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सावधान ! कहीं सेहत पर भारी न पड़ जाए पनीर व मावे का शौक

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त्यौहारी सीजन पर बढ़ी दूध की मांग, सिंथेटिक दूध माफिया सक्रिय गंदगी में तैयार हो रहा है पनीर, गिरोह के गिरेबान तक नहीं पहुंच रहे अधिकारियों के हाथ नरेंद्र कुंडू जींद।  त्यौहारी सीजन शुरू होते ही दूध की मांग भी बढ़ गई है। दूध की बढ़ती मांग को देख सिंथेटिक दूध माफिया सक्रिय हो गए हैं। सिंथेटिक दूध माफिया कैमीकल की सहायता से ऐसा दूध तैयार कर रहे हैं, जिसकी पहचान आसान नहीं है। ऐसे में फूड सेफ्टी विभाग की टीम के हाथ भी इनके गिरेबान तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। त्यौहारों की वजह से अचानक बाजार में दूध, घी और मावा की डिमांड कई गुना बढ़ गई है। यही डिमांड मिलावट को जन्म देती है। लोगों की डिमांड को पूरा करने के लिए नकली दूध, घी और मावा बनाने वाले त्यौहारों के मौसम में हरकत में आ जाते हैं। नकली मिठाई और थेटिक दूध से गंभीर बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। फिलहाल दीपावली पर्व को देखते हुए कारीगर दूध से बनने वाली वस्तुओं को बनाने में लगे हुए हैं, वहीं शादी समारोह का सीजन शुरू होने के कारण भी दूध की डिमांड को ओर बढ़ा दिया है। जिसके चलते दूध

... ताकि कम हो सके थाली से जहर

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निडाना के अलावा जिले के अन्य गांवों के किसानों ने भी कीटनाशक रहित खेती की तरफ बढ़ाए कदम नरेंद्र कुंडू जींद।  जिला मुख्यालय से चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित निडाना गांव की धरती से 4 साल पहले उठी कीट ज्ञान की चिंगारी अब क्रांति का रूप लेने लगी है। इस क्रांति का प्रभाव जिले के अन्य गांवों में भी देखने को मिल रहा है। निडाना की किसान खेत पाठशाला से कीट ज्ञान हासिल कर जिले के कई गांवों के किसान अब निडाना गांव के किसानों की तर्ज पर कीटनाशक रहित खेती की राह पकड़ चुके हैं और इससे किसानों को सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। किसान बिना किसी पेस्टीसाइड का प्रयोग किए फसल का अच्छा उत्पादन ले रहे हैं। मुहिम को मिल रहे अच्छे रिस्पांश से एक बात साफ हो रही है कि लोगों की थाली से जहर कम करने के लिए निडाना के किसानों द्वारा शुरू की गई इस मुहिम का रंग अब जिले के अन्य किसानों पर भी चढऩे लगा है। अब यह किसान अपने-अपने क्षेत्र के किसानों के लिए रोल मॉडल बनकर उभरेंगे और दूसरे किसानों को भी कीटनाशक रहित खेती के लिए प्रेरित करेंगे।  अलेवा गांव के प्रगतिशील किसान जोगेंद्र ने बताया कि उसने एम.ए. तक पढ़ाई की ह

मिलावटखोरों के सामने बौना साबित हो रहा फूड सेफ्टी विभाग

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पिछले वर्ष लिए गए सैंपलों पर अभी तक नहीं हुई कार्रवाई नरेंद्र कुंडू जींद।   त्यौहारी सीजन के दौरान मिलावटखोरों पर नकेल कसने में फूड सेफ्टी विभाग भी बेबस नजर आ रहा है। नई मिलावटी मिठाई बाजार में आ चुकी है लेकिन विभाग अभी तक पिछले वर्ष मिलावटी मिठाई बेचकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है। पिछले वर्ष दीपावली के अवसर पर विभाग द्वारा लगभग 65 सैंपल लिए गए थे। इनमें से अब तक सिर्फ 50 के लगभग सैंपलों की रिपोर्ट ही विभाग के पास पहुंची है, जिनमें से भी सिर्फ 5 ही सैंपल संदेह के घेरे में आए हैं लेकिन विभाग अभी तक इनके खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाया है। एक वर्ष की लंबी अवधि बीत जाने के बाद भी अभी तक इन पांचों सैंपलों का केस अतिरिक्त उपायुक्त के पास ही विचाराधीन हैं। इस प्रकार जांच प्रक्रिया लंबी व धीमी होने के कारण विभाग मिलावटखोरों के सामने बौना साबित हो रहा है।  त्यौहारी सीजन के दौरान मिलावटखोरी को रोकने के लिए फूड सेफ्टी विभाग हर वर्ष विशेष अभियान चलाता है। इस अभियान के तहत मिठाइयों की दुकानों से सैंपल भी लिए जाते हैं और इन्हे

अनाज मंडी की सड़कों पर खराब हो रहा धरती पुत्रों का पीला सोना

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धान का सीजन शुरू होते ही खुली जिला प्रशासन व खरीद एजैंसियों के दावों की पोल पिछले 10 दिनों से बंद है पी.आर. धान का खरीद कार्य नरेंद्र कुंडू जींद।  जिला प्रशासन व सरकारी खरीद एजैंसियों द्वारा अनाज मंडी में धान की सभी किस्मों की खरीद व उठान कार्य को तीव्रता से करने के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं। सीजन शुरू होते ही जिला प्रशासन व खरीद एजैंसियों के दावों की पोल खुलनी शुरू हो गई है। शहर की रोहतक रोड स्थित नई अनाज मंडी में लगभग पिछले 10 दिनों से पी.आर. धान की खरीद नहीं हो रही है। खरीद एजैंसियों की लापरवाही के कारण धरतीपुत्रों का पीला सोना अनाज मंडी की सड़कों पर ही खराब हो रहा है। समय पर पी.आर. धान की खरीद नहीं होने के कारण अनाज मंडी में धान के ढेर लगे हुए हैं। फिल्हाल नई अनाज मंडी में लगभग 5 हजार क्विंटल पी.आर. धान बिक्री के लिए पड़ी हुई है लेकिन खरीद एजैंसियां धान की खरीद के लिए आगे नहीं आ रही हैं। खरीद एजैंसियां बारदाने की कमी बताकर खरीद कार्य से अपने हाथ पीछे खींच रही है।   फसल की खरीद नहीं होने पर नारेबाजी कर विरोध जताते किसान। धान की फसल का सीजन जोरों पर है और जिला प्

अब मैडीकल स्टोर के लाइसैंस के लिए नहीं काटने पड़ेंगे सरकारी कार्यालय के चक्कर

ऑन लाइन ही होगी लाइसैंस की सारी प्रक्रिया नरेंद्र कुंडू जींद। मैडीकल स्टोर के लिए लाइसैंस लेने वाले आवेदकों के लिए एक अच्छी खबर है। अब आवेदकों को मैडीकल स्टोर के लिए लाइसैंस लेने के लिए फूड एंड ड्रग सेफ्टी विभाग (एफ.डी.ए.) के कार्यलय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इसके लिए फूड एंड ड्रग सेफ्टी विभाग ने ऑन लाइन प्रक्रिया शुरू कर दी है। विभाग द्वारा शुरू की गई इस योजना की खास बात यह है कि विभाग आवेदक को एस.एम.एस. के जरिये उसकी फाइल की स्टेट्स रिपोर्ट देगा। पहले फूड एंड ड्रग सेफ्टी विभाग द्वारा मैडीकल स्टोर का लाइसैंस देने की काफी लंबी व जटिल प्रक्रिया थी। लाइसैंस लेने के लिए आवेदकों को कई-कई दिनों तक विभाग के कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते थे। इस प्रक्रिया के दौरान विभाग के कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक की जेब भी गर्म करनी पड़ती थी तब जाकर कहीं आवेदक को लाइसैंस मिलता था लेकिन विभाग ने अब इस पुरानी प्रक्रिया को बंद कर यह सब प्रक्रिया ऑन लाइन कर दी है। अब विभाग ने मैडीकल स्टोर के लिए लाइसैंस देने की प्रक्रिया को काफी सरल कर दिया है। अब लाइसैंस लेने की सारी प्रक्रिया ऑन लाइन चलेगी।

इलैक्ट्रोनिक आइटमों की मार से फीकी पड़ी दीये की चमक

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परम्परा को कायम रखने के लिए अपने पुस्तैनी कारोबार को नहीं छोड़ पा रहे हैं कुंभकार नरेंद्र कुंडू जींद।  आधुनिकता की चकाचौंध व बाजारों में इलैक्ट्रोनिक आइटमों की भरमार के कारण मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगर (कुम्हार) अपने इस पुस्तैनी कारोबार से मुहं मोडऩे पर विवश हैं। पुर्वजों से विरास्त में मिले इस रोजगार से अब वह अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का भी जुगाड़ नहीं कर पा रहे हैं। केवल परम्परा को कायम रखने के लिए ही कुम्हार अपने इस पुस्तैनी कारोबार को चलाए हुए हैं। कारीगरों को बर्तन बनाने के लिए मिट्टी की व्यवस्था से लेकर बर्तनों की बिक्री तक अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कारीगरों को उनकी मेहतन के अनुसार बर्तनों के पैसे नहीं मिल पाते हैं। गर्मी के सीजन के बाद केवल दीपावली पर एक माह तक ही उनका कारोबार चलता है। इसके बाद उनका यह कारोबारा पूरे वर्ष ठप्प रहता है। शहर में लगभग 20 से 25 कारीगर इस काम से जुड़े हुए हैं। इस एक माह के इस सीजन के दौरान एक कारीगर लगभग एक लाख रुपए तक का कारोबार कर लेता है लेकिन इस एक लाख के कारोबार से एक कारीगर को केवल 10 से 15 हजार रुपए की ही बचत

सावधान ! कहीं आकर्षक ऑफर की पेशकस बिगाड़ न दे आपके चेहरे का नूर

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त्यौहारी सीजन पर महिलाओं को लुभाने के लिए ब्यूटी पार्लर कर रहे हैं आकर्सक ऑफर्स की पेशकश नरेंद्र कुंडू  जींद।  विवाह-शादियों का सीजन हो या कोई त्यौहार महिलाओं में सुंदर दिखने की चाहत लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में महिलाएं सजने-संवरने के लिए ब्यूटी पार्लरों का रूख करती हैं। ब्यूटी पार्लर संचालक भी ऐसे अवसरों को भुनाने से पीछे नहीं हटते। ऐसे में वे महिलाओं को लुभाने के लिए आकर्षक ऑफर्स की पेशकस करते हैं। दरअसल करवाचौथ के पर्व में अभी 3 दिन बाकी हैं और महिलाओं को लुभाने के लिए ब्यूटी पार्लर आकर्षक ऑफर्स दे रहे हैं। ऐसे में ब्यूटी पार्लर में सजन-संवरने वाली महिलाओं को सावधान रहने की जरूरत है। कहीं ऐसा न हो कि आकर्षक पैकेज लेने की चाहत में आपकी प्राकृतिक सुंदरता भी बिगड़ न जाए। कम क्वालिटी का उत्पाद आपके चेहरे का नूर बिगाड़ सकता है। बात रिस्क की करें तो शहर में ऐसे कई पार्लर हैं, जहां चेहरे पर रासायनिक या हर्बल उत्पाद लगाने से पहले जांच नहीं की जाती है। बाद में ग्राहकों को पिंपल्स, एलर्जी व झाइयों जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। ब्यूटी विशेषज्ञ अंजू का कहना है कि चेहरे की त