‘प्राचीन भारत का विज्ञान’

नरेंद्र कुंडू आज पश्चिम जगत तरह-तरह से दंभ भरता है और नए-नए आविष्कारों को लेकर हर समय अपनी पीठ थपथपाता रहता है। आज पश्चिम को यह गर्व है कि लगभग सभी बड़े आविष्कार उन्हीं ने किये और कहीं ना कहीं बाकी दुनिया को वह हेय दृष्टि से देखते हैं। लेकिन क्या जिन आविष्कारों पर पश्चिमी देश और वैज्ञानिक अपना दावा ठोकते हैं, क्या उन पर वाकई उनका आधिपत्य माना जाना चाहिए? अगर हमारे देश का इतिहास और पौराणिक कथाएं देखें तो उनमें ऐसे बहुत से आविष्कार, यान, सूत्र, सारणी आदि का प्रयोग और उनका ज्ञान दिया गया है, जिसे सुन और पढ़कर आधुनिक विज्ञान भी दांतों तले उंगलियां दबा लेता है। पौराणिक कथाओं में वर्णित ऋषि-मुनि विज्ञान की खोज पहले उन चमत्कारों को दर्शा चुके थे, जिन्हें विज्ञान अपना आविष्कार मानता है। फर्क बस इतना है कि पहले इन्हें चमत्कारों की श्रेणी में रखा जाता था और अब यह वैज्ञानिक करामात बन गए हैं। वैदिक काल के लोग खगोल विज्ञान का अच्छा ज्ञान रखते थे। वैदिक भारतीयों को 27 नक्षत्रें का ज्ञान था। वे वर्ष, महीनों और दिनों के रूप में समय के विभाजन से परिचित थे। वे अपने यज्ञ तथा अन्य धर्मिक अन...