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क्या केवल फांसी या कठोर कानून से रूक जाएंगे बलात्कार के मामले?

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लोगों को भी समझनी होगी अपनी जिम्मेदारी और महिलाओं के प्रति अपने नजरिए में लाना होगा बदलाव  नरेंद्र कुंडू जींद।  आज देश में बढ़ रही रेप तथा गैंगरेप की घटनओं के कारण विश्व में देश का सिर शर्म से झुक गया है। दिल्ली गैंगरेप की घटना ने तो महिलाओं की अंतरआत्मा को बुरी तरह से जख्मी कर सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है। चारों तरफ घटना की पूर जोर ङ्क्षनदा हो रही है। देश का हर नागरिक इस घटना से आहत है। देश की राजधानी में घटीत इस घिनौने कांड के बाद जनता में आक्रोष की लहर दौड़ गई है। इस घटना के लिए देश का हर नागरिक सरकार को कोस रहा है। विपक्षी दलों ने भी बलात्कार जैसे संवेदनशील मुद्दों की आंच पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने का काम किया है। दूसरों को जगाने वाली दामिनी जिंदगी की जंग हार कर खुद हमेशा के लिए सो गई है। आज देश का हर व्यक्ति दामिनी को मौत की नींद सुलाने वालों के लिए फांसी की सजा तथा रेप की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कठोर कानून की मांग कर रहा है लेकिन जरा सोचिए क्या बलात्कारियों को फांसी देने या बलात्कारियों के खिलाफ कठोर कानून बनाने मात्र से ही देश में बलात्कार की

बिना कीटों की पहचान के जहर से मुक्ति असंभव : डी.सी.

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राजपुरा भैण में किसानों ने मनाया किसान खेत दिवस नरेंद्र कुंडू  जींद।  उपायुक्त डा. युद्धबीर सिंह ख्यालिया ने कहा कि फसल में पाए जाने वाले शाकाहारी और मासाहारी कीटों की पहचान तथा उनके क्रियाकलापों की जानकारी जुटाकर ही थाली को जहरमुक्त बनाया जा सकता है। बिना कीटों की पहचान के जहर से मुक्ति पाना असंभव है। जींद जिले के लगभग एक दर्जन गांवों के किसानों ने कीट ज्ञान की जो मशाल जलाई है आज उसका प्रकाश जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर भी पहुंचने लगा है। इसकी बदौलत ही आज पंजाब जैसे प्रगतिशील प्रदेश के किसान भी जींद जिले में कीट ज्ञान हासिल करने के लिए आ रहे हैं। उपायुक्त जींद जिले के राजपुरा भैण गांव में किसान खेत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।  उपायुक्त ने कहा कि जींद जिले में पिछले कई वर्षो से किसान खेत पाठशालाएं चलाई जा रही हैं। इन पाठशालाओं में किसानों ने अपने बलबुते शाकाहारी और मांसाहारी कीटों की खोज कर एक नई क्रांति को जन्म दिया है। शाकाहारी कीट पौधों की फूल-पतियां खा कर अपना जीवनचक्र चलाते हैं, तो मासाहारी कीट शाकाहारी कीटों को खाकर वंशवृद्धि करते हैं। प

जहरमुक्त खेती को बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन तैयार कर रहा एक्शन प्लान

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प्रदेश के किसानों के लिए रोल माडल बनेंगे जींद जिले के किसान निडाना तथा ललितखेड़ा के किसान पढ़ाएंगे कीटों की पढ़ाई नरेंद्र कुंडू जींद।  कीटनाशक रहित खेती को बढ़ावा देने में जींद जिला प्रदेश के किसानों के लिए रोल मॉडल के रूप में उभरेगा। किसानों तथा कीटों के बीच पिछले 4 दशकों से चल रही जंग को समाप्त करने में निडाना और ललितखेड़ा गांव के किसान अहम भूमिक निभाएंगे। निडाना तथा ललित के किसानों द्वारा शुरू की गई इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन ने अब इन किसानों का हाथ थाम लिया है। लोगों की थाली को जहरमुक्त करने तथा बेजुबान कीटों को बचाने के लिए अब जिला प्रशासन के सहयोग से निडाना तथा ललितखेड़ा गांव के मास्टर ट्रेनर किसान पूरे जिले में कीटनाशक रहित खेती की अलख जाएंगे। जहरमुक्त खेती की इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन ने कृषि विभाग तथा बागवानी विभाग के अधिकारियों के हाथों में इस मुहिम की कमान सौंपने का निर्णय लिया है। किसानों के इस अभियान को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है। जिला प्रशासन जल्द ही इस प्लान पर अमल शुरू करने जा रहा है।

तेजी से ऊपर जा रहा महिला उत्पीडऩ की घटनाओं का ग्राफ

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नरेंद्र कुंडू जींद।  महिलाओं पर बढ़ रहे उत्पीडऩ तथा यौन शोषण की घटनाओं के आगे कानून की तमाम धाराएं तथा सरकार की नीतियां बौनी साबित हो रही हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे कदमों के बावजूद भी अत्याचार तथा यौन शोषण की घटनाओं पर लगाम लगने के बजाए लगातार ग्राफ ऊपर जा रहा है। जिले में बलात्कार तथा घरेलू ङ्क्षहसा के मामले का आंकड़ा पिछले वर्षों के मुकाबले दोगना हो गया है। वर्ष 2012 में अब तक जिले में 34 बलात्कार के मामले पुलिस ने दर्ज करके 56 आरोपियों को गिरफ्तार किया। इसी तरह महिलाओं पर घरों में हो रहे अन्य अत्याचार के 460 मामले जिला प्रोटैक्शन अधिकारी के पास पहुंचे लेकिन महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचार पर रोक लगाने के लिए ठोस कानून नहीं होने के चलते इस पर लगाम नहीं लग पा रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से महिलाओं पर हो रहे अत्याचार रोकने के लिए कानून का प्रचार प्रसार करके जागरूक किया जा रहा है। अभियानों के बावजूद भी लोगों की मानसिकता नहीं बदल पा रही है। घृणित मानसिकता के चलते ही महिलाओं पर घरेलू हिंसा तथा यौवन शोषण के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में हिंसा का शिकार होने वाली म

पूरे वर्ष प्रदेश के किसानों के लिए मार्गदर्शक बने रहे निडाना व ललितखेड़ा के किसान

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निडाना व ललित खेड़ा के किसानों ने ढुंढ़ा कीटनाशकों का विकल्प  पंजाब जैसे प्रगतिशील प्रदेश के किसानों को पढ़ाया कीटों की पढ़ाई का पाठ नरेंद्र कुंडू जींद।  किसानों में जागरूकता के अभाव के कारण फसलों में अधिक उर्वकों तथा कीटनाशकों के प्रयोग के कारण आज कैंसर, हार्ट अटैक, शुगर, सैक्स सम्बंधि कई लाइलाज बीमारियों ने इंसान को अपनी चपेट में ले लिया है। किसानों को जानकारी नहीं होने के कारण किसान लगातार कीटनाशकों के दलदल में धंसते ही जा रहे हैं लेकिन जिले के निडाना तथा ललितखेड़ा के किसानों ने प्रदेश के किसानों को नई राह दिखाने का काम किया है। एक तरफ जहां किसान फसलों के अधिक उत्पादन की चाह में फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं, वहीं निडाना तथा ललितखेड़ा के किसानों ने बिना कीटनाशकों के अच्छा उत्पादन लेकर प्रदेश ही नहीं अपितू देश के किसानों के लिए एक मिशाल कायम की है। निडाना व ललितखेड़ा के किसानों ने फसलों में पाए जाने वाले शाकाहारी तथा मासाहारी कीटों को कीटनाशकों के विकल्प के रूप में तैयार किया है। कीटनाशकों के विरोध में 2008 में निडाना गांव के गौरे से शुरू हुई यह मुहिम 2

यहां कर्मचारी नहीं खुद तलाशने होते हैं जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र

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6-6 कर्मचारियों की तैनाती के बावजूद यहां सब कुछ राम भरोसे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी यहां की बदइंतजामियों पर रोक लगाने में नाकाम नरेंद्र कुंडू जींद। यहां कर्मचारी नहीं खुद उन लोगों को अपनों के जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र तलाशने होते हैं, जिन्होंने इनके लिए आवेदन किया होता है। यहां 6-6 कर्मचारियों की नियुक्ति के बावजूद सब कुछ राम भरोसे है। कोई किसी का जन्म-मृत्यु प्रमाण  पत्र ले जाए तो यहां के कर्मचारियों की बला से। उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं है।  यह कड़वी और चौंकाने वाली सच्चाई है जींद के सामान्य अस्पताल की जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाली उस  ङ्क्षवग की, जो सिविल सर्जन से लेकर स्वास्थ्य विभाग के दूसरे अधिकारियों की नाक हर मौके पर कटवाने का काम करती रही है। वीरवार को 'पंजाब केसरी' की टीम ने यहां का मुआयना किया तो यहां इसी तरह का नजारा था जब यहां का बेहद अहम रिकार्ड कार्यालय से बाहर बरामदे में पटक दिया गया था। इस रिकार्ड से लोग अपनों के जन्म और मृत्यु के प्रमाण पत्र खंगालने और तलाशने में लगे हुए थे। यहां प्रमाण पत्र लेने के लिए आए लोगों को कर्मचारियों का काम खु

बेसहारों को नहीं मिल रहा कोई सहारा

अभी तक जिला प्रशासन द्वारा नहीं की गई रैन बसेरों की कोई व्यवस्था  कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं बेसहारा लोग नरेंद्र कुंडू  जींद। कंपकपाने वाली सर्दी पडऩी शुरू हो गई है लेकिन अभी तक जिला प्रशासन द्वारा बेसहारा लोगों के लिए जिले में कहीं भी रैन बसेरे की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। प्रशासन द्वारा रैन बसेरे की व्यवस्था करना तो दूर की बात अभी तक तो अलाव के लिए भी कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। जिसके सहारे बेसहारा लोग इस ठंड के मौसम में अपनी रात गुजार सकें। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद भी जिले में रैन बसेरे की योजना कागजों से बाहर नहीं निकल पाई है। अभी तक तो प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ रैन बसेरों की व्यवस्था की योजना पर विचार ही कर रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की इस लापरवाही के चलते कड़ाके की ठंड में बेसहारा लोग खुले आसमान के नीचे ही रात गुजारने को मजबूर हैं। बेसहारा लोगों को सर्दी से बचाने के लिए उनके रात्रि ठहराव के लिए पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने रैन बसेरों और अलाव के इंतजाम के आदेश जारी किए थे। ताकि ठंड के मौसम में बेसहारा लोगों को आसरा मिल सके और