रधान कुलदीप ढांडा तथा सुनील कंडेला, अक्षत दलाल भी व

मानसून के इंतजार में मुरझाए किसानों के चेहरे

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मानसून की दगाबाजी से फसलों पर छाए संकट के बादल नरेंद्र कुंडू जींद।  धान की रोपाई का सीजन अंतिम चरण में है लेकिन अभी तक मानसून नहीं आने के कारण किसानों की फसलों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। बढ़ते तापमान के कारण सूख रही धान की फसलों को देखकर धरतीपुत्रों के माथे पर चिंता की लकीरें खींचने लगी हैं। ऐन वक्त पर मानसून के धोखा दे जाने के कारण किसानों के चेहरों पर मायूसी छा गई है। समय पर बारिश नहीं होने के कारण जिले में धान की रोपाई का कार्य भी प्रभावित हो रहा है। धीमी गति से चल रहे धान की रोपाई के कार्य के कारण कृषि विभाग को भी अपने टारगेट तक पहुंचने में पसीना आ रहा है। इस बार धान की रोपाई के लिए कृषि विभाग के पास 99 हजार हैक्टेयर का टारगेट है लेकिन समय पर बारिश नहीं होने के कारण अभी तक जिले में सिर्फ 75 हजार हैक्टेयर में ही धान की रोपाई हो पाई है। जबकि कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा धान की रोपाई के लिए उपयुक्त समय 15 जुलाई तक माना जाता है।  जिले में 15 जून से धान की रोपाई का कार्य शुरू हो जाता है और 15 जुलाई तक रोपाई का कार्य जोरों पर चलता है। कृषि विभाग के अधिकारी भी धान की रोपा

सफेद मक्खी, हरे तेले और चूरड़े से भयभीत ना हों किसान

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कीटाचार्य किसानों ने कीट ज्ञान से निकाला शाकाहारी कीटों का तोड़ नरेंद्र कुंडू  जींद।  कपास की फसल में मौजूद शाकाहारी कीट सफेद मक्खी, हरे तेले और चूरड़े से किसानों को भयभीत होने की जरुरत नहीं है। कीट साक्षरता की मुहिम में जुड़े कीटाचार्य किसानों ने इन शाकाहारी कीटों का तोड़ ढूंढ़ निकाला है। जींद जिले के लगभग आधा दर्जन गांवों में चल रही किसान खेत पाठशालाओं में कपास की फसल की साप्ताहिक कीट तंत्र समीक्षा से प्राप्त हुए आंकड़ों के अनुसार अभी तक उक्त शाकाहारी कीट कहीं भी नुक्सान पहुंचाने के आर्थिक सत्र तक नहीं पहुंच पाए हैं। यह बात कृषि विकास अधिकारी डा. कमल सैनी ने शनिवार को राजपुरा भैण गांव में आयोजित डा. सुरेंद्र दलाल किसान खेत पाठशाला में मौजूद दर्जनभर गांवों के किसानों को सम्बोधित करते हुए कही।  डा. कमल सैनी ने कहा कि कपास की फसल में पाई जाने वाली सफेद मक्खी, हरे तेले और चूरड़े नामक कीट की गिनती किसान मेजर कीटों में करते हैं और कपास की फसल में इन कीटों की उपस्थिति को देखकर किसान भयभीत होकर इन्हें नियंत्रित करने के लिए अंधाधुंध कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं। किसानों का मानना है

किसानों को नई राह दिखा गया किसानों का मसीहा

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बेजुबानों को बचाने और थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए डा. दलाल ने जलाई थी कीट ज्ञान क्रांति की मशाल नरेंद्र कुंडू डॉ सुरेन्द्र दलाल  जींद। हरियाणा प्रदेश के जींद जिले के जुलाना हलके के गांव नंदगढ़ में श्री गणेशीराम तथा श्रीमति धनपति देवी के घर अप्रैल 1962 में एक महान विभूति ने जन्म लिया। यह महान विभूति थे कीट साक्षरता के अग्रदूतडा. सुरेंद्र दलाल। डा. सुरेंद्र दलाल के पिता श्री गणेशीराम फौज में सैनिक थे और माता धनपति देवी एक सुशील गृहिणी थी। डा. सुरेंद्र दलाल एक किसान परिवार से सम्बंध रखते थे। डा. सुरेंद्र दलाल की प्रारम्भिक शिक्षा गांव में ही हुई और नौवीं कक्षा तक की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से पूरी करने के बाद डा. सुरेंद्र दलाल ने सोनीपत के हिंदू हाई स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास की। 3 भाइयों और 2 बहनों में सबसे बड़े होने के कारण छोटे भाइयों और बहनों की पढ़ाई की जिम्मेदारी भी इन्ही के कंधों पर थी। छोटे भाई विजय दलाल, जगत सिंह तथा राजसिंह को पढ़ाने की जिम्मेदारी इन्होंने बखूबी निभाई। घर की अर्थिक स्थित कमजोर होने के कारण छोटे भाइयों को पढ़ाने तथा घर की मूलभूत आवश्यकताओं क

जहरमुक्त खेती की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए कृषि विभाग ने किसानों की तरफ बढ़ाया हाथ

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रधाना में महिला तथा निडानी में पुरुष किसानों की खेत पाठशालाएं शुरू  नरेंद्र कुंडू  जींद। कीट साक्षरता के अग्रदूत डा. सुरेंद्र दलाल द्वारा थाली को जहरमुक्त करने के लिए जींद जिले में शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए अब कृषि विभाग ने भी जिले के किसानों की तरफ हाथ बढ़ाया है। जिले के किसानों को कीटों की पहचान करवाकर जहरमुक्त खेती की तरफ आकर्षित करने के लिए कृषि विभाग द्वारा भारत सरकार की मिनी टैक्रोलोजी मिशन-2 योजना के तहत बुधवार को जिले के रधाना गांव में महिला किसान खेत पाठशाला तथा निडानी गांव में पुरुष किसान खेत पाठशाला का शुभारंभ किया गया। डा. सुरेंद्र दलाल की पत्नी कुसुम दलाल ने महिला तथा पुरुष किसानों को राइटिंग पैड, पैन तथा सुक्ष्मदर्शी लैंस देकर पाठशाला का शुभारंभ किया। इस अवसर पर पाठशाला में कृषि विभाग के जिला उप-निदेशक डा. रामप्रताप सिहाग भी विशेष रूप से मौजूद थे।   किसानों को राइटिंग पैड तथा पैन वितरित करती कुसुम दलाल।  फसल में कीटों का अवलोकन करती महिला किसान। मैडम कुसुम दलाल ने कहा कि डा. सुरेंद्र दलाल ने जिले के किसानों के साथ मिलकर जहरमुक्त ख

जमीन के टुकड़े ने करवा दिया रिश्तों का कत्ल

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जमीन के लालच में भाई ही बन गया भाई का हत्यारा  पुलिस की लापरवाही से गई एक की जान नरेंद्र कुंडू  जींद।  पिल्लूखेड़ा खंड के कालवा गांव में रविवार को जमीनी विवाद को लेकर एक बड़ा खूनी संघर्ष हो गया। जमीन के टुकड़े को लेकर कालवा गांव में दिन दहाड़े रिश्तों का कत्ल हो गया। एक जमीन के टुकड़े ने एक भाई को दूसरे भाई का कातिल बना दिया। जमीन के लालच ने 2 सगे भाइयों के परिवारों के बीच सदा-सदा के लिए दुश्मनी की लकरी खींच दी। रविवार को जमीन को लेकर कालवा में हुए इस खूनी संघर्ष में एक भाई ने दूसरे भाई के बच्चों के सिर से बाप का साया छीन लिया। जमीन को लेकर हुए इस खूनी संघर्ष में एक 1 व्यक्ति की मौत हो गई तथा 5 लोग जख्मी हो गए। रविवार को हुए इस खूनी संघर्ष में पुलिस की लापरवाही भी साफ नजर आ रही है। अगर 15 दिन पहले दोनों परिवारों के बीच हुए विवाद को पुलिस गंभीरता से लेती और समय पर उचित कार्रवाई करती तो शायद आज इन दोनों परिवारों को यह दिन नहीं देखना पड़ता। पुलिस समय रहते अगर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर आरोपियों को काबू कर लेती तो शायद आज रामङ्क्षसह की जान बच सकती थी। खूनी संघर्ष के बाद उजागर

चूल्हे-चौके के साथ साथ महिला किसानों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगी कीटों की मास्टरनियां

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सप्ताह के हर बुधवार को रधाना गांव में किया जाएगा महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन  नरेंद्र कुंडू जींद।  थाली को जहरमुक्त करने की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए कीटों की मास्टरनियां अब आस-पास के गांवों की महिलाओं को भी कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगी। तक सीमित रहने वाली महिलाओं को खेती किसानी के कार्य में निपुर्ण करने के लिए ललीतखेड़ा, निडाना तथा निडानी की महिलाओं द्वारा कीट साक्षरता के अग्रदूत डा. सुरेंद्र दलाल के नाम से सप्ताह के हर बुधवार को रधाना गांव में महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन किया जाएगा। इस पाठशाला में रधाना गांव के साथ-साथ आस-पास के गांवों की महिलाओं को भी कीटों की पहचान करवाकर जहरमुक्त खेती के टिप्स दिए जाएंगे। महिलाओं की इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए कृषि विभाग द्वारा भी विशेष सहयोग दिया जाएगा।  फसलों में अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के कारण किसानों पर बढ़ते खर्च तथा रासायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से हो रही जीव हत्या को देखते कीट साक्षरता के अग्रदूत डा. सुरेंद्र दलाल ने 2008 में निडाना गांव से कीट ज्ञान क्रांति की मुहिम का शंखनाद किया था। डा. सुरेंद्र दलाल ने

सफेद मक्खी का सबसे बड़ा भस्मासुर फलहारी बुगाडा

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फलहारी बुगडे ने दी कपास की फसल में दस्तक  नरेंद्र कुंडू  जींद।  कृषि विभाग के जिला उप-निदेशक डा. रामप्रताप सिहाग ने कहा कि जींद जिले के किसानों ने कीटों पर शोध का जो कार्य शुरू किया है, वह अपने आप में एक अनोखी पहल है। आज तक पूरे देश में कीटों पर इस तरह से कहीं भी शोध नहीं हुआ है। डा. सिहाग शनिवार को राजपुरा गांव के खेतों में आयोजित डा. सुरेंद्र दलाल किसान खेत पाठशाला के तीसरे सत्र में बतौर मुख्यातिथि किसानों को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उनके साथ कामरेड फूलकुमार श्योकंद, ए.डी.ओ. डा. कमल सैनी भी विशेष रूप से मौजूद थे। पाठशाला में आसपास के 12 गांवों के किसानों ने अपनी अनुपस्थिति दर्ज करवाई।    पाठशाला में किसानों को सम्बोधित करते डी.डी.ए. डा. आर.पी. सिहाग। कामरेड फूलकुमार श्योकंद ने कहा कि अगर किसानों को जहर से निजात हासिल करनी है तो उन्हें डा. सुरेंद्र दलाल द्वारा दिखाए गए कीट ज्ञान के रास्ते पर आगे बढ़कर कीटों के जीवनचक्र पर गहराई से अध्ययन करना होगा। श्योकंद ने कहा कि देश में जब हरित क्रांति ने दस्तक दी थी तो उसके साथ ही फसलों में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग भी तेजी से

कपास की फसल में महिलाओं ने ढूंढ़े कुदरती कीटनाशी

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शाकाहारी कीटों को नियंत्रित करने के लिए मांसाहारी कीटों ने दी फसल में दस्तक नरेंद्र कुंडू   फसल में अवलोकन के दौरान महिलाओं को मिला मांसाहारी कीट क्राइसोपा का अंड़ा। फसल में कीटों का अवलोकन करती महिलाएं। जींद। कीटाचार्या सविता मलिक ने कहा कि किसानों को अपनी कपास की फसल में मौजूद शाकाहारी कीटों से घबराने की जरुरत नहीं है। शाकाहारी कीटों को नियंत्रित करने के लिए कपास की फसल में अब मांसाहारी कीटों ने भी दस्तक दे दी है। सविता वीरवार को ललीतखेड़ा गांव के खेतों में आयोजित डा. सुरेंद्र दलाल महिला किसान खेत पाठशाला के दूसरे सत्र के दौरान पाठशाला में मौजूद महिलाओं को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ा रही थी। इस अवसर पर बागवानी विभाग के जिला अधिकारी डा. बलजीत भ्याण, कृषि विभाग के ए.डी.ओ. डा. कमल सैनी, डा. शैलेंद्र चहल तथा डा. नेम कुमार भी विशेष रूप से मौजूद थे। पाठशाला की शुरूआत में महिलाओं ने कपास की फसल में मौजूद कीटों का अवलोकन किया। कीट अवलोकन के दौरान महिलाओं ने कपास की फसल में क्राइसोपा का अंडे भी देखे। सविता मलिक ने कहा कि फसल में शाकाहारी तथा मांसाहारी 2 प्रकार के कीट होते हैं। पहले