देश की सबसे बड़ी पंचायत में महिलाओं की नहीं हो पा रही भागीदारी
50 साल में लोकसभा तक पहुंच पाई केवल पांच महिलाएं जींद, 18 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- हरियाणा में नारी सशक्तीकरण के दावों के बीच लोकसभा चुनावों का इतिहास करारा झटका देने वाला है। देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में महिलाओं को भेजने के लिए न तो सियासी दलों ने कोई खास तवज्जो दी और न ही मतदाताओं ने दरियादिली दिखाई। यहां पिछले 50 वर्षों में केवल पांच महिलाएं ही लोकसभा तक पहुंच पाई हैं। वह भी पारिवारिक सियासी रसूख और राष्ट्रीय दलों के टिकट के बल पर। निर्दलीय कोई महिला आज तक हरियाणा से संसद नहीं पहुंची है। कांग्रेस की चंद्रावती, कुमारी सैलजा और श्रुति चौधरी, भाजपा की सुधा यादव और इनेलो की कैलाशो सैनी ही हरियाणा गठन (एक नवंबर 1966) के बाद इस दौरान लोकसभा में पहुंच पाईं। प्रदेश से पहली महिला सांसद बनने का गौरव जनता पार्टी की चंद्रावती के नाम है। उन्होंने 1977 में चौधरी बंसीलाल को हराया था। इस दौरान प्रदेश से चुने गए 151 सांसदों में (जब यह पंजाब का हिस्सा था, तब से) महिलाओं को केवल आठ बार ही चुना गया। करनाल, रोहतक, हिसार, फरीदाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत ने आज तक एक बार भी किसी महिला को...