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चाइना का रिकार्ड तोड़ेगा म्हारा मूर्ति कलाकार

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वर्ल्ड रिकार्ड बनाने के लिए आठ फुट की केतली बना रहा कालवा का रामकिशन इससे पहले चाइना के नाम है सबसे बड़ी केतली बनाने का रिकार्ड  नरेंद्र कुंडू  जींद। पिल्लूखेड़ा खंड के गांव कालवा निवासी मूर्ति कलाकार रामकिशन (43) हस्तकला में चाइना का रिकार्ड तोडऩे जा रहा है। रामकिशन मिट्टी से आठ फुट की केतली बनाकर वर्ल्ड रिकार्ड बना कर गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करवाने की तैयारी कर रहा है। इससे पहले यह रिकार्ड चाइना के नाम है। चाइना के सनबाओ क्सू ने 2006  में 5  फुट 10  इंच ऊंची तथा 60 किलोग्राम की केतली बनाकर यह रिकार्ड अपने नाम किया था। अब रामकिशन 60 किलोग्राम वजन में ही 8 फीट की केतली तैयार कर चाइना के इस रिकार्ड को तोड़कर वर्ल्ड रिकार्ड को अपने नाम करने जा रहा है। रामकिशन 7 घंटे में आठ फीट की केतली तैयार करेगा। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स लंदन द्वारा जारी की गई गाइड लाइन के अनुसार रामकिशन द्वारा केतली के निर्माण की बकायदा वीडियो रिकार्डिंग भी करवाई जा रही है। इससे पहले रामकिशन अंगूठे के नाखून पर 05 सेंटीमीटर की मट्टी बनाकर भी खुब सुॢखयां बटोर चुके हैं। हस्तकला में महारत हासिल कर चुक

गूंजने से पहले ही शांत हो रही किलकारियां

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जननी एवं शिशु सुरक्षा योजना पर लगा सवालिया निशान आरटीआई से मिली सूचना से हुआ खुलासा नरेंद्र कुंडू जींद। जिले में शिशु मृत्युदर का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। अगर स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो स्वास्थ्य विभाग शिशु मृत्यु दर को कम करने में नाकाम साबित हो रहा है। शिशु मृत्युदर के मामलों में हो रही बढ़ौतरी के कारण स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुरू की गई जननी एवं शिशु सुरक्षा योजना पर सवालिया निशान लग गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा डिलिवरी के दौरान महिला तथा शिशु की मृत्युदर के मामलों में कमी लाने के लिए जननी एवं शिशु सुरक्षा योजना शुरू की गई थी। जननी शिशु सुरक्षा योजना के तहत सरकारी अस्पताल में डिलिवरी के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं को सभी स्वास्थ्य सुविधाएं निशुल्क मुहैया करवाई जाती हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग लाख प्रयास के बावजूद भी शिशु मृत्युदर के मामलों में कमी लाने में नाकाम साबित हो रहा है। आरटीआई कार्यकत्र्ता सुरेश पूनिया द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़े वास्तव में चौंकाने वाले हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी क

कागजों में ही सिमटी पायका खेल योजना

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ऐसे में कैसे तैयार होंगे खिलाड़ी जिला खेल कार्यालय द्वारा 2009 -10 में ग्राम पंचायतों को भेजा गया था खेल का सामान चार साल बाद भी मैदान में नहीं लग पाए बास्केट बाल और वालीबाल के पोल नरेंद्र कुंडू जींद। भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पंचायत युवा क्रीडा योजना (पायका) कागजों तक ही सिकुड कर रह गई है। जिला खेल कार्यालय द्वारा 2009-10 में ग्राम पंचायतों को भेजे गए बास्केट बाल तथा वालीबाल के पोल आज तक मैदान में नहीं लग पाए हैं। जिला खेल विभाग तथा ग्राम पंचायतों की बेरुखी के चलते चार साल से बास्केट बाल तथा वालीबाल के पोल जमीन पर ही जंग की भेंट रहे हैं लेकिन न तो ग्राम पंचायतें इनकी सुध ले रही हैं और न ही खेल विभाग इन पोलों को मैदान में लगवाने में रुचि दिखा रहा है। जिला खेल विभाग की लापरवाही के चलते ग्रामीण क्षेत्र के खिलाडिय़ों को सरकार की इस योजना का कोई लाभ नहीं मिल पाया है। भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में छिपी खेल प्रतिभाओं को निखार कर ग्रामीण आंचल से अच्छे खिलाड़ी तैयार करने के उद्देश्य से पंचायत युवा क्रीड़ा योजना (पायका) श

अनाज मंडी में आढ़तियों की दया पर रहेगा किसानों का पीला सोना

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46 एकड़ की अनाज मंडी में महज 2 शैड इस बार किसानों के अरमानों पर पानी फेर सकती है बरसात बरसात के कारण गेहूं की फसल को नुकसान नरेंद्र कुंडू जींद। इस बार अनाज मंडी में गेहूं की फसल लेकर आने वाले किसानों का पीला सोना आढ़तियों की दया पर रहेगा। क्योंकि मार्केटिंग बोर्ड प्रबंधन द्वारा अनाज मंडी में बिक्री के लिए आने वाले गेहूं को बरसात से बचाने के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं की गई। 46 एकड़ की अनाज मंडी में महज 2 शैड ही हैं। एक शैड की गेहूं स्टाक की क्षमता महज 50 लाख क्विंटल की है। जबकि अनाज मंडी में आवक इससे कई गुणा ज्यादा है। इसके अलावा बोर्ड द्वारा किसान की 6 माह की मेहनत को बरसात से बचाने की कोई ओर व्यवस्था नहीं है। ऐसे में यदि मौसम इसी तरह खराब रहा तो किसानों के अरमानों पर पानी फिर सकता है। अनाज मंडी में गेहूं बिक्री के लिए आने वाले किसानों को अपनी फसल को बरसात से बचाने के लिए या तो खुद ही व्यवस्था करनी होगी या फिर किसानों को आढ़तियों से सहारा लेना होगा।  खेतों में खड़ी गेहूं की फसल। गेहूं की कटाई का कार्य शुरू हो चुका है जल्द ही गेहूं की फसल अनाज मंडियों में पहुंचनी शुरू हो जाए

जहरीले पानी से मुक्ति दिलवाने की तैयारी

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नहरी पानी मुहैया करवाने के लिए जन स्वास्थ्य विभाग ने तैयार किया प्रारुप पानी में बढ़ते फ्लोराइड व टीडीएस के कारण लिया फैसला  नरेंद्र कुंडू जींद। अंधाधुंध भूजल दोहन के कारण जहरीले हो रहे पेयजल से शहर के लोगों को मुक्ति दिलवाने के लिए जन स्वास्थ्य विभाग ने कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहर के लोगों को नहरी पानी सप्लाई की योजना तैयार की जा रही है। शहर के लोगों को नहरी पानी मुहैया करवाने के लिए जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहर के बीचोंबीच से गुजर रही हांसी ब्रांच नहर के पास 106 एकड़ में बूस्टिंग स्टेशन तैयार किया जाएगा। योजना को अमल में लाने के लिए जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसका प्रारूप तैयार किया जा रहा है। प्रारूप तैयार होते ही इसकी मंजूरी के लिए विभाग के उच्च अधिकारियों को भेजा जाएगा। उच्चाधिकारियों से मंजूरी मिलते ही योजना पर अमल शुरू कर दिया जाएगा। शहर में नहरी पानी की सप्लाई शुरू होने पर शहर के लोगों को पानी में बढ़ रहे फ्लोराइड तथा टीडीएस से निजात मिल जाएगी।  इस समय शहर की आधी से अधिक आबादी को पेयजल मुहैया करवाने का जिम्मा जन स्वास्थ्य विभाग के कंधो

स्टाफ ना अधिकारी कैसे बुझेगी आग

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 दमकल विभाग के पास कर्मचारियों का भारी टोटा  जींद में दमकल विभाग के पास महज एक शिफ्ट का स्टाफ  कर्मचारियों के अभाव में खड़ी हैं दमकल विभाग की गाडिय़ां नरेंद्र कुंडू जींद। गेहूं की कटाई का सीजन शुरू होने के कारण आगजनी की घटनाएं बढऩे का अंदेशा भी बना रहता है। ऐसे में आगजनी की घटनाओं से निपटने की पूरी जिम्मेदारी दमकल विभाग के कंधों पर होती है लेकिन स्टाफ की कमी के कारण जींद के दमकल विभाग का दम निकल चुका है। दमकल विभाग के पास गाडिय़ां तो हैं लेकिन स्टाफ नहीं है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि बिना कर्मचारियों के आखिरी दमकल विभाग आगजनी की घटनाओं से कैसे निपटेगा। यही नहीं जींद में तो दमकल विभाग के पास गाडिय़ों में पानी भरने के लिए हाईडैंट या टैंक की भी कोई व्यवस्था नहीं है। यही कारण है कि आगजनी की घटना घटने के बाद घटना स्थल पर पहुंचने में दमकल विभाग की गाडिय़ों को अकसर देरी हो जाती है। क्योंकि गाडिय़ों में पानी भरने की प्रक्रिया में दमकल विभाग के कर्मचारियों का काफी समय खराब हो जाता है। इतना ही नहीं जींद जिले में पूरे दमकल विभाग के पास एक भी फायर स्टेशन अधिकारी नहीं है। सभी स्टेशनों पर फा

बाजार में गैर प्रमाणिक बीटी की किस्मों की भरमार, किसान परेशान

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कृषि विभाग नहीं कर पा रहा बीटी की किसी भी किस्म की सिफारिश कृषि विश्वविद्यालय की नहीं मंजूरी, पर्यावरण मंत्रालय का सहारा नरेंद्र कुंडू जींद। गेहूं की फसल की कटाई के बाद कपास की बिजाई का सीजन शुरू होने जा रहा है। किसान गेहूं की कटाई की तैयारियों के साथ-साथ कपास की बिजाई की तैयारियों में भी जुटे हुए हैं लेकिन बीटी कॉटन के बीज की किस्म के चयन को लेकर किसान पूरी तरह से असमंजस की स्थिति में हैं, क्योंकि बाजार में बीटी के भिन्न-भिन्न किस्मों के बीजों की भरमार है। इस समय बाजार में 600 से भी ज्यादा बीटी की किस्में बाजार में आ चुकी हैं, लेकिन हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार इनमें से किसी की सिफरिश नहीं कर रहा है। बीटी के बीज के चयन को लेकर किसान विकट परिस्थितियों में फंसा हुआ है कि आखिरकार वह अपने खेत में बीटी की किस किस्म की बिजाई करें। इसमें सबसे खास बात यह है कि आज बाजार में बीटी की जितनी भी किस्में हैं, उनमें से कोई भी किस्म कृषि विश्वविद्याल द्वारा प्रमाणित नहीं है। इस कारण कृषि विभाग के अधिकारी भी किसानों को बीटी की किसी भी किस्म की बिजाई की सिफारिश नहीं कर पा रहे हैं। कृषि विभाग द्