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मई, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सावधान ! सस्ते के नाम पर परोसा जा रहा है जहर

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बेलगिरी तथा शिकंजी के नाम पर पिलाया जा रहा कैमिकलयुक्त जूस पाऊडर से तैयार किया जाता है बेलगिरी तथा आम का जूस प्रवासी मजदूरों ने डाला शहर में डेरा, जगह-जगह लगाई जूस की रेहडिय़ां स्मेक में प्रयोग होने वाले केमिकल से तैयार होता है बेलगिरी का जूस नरेंद्र कुंडू  जींद। सावधान! यदि आप गर्मी के मौसम में बेलगिरी, शिकंजी, मैंगोशेक से गला तर करने की सोच रहे हैं तो आपको सतर्क रहने की जरूरत है। जूस के नाम पर आपको खुले में जहर पिलाया जा रहा है। इन दिनों शहर में खुलेआम लोगों को केमिकल युक्त जूस पिलाकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग इस तरफ कोई कदम नहीं उठा रहा है। शहर में भारी संख्या में प्रवासी मजदूरों ने डेरा डाला हुआ है जो खुलेआम इस काम को अंजाम दे रहे हैं। यह प्रवासी मजदूर लोगों को यह जहर पिलाकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। फलों की कीमत ज्यादा लेकिन जूस की कीमत कम दुकानदार द्वारा केमिकल से तैयार करके दिखाया गया केमिकलयुक्त जूस। बाजार में इन दिनों बेलगिरी 60  रुपये किलो तथा आमों की कीमत 80 से 100 रुपये किलो बिक रहे हैं। ऐसे में शहर में महज 10 रुपये मे

निडाना गांव में कीटों पर शोध के लिए जमीन फिर तैयार

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 डेढ़ एकड़ में एनसीआईपीएम के वैज्ञानिक व कीट कमांडों किसान करेंगे शोध कपास की फसल पर होगा शोध  नरेंद्र कुंडू जींद। जिले के निडाना गांव के खेतों में एक बार फिर से कीटों पर शोध के लिए जमीन तैयार हो गई है। इस बार राष्ट्रीय केंद्र समाकेती कीट प्रबंधन (एनसीआईपीएम) के कृषि वैज्ञानिक यहां कीटों पर शोध करेंगे। इससे पहले वर्ष 2008 में कीट साक्षरता के अग्रदूत डॉ. सुरेंद्र दलाल ने यहां पर कीटों पर शोध की शुरूआत की थी। एनसीआईपीएम के कृषि वैज्ञानिकों ने निडाना में डेढ़ एकड़ जमीन पर शोध प्लांट लगाने का निर्णय लिया है। डेढ़ एकड़ जमीन में आधा-आधा एकड़ के तीन अलग-अलग पार्ट तैयार किये गए हैं, जिनमें एनसीआईपीएम के कृषि वैज्ञानिक अपनी निगरानी में कपास की फसल तैयार करवाएंगे। आधा एकड़ में एनसीआईपीएम के कृषि वैज्ञानिक अपने तरीके से कपास की फसल तैयार करवाएंगे और आधा एकड़ में कीट कमांडो किसान अपने तरीके से फसल तैयार करेंगे तथा आधा एकड़ में आम किसान द्वारा कपास की फसल की तैयार करवाई जाएगी। बाद में तीनों प्लांटों के उत्पादन के आंकड़े एकत्रित कर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कीट ज्ञान क्रांति की इस मुहिम पर आगामी

बारिश के बाद बढ़ी कपास के बीजों की काला बाजारी

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 खुलेआम किसानों को लूट रहे बीज विक्रेता  कपास के बीजों में प्रति पैकट हुई 100 से 200 रुपये की बढ़ौतरी  हर रोज जिले में कपास के बीज का होता है 70 से 80 लाख का कारोबार नरेंद्र कुंडू  जींद। पिछले सप्ताह हुई बरसात के बाद से कपास की बिजाई के कार्य ने रफ्तार पकड़ ली है। तापमान में गिरावट होने के साथ ही बीजों के रेटों में बढ़ौतरी हो गई है। कपास के बीजों की मांग बढऩे के साथ बीज विक्रताओं ने बीजों की काला बाजारी शुरू कर दी है। बीज विक्रेता किसानों को बाजार में बीज की कमी होने का भय दिखाकर किसानों से मुंह मांगे दाम वसूल रहे हैं। कपास की बिजाई का सीजन अंतिम चरण में होने के कारण किसानों को मजबूरन महंगे दामों पर बीज खरीद कर बिजाई करनी पड़ रही है लेकिन बीज विक्रेताओं की खुली मनमानी पर रोक लगाने के लिए कृषि विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। कृषि विभाग की सुस्त कार्य प्रणाली के चलते बीज विक्रेता मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। जींद जिले में लगभग 62 हजार हैक्टेयर में कपास की फसल की बिजाई होती है। कृषि विभाग के नियमों के अनुसार अप्रैल के अंतिम सप्ताह से २५ मई तक कपास की बिजाई का सबसे उपयुक्त

कीट ज्ञान की मुहिम की शुरूआत कर डॉ. दलाल ने दिया एक नई क्रांति को जन्म

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कीटों की मास्टरनियों ने शहर के लोगों को भी पढ़ाया कीट ज्ञान का पाठ कहा, जहरमुक्त खान-पान मनुष्य की प्राथमिकता नरेंद्र कुंडू  जींद। थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए डॉ. सुरेंद्र दलाल ने कीट ज्ञान की मुहिम शुरू कर एक नई क्रांति को जन्म दिया है। आज जहरमुक्त खान-पान प्रत्येक व्यक्ति की जरूरत है। जहरीले खान-पान के कारण आज मनुष्य निरंतर भिन्न-भिन्न बीमारियों की चपेट में आ रहा है। यह बात पुलिस अधीक्षक बलवान सिंह राणा ने रविवार को डॉ. सुरेंद्र दलाल की पुण्यतिथि पर श्रीराम स्कूल में आयोजित रक्तदान शिविर में बतौर मुख्यातिथि बोलते हुए कही। कार्यक्रम में सीटीएम सतबीर लोहचब, डीएसपी धर्मबीर पूनिया, हिसार डीएचओ डॉ. बलजीत भ्याण, मैडम कुसुम दलाल, बराह तपा प्रधान कुलदीप ढांडा, डॉ. राजेश भोला, श्री राम विद्या मंदिर स्कूल के चेयरमैन प्रदीप भोला, प्राचार्या सविता भोला, चुनाव तहसीलदार रवि शर्मा, राज सिंह दलाल, विजय दलाल, सामान्य अस्पताल के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. जेके मान, शहर थाना प्रभारी कमलदीप, डॉ. वीरेंद्र मलिक, आवाज जन-जन की संगठन के अध्यक्ष अरविंद मलिक, संरक्षक अनिल देशवाल मौजूद थे। शिविर में 70 यूनिट

...और आसान हुई रामकिशन की वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज करवाने की डगर

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कुरुक्षेत्र म्यूजियम के प्रतिनिधि ने किया विश्वकीर्तिमान के लिए निर्मित केतली का निरीक्षण नरेंद्र कुंडू  जींद। कस्बे के गांव कालवा निवासी मूर्ति कलाकार मास्टर रामकिशन द्वारा वर्ल्ड रिकार्ड के लिए तैयार की गई आठ फीट की केतली के निरीक्षण के लिए रविवार को कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के धरोहर म्यूजियम का एक प्रतिनिधि तथा सफीदों से नोटरी पब्लिक  कालवा पहुंचे और कालवा में निर्मित इस विश्वकीर्तिमान का निरीक्षण किया। मास्टर रामकिशन द्वारा वर्ल्ड रिकार्ड के लिए तैयार की गई आठ फीट की केतली को देखकर धरोहर म्यूजियम के सुपरवाइजर डॉ. कुलदीप आर्य तथा नोटरी पब्लिक एडवोकेट विजय ने मास्टर रामकिशन की पीठ थपथपाते हुए उनकी इस कलाकारी को वर्ल्ड रिकार्ड के योग्य बताया। दोनों अधिकारियों ने मास्टर रामकिशन के नाम यह रिकार्ड दर्ज करवाने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स लंदन के लिए अपनी गवाही देने की सहमती भी दे दी। म्यूजियम के सुपरवाइजर तथा नोटरी पब्लिक द्वारा केतली के निरीक्षण के बाद वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज करवाने के लिए गवाह के तौर पर सहमति दिए जाने के बाद वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज करवाने की मास्टर

विश्व कीर्तिमान में नहीं प्रशासन की रुचि

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प्रशासनिक उदासीनता का शिकार हो रहा कालवा का मूॢत कलाकार कागजी कार्रवाई पूरी नहीं होने के कारण अभी तक गिनीज बुक में दर्ज नहीं हो पाया नाम कालवा के रामकिशन ने ६ घंटे में बनाई आठ फिट की केतली नरेंद्र कुंडू जींद। हस्तकला में चाइना का रिकार्ड तोड़कर विश्व के मानचित्र पर जींद जिले, हरियाणा प्रदेश और देश का नाम सुनहरी अक्षरों में दर्ज करवाने के प्रयास में लगा कालवा गांव का मूर्ति कलाकार रामकिशन प्रशासनिक उदासीनता के कारण अभी तक गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज नहीं करवा पाया है। विश्व कीर्तिमान स्थापित करने जा रहे कलाकार रामकिशन की राह में प्रशासन की यह उदासीनता रोड़ा बन गई है। प्रशासन द्वारा रामकिशन के इस कार्य में किसी तरह की रुचि नहीं दिखाई जा रही है। मूर्ति कलाकार रामकिशन ने गत 26 अप्रैल को 6 घंटे की मेहनत के बाद आठ फीट 2  इंच तथा 76 किलोग्राम की चाय की केतली तैयार कर चाइना के रिकार्ड को तोड़ दिया है। इससे पहले हस्तकला में यह रिकार्ड चाइना के नाम था। चाइना के सनबाओ क्सू ने 2006 में 5  फुट 10  इंच ऊंची तथा 60 किलोग्राम की केतली बनाकर यह रिकार्ड अपने नाम किया था। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्

गेहूं की कटाई के बाद कपास की बिजाई ने पकड़ी रफ्तार

बिजाई के दौरान विशेष बातों का ध्यान रखें किसान अच्छे उत्पादन के लिए पौधों की पर्याप्त संख्या, खुराक व अच्छा पानी है प्राथमिकता जिले में ६५ से ७० हजार हैक्टेयर में होती है कपास की खेती नरेंद्र कुंडू  जींद। गेहूं की कटाई खत्म होते ही कपास के उत्पादन क्षेत्र के किसान नरमा की बिजाई में जुट गए हैं। जींद जिले में 65  से 70  हजार हैक्टेयर में कपास की खेती होती है और इस बार यह आंकड़ा बढऩे की संभावना है। कपास की अधिक पैदावार लेने के लिए किसान बीज की अच्छी किस्म से लेकर बिजाई के दौरान भिन्न-भिन्न किस्म के तरीके अपना रहे हैं। कपास की बिजाई के सीजन को देखते हुए कृषि विभाग द्वारा भी किसानों को बिजाई के दौरान कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखने के लिए विशेष गाइड लाइन जारी की गई हैं। कृषि विभाग तथा प्रगतिशील किसानों की मानें तो किसी भी फसल के अच्छे उत्पादन के लिए सबसे पहली प्राथमिकता खेत में पर्याप्त पौधों का होना तथा सिंचाई के लिए अच्छा पानी होना है। अगर बिजाई के दौरान किसान खेत में पौधों की पर्याप्त संख्या पर ध्यान नहीं देंगे तो इससे अच्छे उत्पादन की उम्मीद नहीं लगाई जा सकती। पौधों की पर्याप्त संख्य

जेल में तैयार हो रहा केदियों का भविष्य

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जिला कारागार को बना दिया प्रशिक्षण केंद्र  जेल में स्थित मल्टी आर्ट कल्चर सेंटर में कैदियों व बंदियों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण कैदी तथा बंदियों को आत्म निर्भर बनाने के लिए सिखाए जा रहे हैं हस्त शिल्प के गुर नरेंद्र कुंडू जींद। ' कुचले हुए फूल फिर से मुस्करा सकते हैं बस कोई उन्हें सीने से लगाने वाला चाहिए' यह सोच है जिला कारागार के अधीक्षक डॉ. हरीश कुमार रंगा की। डॉ. रंगा ने अपनी इसी सोच की बदोलत जिला कारागार को प्रशिक्षण केंद्र में तब्दील कर दिया है। डॉ. रंगा द्वारा जिला कारागार में मल्टी आर्ट कल्चर विंग स्थापित की है। इस मल्टी आर्ट कल्चर विंग में सैंकड़ों कैदी तथा बंदी अपनी रुचि के अनुसार पेंटिंग, संगीत, हस्त शिल्प, कम्प्यूटर का प्रशिक्षण ले रहे हैं। वहीं जिला कारागार में बंद महिला कैदियों तथा बंदियों को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए हस्त शिल्प का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कैदियों तथा बंदियों को शारीरिक तथा मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए ध्यान तथा राज योग केंद्र भी स्थापित किया गया है, जिसमें योग तथा ध्यान के प्रशिक्षकों द्वारा कैदियों तथा बंदियों को प्रशिक्षित क