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कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर मजाक!

आधा सत्र बीत जाने के बाद भी स्कूलों में नहीं पहुंची कम्प्यूटर की पुस्तकें नरेंद्र कुंडू   जींद। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर मजाक किया जा रहा है। शैक्षणिक सत्र आधा बीत चुका है, लेकिन अभी  तक सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों तक कम्प्यूटर की किताबें ही नहीं पहुंची हैं। ऐसे में बिना पुस्तकों के विद्यार्थी किस तरह पढ़ाई कर पाएंगे। समय पर पुस्तकें न मिलने के कारण विद्यार्थी सटीक नालेज की बजाय कम्प्यूटर पर गेम खेलकर अपना टाइम पास कर रहे हैं और अध्यापक मजबूर हैं, क्योंकि सरकारी तंत्र को नींद से जगाना उनके बूते की बात नहीं है। इससे यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा व पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाने वाली कंपनी द्वारा विद्यार्थियों के भविष्य के साथ सीधे तौर पर खिलवाड़ किया जा रहा है। कंपनी के अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा देकर विद्यार्थियों को हाईटेक बनाने के दावे बेमानी साबित हो रहे हैं। शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थ

पंचायत भवन पर विभागीय अधिकारियों ने जमाया कब्जा

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पंचायत एसोसिएशन ने मुख्य संसदीय सचिव को दी शिकायत नरेंद्र कुंडू जींद। शहर में पंचायत प्रतिनिधियों की सुविधा के लिए डीआरडीए में बनाए गए पंचायत भवन पर आबकारी विभाग, जिला आयुर्वेदिक अधिकारी व पंचायती राज के अधिकारियों ने कुंडली मारी हुई है। पंचायत भवन पर यह कुंडली दशकों से जारी है और आबकारी विभाग सहित अन्य अधिकारी पंचायत भवन को खाली करने को तैयार नहीं है। पंचायत भवन पर विभागीय अधिकारियों के कब्जे के कारण सरपंचों, पंचों व दूसरे जन प्रतिनिधियों को बिना भवन के ही काम चलना पड़ रहा है। अब पंचायत प्रतिनिधि इसको खाली करवाने की कवायद में लग गए हैं। पंचायत प्रतिनिधियों ने पंचायत भवन को खाली करवाने के लिए इसकी शिकायत मुख्य संसदीय सचिव को भी  की है। पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा पंचायत भवन को खाली करवाने की कवायद शुरू करने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों के पसीने छूटने लगे हैं। प्रशासनिक अधिकारी पंचायत प्रतिनिधियों को अलग से भवन बनवाने का लालीपॉप देकर मामले को शांत करने में जुटे हुए हैं। डीआरडीए में पंचायत भवन का निर्माण सरपंचों, पंचों व दूसरे जनप्रतिनिधियों के ठहरने व रिफ्रेशमेंट के मकसद से किया गया था

गुजरात के किसानों को कीट प्रबंधन के गुर सिखाएंगे म्हारे किसान

नरेंद्र कुंडू जींद। जींद जिले के बाद अब जल्द ही दूसरे प्रदेशों में भी  कीटनाशक रहित खेती की गुंज सुनाई देगी। जिले के किसान अब गुजरात के किसानों को भी कीटनाशक रहित खेती के गुर सीखाएंगे। फसल में कीटनाशकों के प्रयोग को कम करने के लिए मित्र कीटों को हथियार  बनाया जाएगा। कीट प्रबंधन के मास्टर ट्रेनर किसान गुजरात के किसानों को फसल में मौजूद माशाहारी व शाकाहारी कीटों की पहचान करवाएंगे। इसके लिए गुजरात के ‘आवाद दे फाउंडेशन’ ने यहां के चौ. छोटूराम किसान क्लब घिमाना के सदस्यों को आमंत्रित किया है। फाउंडेशन के निमंत्रण पर किसानों का एक जत्था जून माह में गुजरात के लिए रवाना होगा। इस जत्थे के आने-जाने व रहने का खर्च फाउंडेशन स्वयं उठाएगी। चौ. छोटू राम किसान क्लब के पदाधिकारियों ने जत्थे की रवानगी के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस जत्थे में क्लब की ओर से 5-6 मास्टर ट्रेनर किसानों का चयन किया जाएगा। निडाना के कीट साक्षरता केंद्र की तर्ज पर घिमाना में चल रहे चौ. छोटू राम किसान क्लब के सदस्य गुजरात के किसानों को कीट प्रबंधन के गुर सिखाएंगे। इसके लिए गुजरात के बडोदरा से आए ‘आवाज दे फाउंडेशन’ के पद

नालियों को ही डकार गए अधिकारी

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गली बनाई पर नालियां नहीं, गली के साथ ही प्रस्तावित था नालियों के निर्माण का कार्य नरेंद्र कुंडू जींद। पंचायती राज विभाग पर रह-रहकर भ्रष्टाचार के छींटे पड़ रहे हैं। विभाग द्वारा करवाए गए निर्माण कार्य सवालों के घेरे में रहते हैं। पंचायती राज विभाग की देखरेख में शहर के सामान्य अस्पताल में निर्माणाधीन आयुष विभाग की बिल्डिंग के निर्माण कार्य में हो रहे फर्जीवाड़े के बाद अब पिल्लूखेड़ा खंड के गांव भूरायण में तैयार की गई गली के निर्माण पर सवालिया निशान लग गया है। यहां पर विभाग द्वारा 2008 में 10,82110 रुपए की राशि खर्च कर गली का निर्माण करवाया गया था। विभाग ने गांव में गली का निर्माण तो करवा दिया, लेकिन यहां पर गंदे पानी की निकासी के लिए नालियों का निर्माण नहीं करवाया, जबकि विभाग द्वारा कागजों में नालियां तैयार की गई हैं। नियमों के अनुसार गलियों से पहले नालियां बनाना जरूरी होता है, लेकिन विभाग ने यहां पर गली का निर्माण करवाते समय सभी नियमों का ताक पर रख दिया। पंचायती राज विभाग में भ्रष्टाचार अपनी जड़ें गहरी कर चुका है। यह इसी का परिणाम है कि विभाग द्वारा करवाए जा रहे निर्माण कार्यों से

प्रशासन के गले की फांस बने ‘फांस’

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खेतों में अवशेष जलाने के बाद सड़क किनारे जले पेड़-पौधे। खेतों में अवशेष जलाने के लिए लगाई गई आग। प्रशासन द्वारा नियमों का उल्लंघन करने वाले किसानों के खिलाफ नहीं उठाए गए ठोस कदम नरेंद्र कुंडू जींद। जिले में किसानों द्वारा खुलेआम खेतों में फसल के बचे हुए अवशेषों को आग के हवाले कर प्रशासनिक अधिकारियों के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी नियमों को ठेंगा दिखाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने से गुरेज कर रहे है। किसानों की मनमर्जी के कारण प्रशासनिक अधिकारियों के आदेश अवशेषों के साथ आग में जलकर राख हो रहे हैं। किसानों द्वारा अवशेष जलाने के लिए खेतों में लगाई गई आग से अब तक हजारों पेड़-पौधे भी  जलकर दम तोड़ चुके हैं। हालांकि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व कृषि विभाग द्वारा हर वर्ष किसानों को जागरुक करने के लिए जागरुकता अभियानों पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन किसानों की सेहत पर विभाग द्वारा चलाए जा रहे जागरुकता अभियानों का भी कोई असर नहीं है। राज्य प्रदूषण बोर्ड व जिला प्रशासन द्वारा खेतों में अवशेष जलाने वाले किसानों के खिलाफ जुर्माने व सजा का

हवा हो गए साहब के आदेश

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स्कूल की छुट्टी के बाद स्कूटी से घर लौटते स्कूली बच्चे यातायाता नियमों को ताक पर रखकर बाइक चलाते स्कूली बच्चे। सड़कों पर मौत लिए दौड़ रहे माइनर नरेंद्र कुंडू जींद। पुलिस की सुस्ती से साहब के आदेश हवा हो गए हैं। पुलिस अधीक्षक के आदेशों के 6 माह बाद भी पुलिस किसी नाबालिग वाहन चालक या उसके अभिभावकों के खिलाफ किसी प्रकार की कोई कार्रवाई अमल में नहीं ला सकी है। पुलिस की इस लापरवाही से उसके अपने ही नियम कायदे ताक पर रखे जा रहे हैं। सड़कों को सुरक्षित रखने के लिए पुलिस ने बाल चालकों को सड़कों से हटाने की नीति बनाई थी। इसके लिए एसपी ने वाहन चलाने वाले बाल चालकों के चालान काटने तथा अभिभावकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश जारी किए थे। लेकिन जिला पुलिस द्वारा आज तक एक भी अभिभावक पर नकेल नहीं कसी गई है। स्कूली बच्चे सभी नियमों को दरकिनार करके तेज रफ्तार से दुपहिया वाहनों को दौड़ाते हुए नजर आते हैं। बाल वाहन चालक सड़कों पर दूसरे वाहन चालकों के लिए खतरा बनकर दौड़ रहे हैं।  6 माह बाद भी फाइलों में दफन हैं एसपी के आदेश बड़ रहे सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस से खास नीति बनाई थी

अब विश्व में लहराएगा हरियाणा का परचम

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हरियाणा के गौरव पूर्ण इतिहास की विश्व में पहचान बनाने के लिए तीन भाषाओं में किया वेबसाइट का निर्माण नरेंद्र कुंडू इंटरनेट पर निडाना हाईटस के नाम से तैयार की गई वेबसाइट का फोटो। जींद। हरियाणवी संस्कृति को विश्व में पहचान दिलाने तथा इंटरनेट पर भी हरियाणवी विश्वकोष बनाने के उद्देश्य से जींद जिले के एक होनहार ने विदेश में बैठकर एक वेबसाइट तैयार की है। फ्रांस के लीली शहर में ई-विपणन और वेब प्रबंधन सलाहकार के पद पर नौकरी कर रहे फूलकुमार ने डब्ल्यूडब्ल्यूडब्लयू डॉट निडानाहाईटस डाट कॉम वेबसाइट पर निडाना के गौरवशाली इतिहास व जींद जिले की उपलब्धियों के अलावा हरियाणवी संस्कृति से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध करवाई हैं। वेबसाइट का निर्माण अंग्रेजी, हिंदी व हरियाणवी तीन भाषाओं में किया गया है। इस वेबसाइट की सबसे खास बात यह है कि इस वेबसाइट पर हरियाणवी संस्कृति के अलावा किसानों के लिए मौसम व कृषि संबंधि जानकारी, पाठकों के लिए ई-लाइब्रेरी, विद्यार्थियों के लिए नौकरियों से संबंधित जानकारी, हरियाणवी मुहावरे, हरियाणवी संस्कृति, तीज-त्योहारों से संबंधित जानकारियां, मनोरंजन के लिए हरियाणवी रागनियां