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सुलगने लगी आंदोलन की चिंगारी

नए साल से करेंगे आंदोलन की शुरूआत नरेंद्र कुंडू जींद। अपने साथ हो रहे सौतेले व्यवहार व अपने हक के लिए डीसी रेट पर कार्यरत कर्मचारियों में आंदोलन की चिंगारी सुलगने लगी है। मुख्यमंत्री द्वारा अनुबंधित अध्यापकों को वेतनवृद्धि का तोहफा दिए जाने के बाद डीसी रेट पर कार्यरत कर्मचारियों के अंदर छिपी ये चिंगारी अब उग्र रूप धारण कर रही है, जो जल्द ही आंदोलन का रूप धारण कर सकती है। समान काम व समान वेतन की मांग को लेकर लड़ाई लड़ने के लिए ये कर्मचारी आंदोलन की रणनीति तैयार कर रहे हैं। अपने इस आंदोलन में अपनी मांगों के साथ-साथ काल का ग्रास बन चुके डीसी रेट के 93 कर्मचारियों के हक के लिए भी आवाज उठाई जाएगी। डीसी रेट के कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले आंदोलन के संकेत अभी गत दिवस 28 दिसंबर को नेहरू पार्क में हुई बैठक के माध्यम मिल चुके हैं। आंदोलन को सफल बनाने के लिए डीसी रेट के कर्मचारी सूचना एवं प्रौद्योगिकी का भी सहारा ले रहे हैं। एसएमएस के माध्यम से सभी कर्मचारियों को आंदोलन के लिए निमंत्रण दिया जा रहा है। हरियाणा बिजली वितरण निगम ने कर्मचारियों की तंगी से राहत पाने के लिए 2008 में 6 हजार असिस्टे

टूटे दिलों को जोड़ने की कवायद

परिवार परामर्श केंद्र ने निपटाए 867 मामले  नरेंद्र कुंडू जींद। जिला बाल कल्याण परिषद द्वारा चलाया जा रहा परिवार परामर्श केन्द्र रिश्तों में आई दरार को जोड़ने में वरदान साबित हो रहा है। परिवार परामर्श केन्द्र में अब तक 876 मामले सामने आए। जिसमें से परामर्शदाताओं ने 867 परिवारों को जोड़ने का काम किया। अगर आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष ज्यादा मामले निपटारे के लिए परिवार परामर्श केंद्र में आए हैं। हर वर्ष औसतन 50 से 60 मामले रजिस्ट्र हो रहे हैं। जागरूकता के अभाव के कारण दाम्पत्य जीवन में आई कड़वाहट को दूर करने व लोगों को जागरूक करने के लिए जिला बाल कल्याण परिषद ने गांव व कस्बों में जाकर जागरूकता शिविर लगाने का निर्णय लिया है। आधुनिकता की चकाचौंध व भागदोड़ भरी जिंदगी के कारण आज इंसान अपने वास्तविक रिश्तों की पहचान खो रहा है। आपसी तालमेल के अभाव व जागरूकता की कमी के कारण दाम्पत्य जीवन में कड़वाहट बढ़ रही है। जिस कारण कई बार तो दोनों में तलाक तक की नौबत आ जाती है और लोग जागरूकता के अभाव के कारण कोर्ट-कचहरी के चक्कर में पड़ जाते हैं। कोर्ट-कचहरी की लंबी प्रक्रिया से हार-थक ज

अब तहसील स्तर पर खुलेंगे कृषि विज्ञान केंद्र

हिसार कृषि विवि से शुरू होगी पहल कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए वरदान साबित होगी योजना नरेंद्र कुंडू जींद। प्रदेश में शहरीकरण और औद्योगिकरण से कम हो रही कृषि जोत तथा कृषि क्षेत्र में लागत बढ़ने के बावजूद कृषि उत्पादन व मुनाफे में आ रही कमी के कारण असमंजसता के दौर से गुजर रहे किसानों के लिए अच्छी खबर है। कृषि क्रियाओं में उनकी तकनीक को बढ़ाने तथा मुनाफे के तरीके शेयर करने के लिए तहसील स्तर पर कृषि विज्ञान केंद्र खोले जाएंगे। आमतौर पर हर जिले में एक ही कृषि विज्ञान केंद्र काम कर रहा है। नए केंद्रों के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने रणनीति बनाकर उसे मूर्त रूप देने की तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश के अधिकांश जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों को कृषि तथा अन्य सहायक गतिविधियों से रूबरू कराने वाले हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कराए गए एक सर्वे में यह साफ हो गया था कि किसानों को खेती प्रबंधन से लेकर अपनी लागत निकालने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसके कारण किसानों का कृषि क्षेत्र से मोह भंग हो रहा है। उनके खेती से विमुख होने के संभावित खतरे को टालने के लिए विश्वविद्

नए साल पर कर्मचारियों की रहेगी मौज

हर माह कर्मचारियों को एक साथ मिलेंगी तीन-तीन छुट्टियां नरेंद्र कुंडू जींद। वर्ष 2012 कर्मचारियों के लिए खासी सौगात लेकर आएगा। नए साल की शुरूआत छुट्टी से होगी और समाप्त वर्किंग डे पर होगा। सालभर में छुट्टियों की रेल चलती रहेगी। नए वर्ष में कर्मचारियों के लिए तीन का आंकड़ा काफी मजेदार रहेगा। कर्मचारियों को हर माह 3-3 छुट्टियों की सौगात एक साथ मिलती रहेगी। जिसके चलते कर्मचारी अपने परिवार को टाइम दे पाएंगे। एक जनवरी को रविवार पड़ने से सरकारी कर्मचारियों के लिए नए साल का जश्न दो गुणा हो जाएगा। दूर-दराज नौकरी करने वाले कर्मचारी इस बार अपने परिवार के साथ नया साल मना पाएंगे। हर माह एक साथ तीन-तीन छुट्टियों पड़ने के कारण सरकारी कार्यालयों में कामकाज भी काफी धीमी गति से चलेगा, जिस कारण आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। लोग शायद सच ही कहते हैं कि साल की शुरूआत जैसा होगी, पूरा साल उसी तहर चलेगा। इस बार नया साल सरकारी कर्मचारियों के लिए अच्छा बितेगा। क्योंकि नए साल की शुरूआत ही छुट्टी से हो रही है। इस बार सरकारी कर्मचारियों को हर माह एक साथ तीन-तीन छुट्टियों की सौगात मिलेगी। यही कारण है कि

मौत के साये में पढ़ाई

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जर्जर हो चुका है स्कूल का भवन नरेंद्र कुंडू जींद। सरकार द्वारा शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया जा रहा है, वहीं क्षेत्र के कई स्कूलों के पास या तो भवन की कमी है या भवन जर्जर हो चुके है। ऐसे में गांव भूरायण के राजकीय प्राथमिक पाठशाला का भवन की छत्त टूटने के कगार पर है। जिसके कारण स्कूली छात्र मौत के साये में पढ़ाई करने पर मजबूर हैं। स्कूल स्टाफ द्वारा शिक्षा विभाग को भवन के निर्माण के लिए मौखिक व लिखित शिकायत दी जा चुकी है। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी शिकायत मिलने के बाद भी लंबी तानकार सोये हुए हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण लगभग 500 विद्यार्थियों के सिर पर मौत का साया मंडरा रहा है। अधिकारियों की लापरवाही के कारण यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है, जो स्कूल में पढ़ रहे इन नौनिहालों को मौत के मुहं में धकेल सकता है। प्रदेश सरकार शिक्षा स्तर को सुधारने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ अनेकों सुविधाएं देने के दावे कर रही है। लेकिन प्रदेश सरकार के यह दावे सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं। सरकार के इन दावों

चिठ्ठी ना कोई संदेश....

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मोबाइल संचार क्रांति के बाद घटा ग्रीटिंग का क्रेज इस बार मार्केट में आए नए ग्रीटिंग कार्ड को दिखाता दुकानदार। नरेंद्र कुंडू जींद। चिठ्ठी  ना कोई संदेश.... जी हां हम बात कर रहे हैं उस जमाने की जब लोग चिठ्ठी  या पत्र के माध्यम से दूर बैठे अपने प्रियजनों का हालचाल मालूम करते थे। काफी दिनों तक उनका कोई संदेश या चिठ्ठी  न मिलने पर इस गजल को गुणगुणा कर उन्हें याद भी करते थे। होली, दीपावली व नव वर्ष पर ग्रीटिंग के माध्यम से लोग अपने शुभचिंतकों को शुभकामनाएं देते थे। जिसके चलते त्योहारी सीजन पर कई-कई दिनों तक ग्रीटिंग कार्डों का आदान-प्रदान चलता था। करीबन एक डेढ़ दशक तक सूचना एवं संदेश भजने के कारोबार में ग्रीटिंग का साम्राज्य कायम रहा है, लेकिन इस साम्राज्य को अब मोबाइल टेक्नोलाजी ने हिलाकर रख दिया है। अब महंगे ग्रीटिंग कार्ड खरीदना और दो दिन बाद मिलने का जमाना लदने लगा है। अब यह काम एक पैसे व एक सैकेंड में हो जाता है। अब मार्केट में अच्छे से अच्छे ग्रीटिंग आए हुए हैं, लेकिन अब इनके खरीदार बहुत कम रह गए हैं। पहले त्योहारी सीजन पर ग्रीटिंग का करोड़ों रुपए का कारोबार होता था, लेकिन अब यह कार

सरवाइकल बन रहा युवाओं का दुश्मन

नरेंद्र कुंडू                                                                    जींद। सावधान! अगर आप कम्प्यूटर पर ज्यादा समय बिताते हैं, आपका सोने का तरीका व बिस्तर सही नहीं है या आप एक ही अवस्था में ज्यादा देर तक टीवी देखते हो तो आप सरवाइकल का शिकार हो सकते हैं। आज सरवाइकल की बीमारी युवाओं की दुश्मन बनी हुई है। सरवाइकल की चपेट में सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी आ रही है। शहर के सामान्य अस्पताल के आयुर्वैदिक पंचकर्म केंद्र पर रोजाना औसतन 15 केस सरवाइकल के पहुंच रहे हैं। पंचकर्म केंद्र पर आने वाले सरवाइकल के मरीजों में ज्यादातर युवा शामिल हैं। चिकित्सक इसके लिए ज्यादा देर तक कम्प्यूटर पर कार्य करना, टीवी देखना, सोने का तरीका व बिस्तर सही नहीं होना व डिप्रेशन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। युवाओं में इंटरनेट के बढ़ते क्रेज के कारण ज्यादा समय कम्प्यूटर पर बिताने, दिनचर्या सही न होने के कारण सरवाइकल की बीमारी दस्तक दे रही है। युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा इस बीमारी का शिकार हो रही है। सरवाइकल युवा पीढ़ी की दुश्मन बनी हुई है। कम्प्यूटर पर काम करते समय बैठने व काम करने का तरीका सही नहीं होने, एक ही अवस्था में