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..अ मेरे वतन के लोगो जरा याद करो कुर्बानी

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शहीदी स्मार्क से यात्रा की शुरुआत करते युवा। नरेंद्र कुंडू जींद। ‘इतना वादा करो जब आजादी मिले, याद करना हमें भूल जाना नहीं’ शहीदों की इस आवाज को बुलंद करने का बीड़ा उठाया है जींद जिले के कुछ देशभक्त युवाओं ने। आजादी से पहले लोगों के दिलों में देश भक्ति का जो जजबा शहीद भगत सिंह व उनके साथियों ने पैदा किया था, उस जजबे को कायम रखने तथा पथ भ्ररष्ट हो रहे नौजवानों को रास्ता दिखाकर देश की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए इन युवाओं ने कमर कस ली है। इन युवाओं ने सरकार से 23 मार्च (शहीद भगत सिंह) के बलिदान दिवस को नेशनल होली डे के रूप में मनाने तथा हर प्रदेश में जिला स्तर पर शहीदी म्यूजियम खोलने की मांग की है। अपनी इस मांग को सरकार तक पहुंचाने व अधिक से अधिक लोगों को इस आंदोलन के साथ जोड़ने के लिए 27 फरवरी (चंद्रशेखर आजाद के शहीदी दिवस) से ‘कुछ पल शहीदों के नाम’ से पैदल यात्रा शुरू की है। यह यात्रा जींद से चलकर गांव व कस्बों से होते हुए पंजाब के नवा शहर स्थित भगत सिंह के गांव खटकड़ कलां पहुंचेगी। देश की पहली हाईटेक पंचायत बीबीपुर भी इन युवाओं के सहयोग में खड़ी हो गई और पंचायत द्वारा इन युवाओं को विश

...ताकि किसानों को न पड़े कीटनाशकों की जरुरत

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अल व चेपे से चिंतित न हों किसान सरसों की फसल में लगा अल नरेंद्र कुंडू जींद। खेतों में सरसों व गेहूं की फसल तैयार हो रही है, लेकिन फसल में आए अल व चेपे से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ रही हैं। क्योंकि ये शकाहारी कीट फसल की टहनियों, कलियों व पत्तियों से रस चुसकर अपना वंश चलाते हैं। जिससे फसल की पैदावार पर काफी प्रभाव पड़ता है। गेहूं की फसल में होने वाली पेंटिडबग व सरसों की फसल में होने वाली एफिड (अल या चेपे) के कीट से फसल का बचाव करने के लिए कृषि वैज्ञानिक किसानों को कीटनाशक स्प्रे की सलाह दे रहे हैं। लेकिन इसके विपरित कीट प्रबंधन के प्रति जागरूक किसान पिछले 6-7 सालों से इसका उपचार कीट प्रबंधन से ही कर रहे हैं तथा इसे चिंता का विषय न बताकर अन्य किसानों को भी फसल में किसी प्रकार के कीटनाशकों का प्रयोग न करने की सलाह दे रहे हैं। निडाना खेत पाठशाला के किसान फसल में पाई जाने वाली मासाहारी सिरपट मक्खी व लेडी बिटल को अल व चेपे के कीड़ों का वैद्य बता रहे हैं। धान व कपास की फसलों के भावों में हुई भारी गिरावट के बाद अब किसानों को गेहूं व सरसों की फसल में आए पेंटिडबग व एफिड (अल व चे

दूसरे राज्यों को कीट प्रबंधन के गुर सिखाएंगी म्हारी महिलाएं

निडाना महिला किसान खेत पाठशाला की 20 प्रशिक्षित महिलाओं ने शुरू की 5 दिवसीय अंतर्राज्यीय यात्रा नरेंद्र कुंडू जींद। मित्र व दुश्मन कीटों की पहचान में महारत हासिल करने वाली निडाना की महिला किसान अब दूसरे राज्यों में भी इस अभियान की अलख जगाने निकल पडी हैं। वीरवार से शुरू हुई इस 5 दिवसीय अंतर्राज्य अनावरण यात्रा के दौरान ये महिला किसान पतंजलि योगपीठ, देहरादुन व हिमाचल में स्थित आॅर्गेनिक रिसर्च सेंटरों का दौरा करेंगी। यहां पर ये महिलाएं प्रशिक्षकों को जैविक खेती के जरूरी टिप्स देंगी। कृषि विभाग द्वारा शुरू की गई इस अनावरण यात्रा में निडाना महिला किसान खेत पाठशाला की 20 प्रशिक्षित महिलाओं को चुना गया है। महिलाओं के इस 5 दिवसीय टूर पर कृषि विभाग द्वारा 60 हजार रुपए खर्च किए जाएंगे। महिलाओं की टीम का नेतृत्व कृषि विभाग के एडीओ डा. सुरेंद्र दलाल व डा. कमल सैनी करेंगे।    फसलों में बढ़ते कीटनाशकों के इस्तेमाल को रोकने तथा मित्र कीटों की पहचान कर जैविक खेती को बढ़ावा देने की मुहिम अब रफ्तार पकड़ रही है। निडाना महिला किसान खेत पाठशाला की महिला किसान कीट प्रबंधन के क्षेत्र में प्रदेश में धाक जमा

‘शरीर की तलाश में भटकती आत्मा’

विभाग द्वारा किसानों से नहीं मांगे गए आवेदन नरेंद्र कुंडू जींद। सरकार द्वारा कृषि प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई आत्मा योजना अभी तक फाइलों से बाहर नहीं निकल पाई है। सरकार की बेरुखी केचलते इस वर्ष ‘आत्मा’ शरीर के लिए भटक रही है। योजना फाइलों में दफन होने के कारण  किसी भी प्रगतिशिल किसानों को इसका लाभ नहीं मिल सका है। पिछले वर्ष जहां जिले से 35 प्रगतिशिल किसानों ने इस योजना का लाभ उठाया था, वहीं इस बार विभाग ने इसके लिए आवेदन तक मांगने की जहमत नहीं उठाई है। जिसके चलते जिलेभर के दो दर्जन से ज्यादा किसान पुरस्कार की बाट जोह रहे हैं। लेकिन विभाग इस पर चुप्पी साधे बैठा है। प्रौद्योगिक खेती के लिए किसानों को प्रेरित करने के उद्देश्य से सरकार ने आत्मा योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत हर वर्ष प्रगतिशिल किसानों को एक पुरस्कार राशि दी जाती है ताकि अधिक से अधिक किसान प्रौद्योगिक खेती को अपना कर अधिक से अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकें। लेकिन इस वर्ष सरकार की आत्मा योजना फाइलों में धूल फांक रही है। योजना सिरे न चढ़ पाने के कारण इस वर्ष प्रगतिशिल किसानों को इसका लाभ नहीं मिला है।

जिला खेल अधिकारी की कुर्सी बनी खेल

नरेंद्र कुंडू जींद। जिला खेल अधिकारी की कुर्सी दो अधिकारियों की आपसी खिंचतान के चलते खेल बनकर रह गई है। जींद खेल अधिकारी फूलकुमार दहिया का तबादला 2 फरवरी को सोनीपत में हो गया था और सोनीपत के खेल अधिकारी प्रकाश सिंह दहिया को जींद खेल अधिकारी की जिम्मेवारी सौंपी गई थी। विभाग द्वारा जारी आदेशों के बाद जींद के खेल अधिकारी फूलकुमार दहिया ने तो जींद से रिलीव होकर सोनीपत ड्यूटी ज्वाइंन कर ली, लेकिन प्रकाश सिंह दहिया जींद में ड्यूटी ज्वाइंन करने को तैयार नहीं हैं और सोनीपत में ही खेल अधिकारी की कुर्सी पर जम बैठे हैं। ऐसे में सोनीपत जिले के पास तो दो खेल अधिकारी हो गए, लेकिन जींद के खेल अधिकारी की कुर्सी पर बैठने के लिए कोई तैयार नहीं है। जिला खेल अधिकारी की कुर्सी खाली होने से यहां की खेल गतिविधियां पूरी तरह से प्रभावित हो गई हैं। सोनीपत की जिला खेल अधिकारी की कुर्सी में आखिर ऐसा क्या है कि विभाग के आदेशों के बावजूद भी खेल अधिकारियों का मोह उस कुर्सी से नहीं छुट रहा है। दोनों खेल अधिकारियों में चल रही खींचतान नई नहीं बल्कि काफी पुरानी है। यह मामला उस समय से चल रहा है, जब मेवात में ड्यूटीरत जि

.....और पढ़ाई करते-करते 20 साल कम हो गई उम्र

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आईटीआई द्वारा जारी प्रमाण पत्र दर्शा रहे हैं अलग-अलग जन्मतिथि  आईटीआई द्वारा स्नेहलता को जारी किए गए प्रमाण पत्र। नरेंद्र कुंडू जींद। जिस संस्थान के कंधो पर विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध करवाने का जिम्मा होता है, उसी संस्थान के कुछ कर्मचारियों की थोड़ी सी गलती ने एक छात्रा की झोली में रोजगार की जगह परेशानियां व धक्के डाल दिए हैं। जींद की सरकारी आईटीआई में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। आईटीआई की तरफ से छात्रा को जारी किए गए प्रमाण पत्रों में एक छात्रा की उम्र देखते ही देखते 20 साल घट गई है। छात्रा को जारी किए गए प्रमाण पत्रों से छेड़छाड़ कर उसकी जन्मतिथि 1974 से बदलकर 1994 कर दी गई है। प्रमाण पत्रों में जन्मतिथि सही न होने के कारण छात्रा के भविष्य पर तलवार लटक रही है। छात्रा अपनी जन्मतिथि ठीक करवाने के लिए पिछले दो साल से आईटीआई के चक्कर काट रही है, लेकिन अब तक छात्रा को आईटीआई प्रबंधन की ओर से कोई संतुष्ट जवाब नहीं मिला है। आईटीआई प्रबंधन की तरफ से कोई उम्मीद नजर न आती देख छात्रा ने उपायुक्त का दरवाजा खटखटाया है। उपायुक्त को दी शिकायत में छात्रा ने आईटीआई प्रब

सरकारी टीचर सेमिनार में कैसे होगा बच्चों का सिलेबस पूरा

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परीक्षा की तैयारियों में लगे बच्चे। नरेंद्र कुंडू जींद। शिक्षा विभाग के नए नियम कानून छात्रों के भविष्य पर भारी पड़ रहे हैं। टीचर कभी सेमिनार में तो कभी  अन्य गैर शिक्षण कार्यों में लगे हुए हैं। परीक्षा की डेटशीट भी आ गई। मगर अभी तक बच्चों का कोर्स पूरा नहीं हुआ है, रिवीजन तो दूर की बात है। कोर्स पूरा नहीं होने पर बच्चों को रिजल्ट की चिंता सता रही है। मगर शिक्षा विभाग के अधिकारियों व सरकार को इसकी जरा भी परवाह नहीं है। कक्षा एक से 10 तक के बच्चों का कोर्स पूरा नहीं हुआ है। इन क्लासों में एक लाख 17 हजार 944 विद्यार्थी पढ़ते हैं। कोर्स पूरा न होने पर जिले के एक लाख 17 हजार 944 बच्चों के भविष्य पर तलवार लटी हुई है। शिक्षकों का कहना है कि पहला सेमेस्टर स्टेट टेस्ट व अन्य कारणों से लंबा चला। इसका असर यह रहा कि दूसरे सेमेस्टर के लिए बहुत कम समय मिला। इस कारण कोर्स पूरा होना असंभव है। नियम के मुताबिक एक सेमेस्टर के लिए 120 दिन होने चाहिए। आधा नंवबर शिक्षकों का परीक्षा व र्माकिंग में चला गया। उसके बाद जनगणना में ड्यूटी लगा दी गई। केवल दिसंबर में क्लास लगी। पांच से 16 जनवरी तक शीतकालीन छुट