संदेश

गांव की सरपंच को भी भा गई महिला किसान खेत पाठशाला

चित्र
अब बगैर कीटनाशकों के खेती के लिए महिलाओं को करेंगी प्रेरित नरेंद्र कुंडू  जींद। रधाना गांव में चल रही अमर उजाला फाउंडेशन व डॉ. सुरेंद्र दलाल कीट साक्षरता मिशन द्वारा चलाई जा रही महिला किसान खेत पाठशाला अब गांव की सरपंच को भा गई है। महिला सरपंच मंजु प्रत्येक शनिवार को लगने वाली इस पाठशाला में कीट ज्ञान की ताल्लीम ले रही हैं। रधाना गांव के खेतों में लगी पाठशाला में उपस्थित महिलाएं। शनिवार को लगी पाठशाला में कीटाचार्य महिला किसानों ने कपास की फसल में मौजूद कीटों का अवलोकन किया। खेत पाठशाला के दौरान महिला कीटाचार्यों ने शाकाहारी तथा मांसाहारी कीटों का गिनती कर चार्ट पर कीटों का आंकड़ा तैयार किया। पिछले सप्ताह की ही तरह इस बार भी फसल में शाकाहारी कीटों की बजाए मांसाहारी कीटों की संख्या ज्यादा मिला। महिला किसान शीला, सविता, शकुंतला, सुदेश, सुषमा, अंग्रेजो, नवीन, प्रमिला, यशवंती, असीम ने बताया कि शाकाहारी और मांसाहारी कीट दोनों ही फसल को फायदा पहुंचाते हैं। शाकाहारी कीट कपास की फसल के पत्तों को काटकर उनमें सुराग बना देते हैं। पत्तों में सुराग होने से नीचे वाले पत्तों पर भी चली जात

'बिग बॉस में शिरकत करेगी म्हारी रेसलर हार्ड केडी'

चित्र
ग्रेट खली की तर्ज पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डब्ल्यूडब्ल्यूई में तिरंगा लहराना है लक्ष्य जालंधर में ग्रेट खली की अकेडमी में ले रही है प्रशिक्षण रेसलिंग की नेशनल खिलाड़ी बुलबुल को रिंग में चटा चुकी है धूल  कविता की बढ़ती लोकप्रियता को देख बिग बॉस से मिला ऑफर  नरेंद्र कुंडू  जींद। राष्ट्रीय स्तर पर नौ वर्षों तक वेटलिफ्टिंग में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन करने वाली जींद जिले के गांव मालवी निवासी वेट लिफ्टिर कविता दलाल अब कांटीनेंटल वेटलिफ्टर इंटरटेरमेंट (सीडब्ल्यूई) में रेसलर के रूप में धूम मचा रही है। कविता दलाल महज तीन के ही प्रशिक्षण के दौरान दिल्ली की मशहूर रेसलर बुलबुल की चुनौती को स्वीकार कर बुलबुल को रिंग में धूल चटा चुकी है। सीडब्ल्यूई के रिंग में कविता दलाल अब हार्ड केडी के नाम से अपनी एक नई पहचान बना चुकी है। कविता दलाल का अब अगला लक्ष्य देश के मशहूर रेसलर दा ग्रेट खली की तर्ज पर वल्र्ड रेसलिंग इंटरटेनमेंट (डब्ल्यूडब्ल्यूई) में तिरंगा लहराना है। यदि कविता दलाल अपने इस मुकाम तक पहुंचने में कामयाब हो जाती हैं तो वह देश की पहली महिला रेसलर बन जाएंगी। इसके लिए कवित

फसल में नुकसान पहुंचाने से कोसों दूर है शाकाहारी कीटों की संख्या

चित्र
रधाना गांव में हुआ महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन  नरेंद्र कुंडू  जींद। रधाना गांव में शनिवार को अमर उजाला फाउंडेशन द्वारा डॉ. सुरेंद्र दलाल कीट साक्षरता मिशन द्वारा महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन किया गया। पाठशाला में महिला किसानों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। पाठशाला के आरंभ में कीटाचार्य महिला किसानों ने कपास की फसल में मौजूद कीटों का अवलोकन किया। इसके बाद शाकाहारी तथा मांसाहारी कीटों का गिनती कर चार्ट पर कीटों का आंकड़ा तैयार किया। आंकड़े में यह साफ नजर आया कि फसल में शाकाहारी कीटों की बजाए मांसाहारी कीटों की संख्या ज्यादा मिला।    फसल में कीटों की संख्या का अवलोकन करती  महिला किसान। कीटाचार्या महिला किसान शीला, सविता, शकुंतला, सुदेश, सुषमा, नवीन, प्रमिला, यशवंती, असीम ने बताया कि पिछले तीन-चार वर्षों से कपास की फसल में सफेद मक्खी का काफी प्रकोप सामने आया था लेकिन इस बार कपास की फसल में शाकाहारी कीटों की संख्या काफी कम है। फसल में नुकसान पहुंचाने वाली सफेद मक्खी, हरा तेले व चूरड़े की संख्या नामात्र है। उन्होंने बताया कि सफेद मक्खी 0.5, हरा तेला 0.9, चूरड़ा 0.8 रही, जो कि

फिजूलखर्ची छोड़ जागरूकता के साथ धान की देखभाल करें किसान

चित्र
थोड़ी सी सावधानी से ही किसान कर सकते हैं धान की फसल की बीमारियों का ऊपचार  धान की फसल में ज्यादा पानी खड़ा रहने से पनपती हैं ज्यादातर बीमारियां नरेंद्र कुंडू  जींद। हरियाणा प्रदेश में खरीफ  की फसलों में से धान एक मुख्य फसल है। यह पानी की फसल होने के कारण इसमें फफूंद, जीवाणु, विषाणु से संबंधित बीमारियां आने का खतरा भी सबसे ज्यादा होता है। किसान जानकारी के अभाव में फसल को इन बीमारियों से बचाने के लिए अंधाधुंध पेस्टीसाइड का प्रयोग करते हैं। इससे फसल में किसान की लागत बढ़ती चली जाती है और उत्पादन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जबकि थोड़ी सी सावधानी से ही किसान पेस्टीसाइड पर होने वाले इस फिजूलखर्च से बच सकते हैं। धान की फसल में 16 से 17 किस्म की बीमारियां आती हैं। इनमें जड़ गलन, तना गलन, शीत गलन, शीत बलाइट, बदरा (ब्लास्ट) रोग, बकानी (पद गलन), जीवाणु अंगमारी, बैक्टेरियल लीफ  फलाइट, टुंगरा इत्यादी बीमारियां शामिल हैं। इनमें से कुछ रोग ऐसे हैं, जिन्हें बीज ऊपचार कर तथा कुछ रोग ऐसे हैं, जिन्हें फसल को पर्याप्त खुराक देकर रोका जा सकता है। बस इसके लिए किसानों को जागरूक होने की जरूरत ह

'देश के किसानों को कुदरती तरीके से सफेद सोने की खेती के टिप्स देंगे म्हारे किसान'

चित्र
डीडी किसान चैनल की टीम ने कैमरे में कैद किए कीटाचार्य किसानों के अनुभव दो घंटे तक किसानों व कृषि वैज्ञानिकों के बीच हुए सवाल-जवाब थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए कुदरती कीटनाशियों को बताया अचूक हथियार नरेंद्र कुंडू जींद। म्हारे कीटाचार्य किसान अब देश के किसानों को कुदरती तरीके से सफेद सोने (कपास) की खेती करने के टिप्स देंगे। ताकि खाने की थाली को जहरमुक्त बनाकर आने वाली पीढिय़ों को अच्छे स्वास्थ्य के साथ-साथ अच्छा पर्यावरण मुहैया करवाया जा सके। इसके लिए डीडी किसान चैनल की टीम ने मंगलवार को जिले के रधाना गांव में प्रश्र मंच कार्यक्रम का आयोजन कर कीटाचार्य महिला व पुरुष किसानों के अनुभवों को अपने कैमरे में कैद किया। कार्यक्रम के दौरान लगभग दो घंटे तक किसानों व कृषि वैज्ञानिकों के बीच खूब सवाल-जवाब हुए। कीटाचार्य किसानों ने अपने अनुभव में बताया कि कीटनाशकों के बिना खेती संभव है लेकिन कीटों के बिना खेती संभव नहीं है। जहरमुक्त खेती की पद्धति को आगे बढ़ाने के लिए कीट ज्ञान बेहद जरूरी है। कीटनाशकों के प्रयोग को रोकने में कुदरती कीटनाशी ही एकमात्र अचूक हथियार हैं। कार्यक्रम की रिकार्डिंग

महिला सशक्तिकरण की मिशाल पेश कर रही कीटाचार्य महिलाएं : एडीसी

चित्र
रधाना  गांव में हुआ महिला पाठशाला का शुभारंभ जींद। महिला सशक्तिकरण की जो मिशाल जींद जिले की महिलएं पेश कर रही हैं, ऐसी मिशाल प्रदेश के दूसरे जिलों में उन्हें कहीं पर भी देखने को नहीं मिली है। यह बात एडीसी आमना तसनीम ने शनिवार को रधाना गांव में महिला किसान खेत पाठशाला के शुभारंभ अवसर पर कीटाचार्य महिलाओं को संबोधित  करते हुए कही। इस अवसर पर उनके साथ कृषि विभाग के एसडीओ राजेंद्र गुुप्ता, बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा, दलीप सिंह चहल, प्रगतिशील किसान क्लब के प्रधान राजबीर कटारिया, डॉ. सुरेंद्र दलाल कीट साक्षरता मिशन के प्रधान रणबीर मलिक सहित काफी संख्या में महिल किसान  मौजूद रही। एडीसी ने रिबन काट कर पाठशाला का शुभारंभ किया। महिला किसानों ने पाठशाला में पहुंचने पर एडीसी मैडम का स्वागत किया। रधाना गांव में रिबन काटकर पाठशाला का उद्घाटन करती एडीसी।  एडीसी ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान, रेवाड़ी, झज्जर, सोनीपत सहित कई जिलों में काम किया है और इस दौरान वह वहां की महिलाओं से भी मिलती रही हैं। लेकिन जिस तरह जींद जिले के निडाना, निडानी, ललितखेड़ा तथा रधाना गांव की महिलाएं प

आने वाली पीढिय़ों को अच्छा स्वास्थ्य देने के लिए कीट ज्ञान एकमात्र उपाय : डॉ. प्रेमलता

चित्र
म्हारे किसानों के कीट ज्ञान के कायल हुए कृषि वैज्ञानिक  कीटाचार्य किसानों से रूबरू होने के लिए निडानी पहुंचा कृषि वैज्ञानिकों का दल    नरेंद्र कुंडू  जींद। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रेमलता ने कहा कि कीट ज्ञान की मुहिम से जुड़े पुरुष व महिला किसान किसी कृषि वैज्ञानिक से कम नहीं हैं। कीटों के बारे में जितना भी व्यवहारिक ज्ञान यहां के कीटाचार्य किसानों को है, उतना ज्ञान तो वैज्ञानिकों को भी नहीं है। आने वाली पीढिय़ों को यदि अच्छा स्वास्थ्य व अच्छा वातावरण मुहैया करवाना है तो उसके लिए फसलों में कीटनाशकों के प्रयोग को पूरी तरह से बंद करना होगा और यह तभी संभव है जब किसानों को फसल में मौजूद कीटों की पहचान व उनके क्रियाकलापों की जानकारी होगी। कीट ज्ञान के मॉडल को लागू किए बिना खाने की थाली को जहरमुक्त बनाना संभव नहीं है। डॉ. प्रेमलता शुक्रवार को कृषि वैज्ञानिकों के एक दल के साथ खेल गांव निडानी में आयोजित कार्यक्रम में कीटाचार्य किसानों से रूबरू हो रही थी। इस दौरान उनके साथ गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, केरला, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान सहित 11 प्रदे

आने वाली पीढिय़ों को अच्छा स्वास्थ्य देने के लिए कीट ज्ञान एकमात्र उपाय : डॉ. प्रेमलता

म्हारे किसानों के कीट ज्ञान के कायल हुए कृषि वैज्ञानिक कीटाचार्य किसानों से रूबरू होने के लिए निडानी पहुंचा कृषि वैज्ञानिकों का दल अमर उजाला ब्यूरो जींद। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रेमलता ने कहा कि कीट ज्ञान की मुहिम से जुड़े पुरुष व महिला किसान किसी कृषि वैज्ञानिक से कम नहीं हैं। कीटों के बारे में जितना भी व्यवहारिक ज्ञान यहां के कीटाचार्य किसानों को है, उतना ज्ञान तो वैज्ञानिकों को भी नहीं है। आने वाली पीढिय़ों को यदि अच्छा स्वास्थ्य व अच्छा वातावरण मुहैया करवाना है तो उसके लिए फसलों में कीटनाशकों के प्रयोग को पूरी तरह से बंद करना होगा और यह तभी संभव है जब किसानों को फसल में मौजूद कीटों की पहचान व उनके क्रियाकलापों की जानकारी होगी। कीट ज्ञान के मॉडल को लागू किए बिना खाने की थाली को जहरमुक्त बनाना संभव नहीं है। डॉ. प्रेमलता शुक्रवार को कृषि वैज्ञानिकों के एक दल के साथ खेल गांव निडानी में आयोजित कार्यक्रम में कीटाचार्य किसानों से रूबरू हो रही थी। इस दौरान उनके साथ गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, केरला, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान सहित 11 प्रदेशों के लग

देश को कीट ज्ञान के मॉडल की सख्त जरूरत : डॉ. जेसी कत्याल

चित्र
म्हारे किसानों के कीट ज्ञान का कायल हुआ किसान आयोग   निडाना में आयोजित हुई किसान संगोष्ठी  नरेंद्र कुंडू जींद। किसान आयोग के चेयरमैन एवं हिसार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी डॉ. जेसी कत्याल ने जींद जिले के किसानों द्वारा शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम की प्रशंसा करते हुए कहा कि यदि हमें अपनी आने वाली पुस्तों को बचाना है तो कीट ज्ञान के इस मॉडल को प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में लागू करना होगा। आज देश के किसानों को कीट ज्ञान के इस मॉडल की सख्त जरूरत है। आज प्रकृति के साथ जिस तरह से खिलवाड़ हो रही है, वह हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए एक बड़े खतरे का संकेत है। डॉ. जेसी कत्याल बृहस्पतिवार को निडाना गांव के डैफोडिल्स स्कूल में आयोजित किसान संगोष्ठी में कीटाचार्य महिला एवं पुरुष किसानों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उनके साथ किसान आयोग के सचिव डॉ. आरएस दलाल, डॉ. एएम नरूला, डॉ. आरबी श्रीवास्तव भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में पहुंचने पर कीटाचार्य किसानों, किसाल क्लब के प्रधान राजबीर कटारिया, राममेहर नंबरदार, स्कूल के प्रिंसीपल ने किसान आयोग के सदस्यों का स्वागत किया। किसान आय

केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता ने फिर उठाए मैरिट की भर्ती पर सवाल

चित्र
कहा जींद के युवा नौकरी की उम्मीद छोड़ लोन लेकर शुरू करें स्वरोजगार कोई मैनेजर लोन से इंकार करे तो बताएं, करूंगी सीधा  नरेंद्र कुंडू  जींद।  केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बाद अब उनकी पत्नी एवं उचाना कलां से विधायक प्रेमलता ने भी लोगों के काम नहीं करने वाले अधिकाररियों को खुली चेतावनी दी है। वहीं उन्होंने एक बार फिर सरकार की मैरिट लिस्ट के आधार पर नौकरी देने की प्रक्रिया पर फिर सवाल उठाए हैं। प्रेमलता का कहना है कि मैरिट के आधार पर नौकरियां मिली तो जींद के युवा पिछड़ जाएंगे। विधायक प्रेमलता का कहना है कि जींद शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है। यहां पर शिक्षा के प्रर्याप्त संसाधन व अच्छे शिक्षण संस्थान नहीं है। इसलिए मैरिट सूची के आधार पर नौकरी देने से जींद के युवा नौकरी से वंचित रह जाएंगे। प्रेमलता शनिवार को विश्व मृदा दिवस पर जाट धर्मशाला में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि शिरकत करने पहुंची थी।    कार्यक्रम के दौरान मंच पर मौजूद विधायक प्रेमलता। प्रेमलता ने कहा कि मैरिट के आधार पर तो जींद के युवाओं को नौकरी नहीं मिल पाएगी। इसलिए जींद के युवाओं को नौकरी की उम्मीद

किसानों के साथ बीज व दवाइयों के नाम पर हो रहे धोखे के लिए विभाग जिम्मेदार : प्रेमलता

चित्र
अंग्रेजी भाषा में जारी किए गए सॉयल हैल्थ कार्ड पर भी उठाए सवाल किसानों से किया प्राकृतिक पद्धति से खेती करने का आह्वान अनाज मंडी में धान की बिक्री के दौरान किसानों के साथ हुई लूट का मुद्दा भी उठाया कृषि विभाग द्वारा जाट धर्मशाला में विश्व मृदा दिवस पर किया गया जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन नरेंद्र कुंडू  जींद। विधायक प्रेमलता ने कहा कि फसलों में साल दर साल बढ़ रही बीमारियों व कीटों के प्रकोप का मुख्य कारण बाजार में बिक रहे निम्र श्रेणी के बीज व घटिया क्वालिटी की दवाइयां हैं। बीज व दवाइयों के नाम पर किसानों के साथ जो धोखा हो रहा है उसके लिए विभाग जिम्मेदार है। जींद के बिल्कुल साथ लगते हिसार जिले में एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी है। विभाग के अधिकारियों व कृषि विशेषज्ञों को चाहिए कि वह इस यूनिवर्सिटी से किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज व दवाइयां मुहैया करवाएं। ताकि किसानों को फसल की अच्छी पैदावार मिल सके और फसलों में आने वाली बीमारियों व कीटों को नियंत्रित किया जा सके। विधायक प्रेमलता शनिवार को कृषि विभाग द्वारा जाट धर्मशाला में विश्व मृदा दिवस पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथ

विश्व मृदा दिवस के लिए विशेष

चित्र
न मशीन, न स्टाफ कैसे होगी सैंपलों की जांच कृषि विभाग की मिट्टी-पानी की जांच के जागरूकता अभियान को झटका 16 हजार में से महज 400  सैंपलों की ही हो पाएगी जांच  नरेंद्र कुंडू  जींद। कृषि विभाग आज विश्व मृदा दिवस मना रहा है और किसानों को मिट्टी-पानी की जांच करवाने के लिए जागरूक करने का काम कर रहा है लेकिन हकीकत यह है कि कृषि विभाग की प्रयोगशाला में मिट्टी-पानी की जांच के लिए न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही पूरा स्टाफ है। ऐसे में विभाग के इस जागरूकता अभियान को करारा झटका लग रहा है। क्योंकि विभाग की लैब में किसान जांच के लिए अपने खेत से मिट्टी-पानी तो लेकर आ रहे हैं लेकिन यहां पर किसानों के सैंपलों की जांच नहीं हो पा रही है। क्योंकि जिला कृषि विभाग की कृषि विभाग की प्रयोगशाला में जांच के लिए आए मिट्टी के सैंपल।    प्रयोगशाला में मिट्टी-पानी के सूक्ष्म तत्व की जांच के लिए रखी गई मशीन पिछले काफी लंबे अर्से से खराब पड़ी है। ऐसे में यहां जांच के लिए आने वाले सैंपलों की सूक्ष्म तत्वों की जांच नहीं हो पा रही है। वहीं प्रयोगशाला को संभालने के लिए विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ भी नहीं है। लैब

जींद-पानीपत रेलवे लाइन पर अंडर पास बनने का रास्ता साफ

12 करोड़ ३९ लाख से बनेगा अंडर पास अंडर पास बनाने के लिए रेलवे ने जिला प्रशासन को भेजा एस्टीमेट अंडर पास की प्रथम प्रक्रिया के लिए जिला प्रशासन को जमा करवाने होंगे 19 लाख अंडर पास बनने से शहरवासियों को जाम से मिलेगी निजात नरेंद्र कुंडू  जींद। शहर के मिनी बाईपास पर जींद-पानीपत रेलवे लाइन पर अंडर पास बनने का रास्ता साफ हो गया है। रेलवे ने अंडर पास बनाने का एस्टीमेट तैयार कर जिला प्रशासन को सौंप दिया है। अंडर पास के निर्माण पर लगभग 12 करोड़ 39 लाख रुपये का खर्च आएगा। अंडर पास के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करवाने के लिए जिला प्रशासन को रेलवे को 19 लाख रुपये जमा करवाने होंगे। इसके बाद रेलवे द्वारा अंडर पास के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अंडर पास का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद शहर के लोगों को जाम से निजात मिलेगी और पिछले दो वर्षों से अंडर पास का निर्माण नहीं होने के कारण रद्द पड़े मिनी बाईपास पर वाहनों का आवागमन शुरू हो पाएगा। यह है पूरा मामला  जींद शहर के लोगों को जाम से निजात दिलवाने के लिए तीन जून 2012 को जींद की नई अनाज मंडी में हुई कांग्रेस की विकास रैली में तत्कालीन मु

उम्र 19 और 50 से ज्यादा प्रतियोगिताओं में मनवा चुकी है लोहा

चित्र
हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी की कनिष्का ने पेंटिंग में हासिल किया गवर्नर अवार्ड कन्या भ्रूण हत्या व नशाखोरी है मुख्य विषय  माता-पिता को भी है अपनी बेटियों पर नाज नरेंद्र कुंडू जींद। कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। इस कहावत को सिद्ध कर रही है शहर की हाऊङ्क्षसग बोर्ड कॉलोनी निवासी कनिष्का। कनिष्का बहुमुखी प्रतिभा की धनी है और पेटिंग के क्षेत्र में काफी महारत हासिल कर चुकी है। राजकीय प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी महिला महाविद्यालय की बीएससी अंतिम वर्ष की छात्रा कनिष्का महज 19 वर्ष की उम्र में 50 के करीब प्रतियोगिताओं में प्रतिभागिता कर चुकी है। तीसरी कक्षा से ही कनिष्का ने प्रतियोगिताओं में प्रतिभागिता शुरू कर दी थी। अपनी प्रतिभा के दम पर कनिष्का ने वर्ष 2014 में राज्य स्तर पर आयोजित हुई पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर गवर्नर अवार्ड भी हासिल किया था। पेंटिंग के साथ-साथ पढ़ाई के क्षेत्र में भी कनिष्का काफी रुचि है। कनिष्का की एक खास बात यह भी है कि पेंटिंग प्रतियोगिताओं में उसका सबसे खास विषय कन्या भ्रूण हत्या तथा नशाखोरी रही है। कनिष्का अपनी पेंटिंग के

ममता सोधा ने जिद्द से फतेह किया एवरेस्ट

चित्र
लोगों के ताने सुन कर किया एवरेस्ट फतेह करने का इरादा चिकित्सकों की सलाह की परवाह किए बिना लहराया एवरेस्ट पर तिरंगा नरेंद्र कुंडू  डीएसपी ममता सौदा का फोटो। जींद। 'सपने उनके ही पूरे होते हैं, जिनके सपनों में जान होती है, अकेले पंखों से कुछ नहीं होता हौंसलों से ही उडान होती है।" इन पंक्तियों को सच कर दिखाया है एवरेस्ट विजेता डीएसपी ममता सोधा ने। समाज से मिल रहे ताने व परिवार की आर्थिक कमजोरी भी उसकी राह का रोड़ा नहीं बन पाई। 2003 में पर्वतारोहण के दौरान हुए हादसे में बुरी तरह से घायल होने के बाद भी ममता ने अपनी जिद्द नहीं छोड़ी और चिकित्सकों की सलाह को नजरअंदाज कर जान पर खेलते हुए एवरेस्ट फतेह करने का काम किया। एवरेस्ट पर तिरंगा लहरा कर पर्वतारोही ममता सोधा ने यह साबित कर दिया है कि नारी अबला नहीं सबला है। इतना ही नहीं ममता सोधा ने पिता की मौत के बाद अपना लक्ष्य पूरा करने के साथ-साथ परिवार के मुखिया का भी फर्ज अदा किया। परिवार में सभी भाई-बहनों में बड़ी होने के कारण पिता की मौत के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी ममता के कंधों पर आ गई थी। परिवार के पास आय का कोई दूसरा स

हॉकी के दम पर राजरानी ने देश में बनाई पहचान

चित्र
परिस्थितियों से हार मानने वाली लड़कियों के लिए मिशाल बनी राजरानी रियालटी शो की विजेता बन चुकी है राजरानी  नरेंद्र कुंडू  जींद। संसाधनों के अभाव में जो लड़कियां अपना लक्ष्य छोड़कर परिस्थितियों से समझौता कर लेती हैं राजरानी उन लड़कियों के लिए एक मिशाल है। हॉकी खिलाड़ी राजरानी ने ग्रामीण क्षेत्र से निकल कर देश के मानचित्र पर अपने जिले व प्रदेश का नाम रोशन करने का काम किया है। राजरानी ने खेल ही नहीं  बल्कि छोटे पर्द पर भी अपनी सफलता की पहचान छोड़ी है। उचाना क्षेत्र के खेड़ीसफा गांव में किसान बारूराम के घर में जन्मी राजरानी ने वर्ष 2012 में स्टार प्लस चैनल पर आयोजित रियालटी शो 'सरवाइवर इंडिया' की विजेता बनकर शो में शामिल बड़े-बड़े स्टार को हरियाणा के दूध-दही की ताकत का ऐहसास करवाया था। टीवी चैनल व राष्ट्रीय स्तर पर खेलों के क्षेत्र में अपना नाम रोशन करने वाली राजरानी अब चंडीगढ़ में एक फिटनेश सेंटर पर लोगों को फिटनेश का प्रशिक्षण देती है। फिटनेश सेंटर से फ्री होने के बाद राजरानी शाम के समय स्टेडियम में जाकर खिलाडिय़ों को हॉकी के टिप्स भी सिखाती है। रियालटी शो की विजेता राजरानी

जिंदगी के गुणा-भाग ने बना दिया गणित टीचर

चित्र
अमरेहड़ी की रितू ने विपरीत परिस्थितियों से जूझ पाया मुकाम पिता की मौत के बाद संघर्ष कर पूरी की पढ़ाई नरेंद्र कुंडू जींद। आंखें खोलते ही जिंदगी में आई मुसीबतों ने ऐसा उलझाया कि मुसीबतों के गुणा-भाग से प्रेरणा लेकर वह गणित की टीचर बन गई। यह कहानी है अमरेहड़ी निवासी 23 वर्षीय रितू की। रितू ने विपरित रिस्थितियों से जूझ कर मैथ से एमएससी की अपनी पढ़ाई पूरी की। अब रितू हिंदू कन्या महाविद्यालय में मैथ की प्राध्यापिका के तौर पर अपनी सेवाएं दे कर परिवार का पालन-पोषण करने के साथ-साथ दूसरी छात्राओं का जीवन संवार रही है। मैथ प्राध्यापिका रितू अब दूसरी छात्राओं के लिए पे्ररणा स्त्रोत बन चुकी है। रितू का अगला लक्ष्य अब नेट की परीक्षा पास करना है। रितू अपने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही है। इसके लिए वह कॉलेज से घर जाने के बाद गांव में बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाती है। रितू की मां कृष्णा देवी तथा उसकी बड़ी बहन संगीता भी उसके सपने को पूरा करने के लिए उसका पूरा सहयोग कर रही है। अमरेहड़ी निवासी रितू ने बताया कि वह डेढ़ वर्ष की थी जब उसके पिता राजकपूर की मौत हो गई थी। पिता की म