संदेश

पिता के ‘बलिदान’ से बेटे के राजनीतिक सफर की शुरूआत

चित्र
दीनबंधु छोटू राम व बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक विरासत संभालेंगे बृजेंद्र सिंह 21 साल की सेवाओं के बाद 13 साल पहले ही सरकारी सेवाओं को कहा अलविदा जींद, 14 अप्रैल (नरेंद्र कुंडू):- हरियाणा के वरिष्ठ नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह की अगली पीढ़ी ने परिवार की राजनीतिक विरासत संभाली है। बीरेंद्र सिंह के आईएएस बेेटे बृजेंद्र सिंह हिसार सीट से लोकसभा चुनाव में उतर कर अपना राजनीतिक सफर शुरू करेंगे। उनका यह सफर पिता चौधरी बीरेंद्र सिंह के केंद्रीय मंत्री पद और राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफे के ‘बलिदान’ से शुरू हुआ है। अब हिसार की जनता बृजेंद्र के राजनीतिक तकदीर का फैसला करेगी, लेकिन वह दीनबंधु सर छोटूराम की राजनीति विरासत की अगली कड़ी बन गए हैं। आईएएस अधिकारी बृजेंद्र सिंह रिटायरमेंट से करीब 13 साल पहले ही नौकरी छोडक़र सक्रिय राजनीति में आए हैं। वह चंडीगढ़, फरीदाबाद और पंचकूला में जिला उपायुक्त (डीसी) रह चुके बृजेंद्र सिंह ने 21 साल की सेवाओं के बाद वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) के लिए आवेदन कर दिया है। 73 साल के हो चुके चौधरी बीरेंद्र सिंह भाजपा में किसी पद पर नहीं रहेंगे, लेकिन सक्रिय राजनीत

पिता के बाद अब बेटे पर हिसार जीतने की जिम्मेदारी

चित्र
भाजपा ने हिसार में पहली बार कमल खिलाने के लिए बृजेंद्र सिंह को उतारा मैदान में  केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के आइएएस बेटे बृजेंद्र सिंह हिसार से की राजनीति पारी की शुरूआत जींद, 14 अप्रैल (नरेंद्र कुंडू):- हिसार में पहली बार कमल खिलाने के लिए भाजपा ने केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के आईएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार लोकसभा से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। उचाना हलका हिसार लोकसभा में आता है। केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह भी हिसार से सांसद रह चुके हैं। 1984 में ओमप्रकाश चौटाला को हरा कर वो कांग्रेस की टिकट पर सांसद बने थे। बृजेंद्र सिंह के राजनीति में आने के कई महीनों से कयास लगाए जा रहे थे। अब भाजपा द्वारा हिसार से उम्मीदवार बनाए जाने पर भाजपा में केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पकड़ को भी साबित करना का काम किया है।   परीक्षा में ऑल इंडिया में पाया था 9वां स्थान बृजेंद्र सिंह ने ऑल इंडिया में आईएएस परीक्षा में 9वां स्थान प्राप्त किया था। 26 साल की उम्र में आईएएस बनने के बाद पहली ज्वाइनिंग नारनौल एसडीएम के तौर पर हुई थी। सिरसा एडीसी पद पर रहे। पंचकूला, फरीदाबाद, चंडीगढ़ म

देश की सबसे बड़ी पंचायत में महिलाओं की नहीं हो पा रही भागीदारी

चित्र
50 साल में लोकसभा तक पहुंच पाई केवल पांच महिलाएं   जींद, 18 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- हरियाणा में नारी सशक्तीकरण के दावों के बीच लोकसभा चुनावों का इतिहास करारा झटका देने वाला है। देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में महिलाओं को भेजने के लिए न तो सियासी दलों ने कोई खास तवज्जो दी और न ही मतदाताओं ने दरियादिली दिखाई। यहां पिछले 50 वर्षों में केवल पांच महिलाएं ही लोकसभा तक पहुंच पाई हैं। वह भी पारिवारिक सियासी रसूख और राष्ट्रीय दलों के टिकट के बल पर। निर्दलीय कोई महिला आज तक हरियाणा से संसद नहीं पहुंची है। कांग्रेस की चंद्रावती, कुमारी सैलजा और श्रुति चौधरी, भाजपा की सुधा यादव और इनेलो की कैलाशो सैनी ही हरियाणा गठन (एक नवंबर 1966) के बाद इस दौरान लोकसभा में पहुंच पाईं। प्रदेश से पहली महिला सांसद बनने का गौरव जनता पार्टी की चंद्रावती के नाम है। उन्होंने 1977 में चौधरी बंसीलाल को हराया था। इस दौरान प्रदेश से चुने गए 151 सांसदों में (जब यह पंजाब का हिस्सा था, तब से) महिलाओं को केवल आठ बार ही चुना गया। करनाल, रोहतक, हिसार, फरीदाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत ने आज तक एक बार भी किसी महिला को संसद में

देश में सत्ता परिवर्तन की धुरी बना था हरियाणा

चित्र
1989 में कांग्रेस के किले को तोड़ तत्कालीन सीएम चौ. देवीलाल ने देश में किया था सत्ता परिवर्तन  चौधरी देवीलाल ने विपक्षी दलों को एकजुट कर कांग्रेस को किया था सत्ता से बाहर जींद, 18 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- 10 लोकसभा सीटों वाला छोटा सा प्रदेश हरियाणा राजनीति में अपना एक विशेष स्थान रखता है। जब भी देश में सत्ता परिवर्तन हुआ है उसमें हरियाणा का विशेष योगदान रहा है। राजनीति के इतिहास में 1989 में देश में हुए सत्ता परिवर्तन की धुरी महज 10 लोकसभा सीटों वाला हरियाणा प्रदेश बना था। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल ने देश में पूरे विपक्ष को एकजुट कर केंद्र से राजीव गांधी और कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बाहर करने में अहम भूमिका निभाई थी।  यहां बताते चलें कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने पूरे देश में क्लीन स्वीप करते हुए भारत के संसदीय चुनावों की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे और 5 साल बाद 1989 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी और राजीव गांधी को संयुक्त विपक्ष के

आसान नहीं है हिसार संसदीय क्षेत्र की जनता की तासीर को समझना

चित्र
--कभी लाखों में तो कभी कड़े मुकाबले में हुआ है जीत का फैसला --सन् 1967 से 2014 तक 4 बार जीत का फासला रहा लाख से ज्यादा जींद, 16 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- हिसार संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने कभी एक तरफा चुनावी जीत की ईबारत लिखी तो कभी इतने कड़े मुकाबले बना दिए कि मतगणना के अंतिम दौर में जाकर जीत तय हो पाई। इस संसदीय क्षेत्र में 1967 से 2014 तक हुए चुनावों में 4 बार जीत का फासला एक लाख मतों से ज्यादा रहा तो कई बार जीत का फासला 10 हजार से भी कम मतों का रहा। इस संसदीय क्षेत्र के मतदाता कभी राजनीतिक आंधी के साथ चलते नजर आए तो कभी उन्होंने मुकाबले को इतना फंसा दिया कि सब चुनावी नतीजे देखकर हैरान रह गए। जब हिसार के मतदाता राजनीतिक आंधी के साथ चले तो यहां जीत का फासला लाखों मतों तक पहुंच गया और जब उन्होंने चुनाव को फंसाया तो ऐसा फंसाया कि जीत का फासला विधानसभा चुनावों की तरह महज कुछ हजार मतों पर आकर सिमट गया। हिसार संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं की यही तासीर अब 12 मई को होने वाले लोकसभा चुनावों में यहां के चुनावी दंगल में उतरने वाले प्रत्याशियों और उनके दलों की धड़कनें बढ़ाने का काम अभी से कर रह

लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही अपने-पराये के उठने लगे स्वर

चित्र
सोनीपत संसदीय क्षेत्र की जनता ने 9 बार जाट तो 2 बार गैर जाट नेताओं को दिया मौका सोनीपत लोकसभा सीट पर निर्दलिय उम्मीदवार के तौर पर अरविंद्र शर्मा के नाम है जीत का रिकार्ड जींद, 16 मार्च (नरेंद्र कुंडू):-   लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही एक बार फिर 'अपने' और 'पराये' की चर्चा तेज हो चली है। जाट बहुल सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में अब तक ज्यादातर जाट उम्मीदवार ही सांसद बने हैं लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज करने वाले अरविंद शर्मा और निवर्तमान सांसद रमेश कौशिक के रूप में दो सांसद ऐसे भी हैं जो गैर-जाट होते हुए भी जीत दर्ज कर पाए। ऐसी बात भी नहीं है कि केवल जातिवाद के दम पर ही यहां पर कोई उम्मीदवार सांसद बन गया, लेकिन काफी हद तक यह फैक्टर अपना असर जरूर दिखाता है। सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में अब तक 11 बार चुनाव हुए हैं जिसमें से 9 बार जाट उम्मीदवार को ही जीत मिली है। 1996 में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार अरविंद शर्मा को जीत मिली थी। इस चुनाव में अरविंद शर्मा को 2 लाख 31 हजार 552 और रिजक राम को 1 लाख 82 हजार 201 वोट मिले थे। 1998 में यहां से हरियाणा लोकदल के किशन सिंह सां

जातिवादी कार्ड खेलना पड़ेगा भारी, होगा बड़ा एक्शन

चित्र
दोष साबित होने पर छह महीने से दो साल के लिए जेल की हवा जींद, 16 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा और डेरा सच्चा सौदा प्रकरण को लोकसभा चुनाव में भुनाने की रणनीति पर चल रहे सियासी दलों पर चुनाव आयोग की नजर टेढ़ी हो गई है। आम चुनाव में अगर किसी भी प्रत्याशी ने जाट बनाम गैर जाट या फिर जातिवाद और धर्म का कार्ड खेला तो उसकी उम्मीदवारी खत्म हो सकती है। दोष साबित होने पर छह महीने से दो साल तक के लिए जेल की हवा भी खानी पड़ेगी। प्रदेश की सियासत में जब-तब जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा का मामला तूल पकड़ता रहा है। लोकसभा चुनाव का शेड्यूल जारी होते ही एक बार फिर से विभिन्न सियासी दलों से जुड़े दिग्गज एक-दूसरे पर हिंसा का ठीकरा फोड़ते हुए अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में जुट गए हैं। इस पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने ऐसे नेताओं पर निगरानी बढ़ा दी है। कहीं भी जाति, धर्म, नस्ल, समुदाय या भाषा के आधार पर कोई प्रत्याशी या राजनेता मतदाताओं को प्रभावित करता दिखा तो इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 (3) के तहत किसी उम्मी