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खाप पंचायतों के प्रतिनिधि पढ़ रहे कीटों की पढ़ाई

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लड़ाई में दोनों पक्ष हो रहे हैं घायल  नरेंद्र कुंडू जींद। इतिहास गवाह है जब भी लड़ाइयां हुई हैं सिवाये विनाश के कुछ हाथ नहीं लगा है। इसलिए तो कहा जाता है कि लड़ाई का मुहं हमेशा काला ही होता है। अगर समय रहते किसानों व कीटों के बीच दशकों से चली आ रही इस लड़ाई को खत्म नहीं किया गया तो इसके परिणाम ओर भी गंभीर होंगे। जिसका खामियाजा हमारी आने वाली पुश्तों को भुगतना पड़ेगा। इस झगड़े को निपटाने का बीड़ा जो खाप पंचायतों ने उठाया है वह अपने आप में एक अनोखी पहल है। लेकिन दशकों से चले आ रहे इस झगड़े को निपटाना इतना आसान काम नहीं है। यह एक बड़ा ही पेचीदा मसला है। इसलिए खाप पंचायत प्रतिनिधियों को इस विवाद को सुलझाने के लिए अपना फैसला देने से पहले इस विवाद की गहराई तक जाने तथा कीटों की भाषा सीखने की जरुरत पड़ेगी। ताकि पंचायत इस मसले को हल करते वक्त निष्पक्ष फैसला दे सकें। यह सुझाव कीट कमांडो किसान मनबीर रेढू ने मंगलवार को निडाना में खाप पंचायत में पहुंचे विभिन्न खाप पंचायत प्रतिनिधियों के सामने रखा। खाप पंचायत की तीसरी बैठक में अखिल भारतीय जाट महासभा  व मान खाप के प्रधान ओमप्रकाश मान, पूनिय

खुले पड़े मौत के बोरवेल

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नरेंद्र कुंडू जींद। अभी हाल ही में गुड़गांव में बोरवले में फंसने के कारण हुई 5 वर्षीय माही की मौत ने भले ही हर किसी की आंखें खोल दी हों , लेकिन इतने बड़े हादसे के बाद भी जिला प्रशासन की नींद नहीं टूट रही है। इससे यह बात साफ हो रही है कि जिला प्रशासन ने माही की मौत से भी कोई सबक नहीं लिया है। सरकार द्वारा खुले बोरवेलों को बंद करने के आदेशों के बाद  जिला प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। शायद प्रशासन को अभी और बच्चों को भी प्रिंस और माही बनने का इंतजार है। इसलिए तो जिला प्रशासन ने जिले में खुले बोरवेलों को बंद करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। शायद प्रशासनिक अधिकारियों को नरवाना के नेहरु पार्क में खुले बोरवेल व सीवरेज के मेनहाल दिखाई ही नहीं दे रहे हैं। पार्क में खुले पड़े ये बोरवेल व मेनहाल कभी भी किसी बड़े हादसे को अंजाम दे सकते हैं। शहर के हजारों लोग हर रोज सुबह-शाम यहां अपने बच्चों के साथ घूमने के लिए आते हैं। जिस कारण यहां जरा सी लापरवाही दोबारा फिर गुड़गांव या अंबाला के हादसे को ताजा कर सकती है। सार्वजनिक स्थान पर खुले पडे इस बोरवेल व मेनहाल ने प्रशासनिक अधिकारियों की कार्य

बिना सुविधाओं के टोल वसूल रही मोबाइल कंपनियां

किसानों को नहीं मिल पा रही किसान कॉल सेंटर की फ्री हैल्प लाइन सुविधा नरेंद्र कुंडू जींद। इसे ट्राई की लापरवाही कहें या मोबाइल कंपनियों की दादागीरी जिसके चलते किसानों को ‘किसान हैल्प लाइन’ सुविधा का लाभ  नहीं मिल पा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा घर बैठे-बिठाए ही किसानों की समस्या के निदान के लिए 2007 में किसान हैल्प लाइन सुविधा शुरू की गई थी। किसान मोबाइल के माध्यम से किसान कॉल सेंटर में बैठे कृषि वैज्ञानिकों के सामने अपनी समस्या रखकर उसका निदान करवा सकें इसके लिए सरकार द्वारा 1551 टोल फ्री नंबर जारी किया गया। अधिक से अधिक किसान इस सुविधा का लाभ ले सकें इसके लिए सरकार द्वारा प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे। लेकिन ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी आफ  इंडिया) की सुस्ती के चलते किसान हैल्प लाइन की इस सुविधा पर प्राइवेट मोबाइल कंपनियों की लापरवाही का ग्रहण लग गया। हालांकि प्राइवेट मोबाइल कंपनियां इन सेवाओं के बदले अपने उपभोक्ताओं से कॉल रेट के माध्यम से कुछ हिस्सा वसूलती हैं। लेकिन मोबाइल कंपनियां द्वारा इस सुविधा को बंद कर सरकार व उपभोक्ता दोनों को चूना लगाया जा रहा है। भ

‘लाडो’ को बचाने के लिए मैदान में आएंगी प्रदेश की पंचायतें

गर्भवती महिलाओं पर नजर रखने के लिए गांव में बनाई जाएंगी कमेटियां नरेंद्र कुंडू   जींद। प्रदेश की ग्राम पंचायतें अब विकास कार्यों के साथ-साथ कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में भी खड़ी नजर आएंगी। अधिक से अधिक महिलाओं को इस मुहिम से जोड़ने के लिए सभी पंचायतों को हाईटैक पंचायत बीबीपुर की तर्ज पर महिला ग्राम सभा का आयोजन भी करना होगा। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं पर नजर रखने के लिए पंचायत द्वारा गांव में वार्ड स्तर पर कमेटियों का गठन भी किया जाएगा। इन कमेटियों की पूरी कार्रवाई पंचायत की निगरानी में चलेगी। पंचायत द्वारा कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए की जाने वाली सभी कार्रवाइयों को पंचायत द्वारा अपने कारवाही रजिस्टर में कलमबद्ध करना होगा। प्रदेश में इस मुहिम को पूरी तरह से सफल बनाने के लिए पंचायती राज मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव ने प्रदेश के पंचायती राज विभाग के वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव को पत्र जारी कर जल्द से जल्द इस मुहिम पर काम शुरू करने के सख्त निर्देश जारी किए हैं। आईटी विलेज बीबीपुर की पंचायत द्वारा कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में शुरू की गई लड़ाई ने अब युद्ध का रुप धारण कर लिया ह

‘पाठशाला’ में पढ़ रही कीड़ों की पढ़ाई

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खेती के औजारों की जगह हाथ में होते हैं कॉपी, पैन नरेंद्र कुंडू जींद। सुबह के आठ बजे थे नजारा था गोहाना रोड पर स्थित ललीतखेड़ा गांव के पास का। कुछ महिलाएं सिर पर पानी का मटका लिए पूरे उत्साह के साथ गीत गुणगुनाती खेतों की तरफ जा रही थी। गीत के बोल थे ‘किड़यां का कट रहया चाला ऐ मैंन तेरी सूं देखया ढंग निराला ऐ मैंन तेरी सूं’ और इन महिलाओं के हाथों में खेती के औजारों की जगह थे कॉपी, पैन। यह नजारा वाकई में चौकाने वाला था। ये महिलाएं खेत में खेती के काम के लिए नहीं बल्कि कीटों की पढ़ाई पढ़ने के लिए जा रही थी। इन महिलाओं को कीट ज्ञान देने का जिम्मा उठाया है निडाना गांव की महिला कीट पाठशाला की मास्टर ट्रेनर महिलाओं ने। कीटों की पहचान में माहरत हासिल करने के बाद अब इन महिलाओं ने ललीतखेड़ा गांव की तरफ अपनी टीम का रुख किया है। इन दिनों कीट पाठशाला की ये मास्टरनियां ललीतखेड़ा गांव की महिलाओं को फसल में पाए जाने वाले मासाहारी व शाकाहारी कीटों की पहचान कर उत्पादन बढ़ाने के गुर सीखा रही हैं। ललीतखेड़ा की महिला किसान पूनम मलिक के खेत को पाठशाला के लिए चुना गया है। सप्ताह के हर बुधवार को पूनम मलिक

‘कोई समझाए इन किसानों को क्यों मार रहे बेजुबानों को’

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नरेंद्र कुंडू जींद। किसानों व कीटों के बीच छिड़ी इस जंग ने खाप पंचायतों को भी असमंजश में डाल दिया है। बड़े-बडे विवादों को चुटकियों में निपटाने के लिए मशहूर हरियाणा की खाप पंचायतों के लिए यह मशला अब प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। क्योंकि प्रदेश ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के किसानों व पंचायतों की नजर अब हरियाणा की खाप पंचायतों पर टिक गई हैं। 18 पंचायतों के बाद 19वीं पंचायत में खाप के प्रतिनिधि जो फैसला सुनाएंगे वह कोई मामूली नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक फैसला होगा और उस फैसले पर ही हमारी आने वाली पीढि़यों की जिंदगी की नींव रखी जाएगी। इस झगड़े को निटवाने तथा अपने वंश को बचाने के लिए खाप पंचायत की शरण में पहुंचे जीव प्रणियों को अब प्रदेश की खाप पंचायत से बड़ी उम्मीद है। मंगलवार को निडाना में हुई सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत की बैठक में कीट मित्र किसानों ने खाप के चौधरियों के समक्ष आवाज उठाते हुए कहा कि ‘कोई समझाए इन किसानों को क्यों मार रहे बेजुबानों को’। पंचायत के समक्ष उठे इस स्लोगन ने पंचायत में मौजूद चौधरियों के दिलों पिंघला कर रख दिया। जिसके बाद पंचायत के प्रतिनिधियों के लिए भी बिना अपनी

खाप चौधरियों ने किसानों के साथ की माथा-पच्ची

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सर्व जातीय सर्व खाप की दूसरी बैठक संपन्न नरेंद्र कुंडू जींद। कीटों व किसानों के बीच कई दशकों से चले आ रहे झगड़े में खाप पंचायत के हस्तक्षेप के बाद मामले ने एक अलग मोड़ ले लिया है। इस पेचीदा मसले को हल करने में खाप प्रतिनिधियों से किसी प्रकार का कोई गलत निर्णय न हो इसके लिए खाप के चौधरियों ने बारी-बारी से किसान खेत पाठशाला में पहुंच कर कीट मित्र किसानों के साथ माथा-पच्ची करनी शुरू कर दी है। क्योंकि यह कोई गांव का छोटा-मोटा विवाद नहीं है। यह झगड़ा तो उन दो पक्षों में है, जिसमें एक पक्ष में तर्क-वितर्क करने वाले किसान व दूसरे पक्ष में बेजुमान जीव हैं। कीट साक्षरता केंद्र के कीट मित्र किसानों के आह्वान पर इस झगड़े को निपटाने उतरी खाप पंचायत की दूसरी बैठक मंगलवार को किसान खेत पाठशाला में हुई। इस बैठक की अध्यक्षता बिनैन खाप के प्रधान नफे सिंह नैन ने की। बैठक में खरक पूनिया से पूनिया पंचग्रामी के प्रधान अमीर सिंह पूनिया, समैन-बिठमड़ा खाप के प्रतिनिधि व खाप प्रेस प्रवक्ता सूबे सिंह गिल तथा बरहा कलां बारहा के प्रधान कुलदीप ढांडा ने भी विशेष तौर पर शिरकत की। सर्व जातीय सर्व खाप के प्रतिनिधिय

इंद्र देव की बेरुखी से धरतीपुत्रों के माथे पर बढ़ी चिंता की लकीरें

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महंगे भाव का डीजल फूंक कर तपती धरती की प्यास बुझा रहे हैं किसान नरेंद्र कुंडू जींद। मानसून की बेरुखी ने धरतीपुत्रों के माथे पर चिंता की लकीरों को गहरा कर दिया है। धान का सीजन सिर पर है, लेकिन बढ़ते पारे ने किसानों की सांसें फुला दी हैं। भीषण लू के थपेड़ों में हर रोज किसानों की उम्मीद दम तोड़ रही हैं। गर्मी के मौसम की सबसे ज्यादा मार किसानों पर पड़ रही है। इंद्र देवता की बेरुखी के कारण किसानों को महंगे भाव का डीजल फूंक कर तपती धरती की प्यास बुझानी पड़ रही है। कृषि विभाग द्वारा इस बार एक लाख पांच हजार हैक्टेयर रकबे में धान की रोपाई का टारगेट निर्धारित किया गया है, लेकिन मानसून में हुई देरी के कारण अब तक सिर्फ 10 से 15 हजार हैक्टेयर में ही धान की रोपाई हो पाई है। जबकि पिछले वर्ष इस समय तक जिले में 30 से 40 हजार हैक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी थी। भीषण गर्मी से जहां जनजीवन प्रभावित हो गया है वहीं किसानों की फसल भी सूखने के कगार पर पहुंच चुकी है। मानसून नहीं आने से खेती किसानी पूरी तरह बिखरने लगी है। इससे किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। बरसात न होने के कारण जहां किसानों को आर्थिक नुकसान ह

.....चली आओ इस देश ‘लाडो’

कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ मैदान में आया खेल गांव निडानी का युवा मंडल नरेंद्र कुंडू जींद। बेटी पैदा होने पर भी अब घरों में थाली बजेगी। बैंड-बाजे के साथ धूमधाम से कुआं पूजन भी होगा। आईटी विलेज बीबीपुर की तर्ज पर अब खेल गांव निडानी का युवा मंडल भी 'लाडो' को बचाने के लिए मैदान में कूद पड़ा है। बेटा-बेटी के बीच के फासले को कम करने के लिए युवा मंडल के सदस्यों ने निर्णय लिया है कि जो भी परिवार गांव में लड़की के जन्म पर कुआ पूजन करेगा उसका सारा खर्च युवा संगठन उठाएगा। इसके अलावा युवा संगठन के सदस्य कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए ग्रामीणों को भी प्रेरित करेंगे। कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जिले में लगातार सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। आईटी विलेज बीबीपुर की महिलाओं द्वारा कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ शंखनाद करने के बाद इस मुहिम में लगातार कड़ियां जुड़ने लगी हैं। बीबीपुर की महिलाओं के साथ-साथ जहां सर्व खाप पंचायतों के प्रतिनिधियों ने भी कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के फैसले पर मोहर लगा दी है, वहीं अब खेल गांव निडानी के युवा मंडल के सदस्य भी बेटी बचाने के लिए आगे आए हैं। युवा मंडल के सद

रसोई घर के निर्माण कार्य में हो रहा फर्जीवाड़ा

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नरेंद्र कुंडू जींद। सरकारी स्कूलों में सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) द्वारा मिड-डे-मील योजना के तहत बनवाए जा रहे कीचन शैड कम स्टोरों का निर्माण सवालों के घेरे में है। एसएसए द्वारा कीचन शैड कम स्टोर के निर्माण के लिए हर स्कूल को एक लाख 36 हजार रुपए की ग्रांट उपलब्ध करवाई जा रही है। लेकिन अगर इनके निर्माण में प्रयोग होने वाले मैटीरियल के बाजार के रेटों पर नजर डाली जाए तो इस ग्रांट से इनका निर्माण किसी तरह भी संभव नहीं है। मैटीरियल के बाजार भाव को देखते हुए इनका निर्माण एक लाख 85 हजार रुपए से भी  ज्यादा में पूरा होता है। इससे यह साफ है कि स्कूलों में नियमों को ताक पर रखकर घटिया निर्माण सामग्री के दम पर रसोई घर खड़े किए जा रहे हैं। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी सबकुछ जानते हुए भी इस मामले में अनजान बने हुए हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की यह लापरवाही कभी भी नौनिहालों पर भारी पड़ सकती है। सवालों के घेरे में अधिकारी सरकारी स्कूलों में कीचन शैड कम स्टोर के निर्माण कार्य के लिए एसएसए द्वारा जारी की जा रही ग्रांट निर्माण के लिए प्रर्याप्त न होने के बावजूद भी निर्माण में फर्जीवाड़ा कर धड़ल्ले से इन बिल्डिंगों

निडाना की गौरियों ने भी उठाया खेती को जहरमुक्त करने का बीड़ा

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पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं निडाना की महिलाएं नरेंद्र कुंडू जींद। निडाना गांव के गौरे से पेस्टीसाइड के विरोध में उठी इस आंधी को रफ्तार देने में निडाना गांव की गौरियां भी पुरुषों के बाराबर अपनी भागीदारी दर्ज करवा रही हैं। निडाना गांव की महिलाएं ओर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। कीट मित्र किसानों ने जहां इस मुहिम को सफल बनाने के लिए खाप पंचायतों का दामन थाम है, वहीं गांव की महिलाओं ने भी इस मुहिम पर रंग चढ़ाने के लिए आस-पास के गांवों की महिलाओं को जागरुक करने का बीड़ा उठाया है। अक्षर ज्ञान के अभाव का रोड़ा भी इन महिलाओं की रफ्तार को कम नहीं कर पा रहा है। पुरुषों के साथ ही इन महिलाओं ने भी इस लड़ाई में शंखनाद कर दिया है। महिलाएं घंटों कड़ी धूप के बीच खेतों में बैठकर लैंस की सहायता से कीटों की पहचान में जुटी रहती हैं। बुधवार को भी महिलाओं ने ललितखेड़ा गांव में पूनम मलिक के खेत में महिला खेत पाठशाला का आयोजन किया। इस दौरान निडाना गांव की मास्टर ट्रेनर महिलाओं ने ललितखेड़ा गांव की महिलाओं को कीटों का व्यवहारिक ज्ञान दिया। मास्टर

कीट व किसानों के झगड़े को निपटाने के लिए पंचायत के प्रतिनिधियों ने किया मंथन

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 सर्व खाप पंचायत की महिला विंग की प्रधान पंचायत में अपने विचार रखते हुए। पंचायत प्रतिनिधियों को स्मृति चिह्न •ोंट करते कीट साक्षरता केंद्र के किसान। नरेंद्र कुंडू जींद। आप ने खाप पंचायतों को सामाजिक तानेबाने को बनाए रखने तथा आपसी भाईचारे को कामय रखने के लिए लोगों के बड़े-बड़े झगड़े निपटाते देखा होगा, लेकिन अब खाप पंचायतें पिछले 40-45 वर्षों से कीटों व किसानों के बीच चले आ रहे झगड़े को निपटाने में अपना सहयोग करेंगी। निडाना गांव के स्थित कीट साक्षरता केंद्र के कीट मित्र किसानों के आह्वान पर मंगलवार को निडाना गांव के जोगेंद्र मलिक के खेत पर एक पंचायत का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता दाड़न खाप के प्रधान देवा सिंह ने की तथा पंचायत के सही संचालन की जिम्मेदारी बराह कलां बाहरा के प्रधान कुलदीप सिंह ढांडा को सौंपी गई। पंचायत में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि कीटों व किसानों के इस झगड़े को निपटाने के लिए सप्ताह के हर मंगलवार को सर्व खाप पंचायत की ओर से एक पंचायत का आयोजन किया जाएगा। 18 बैठकों के बाद 19वीं बैठक में सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत बुलाकर इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाएंगे।

कीट प्रबंधन अभियान में कूदी खाप पंचायतें

नरेंद्र कुंडू जींद। फतवे जारी करने के लिए बदनाम प्रदेश की सर्व खाप पंचायतें अब नए क्लेवर में नजर आएंगी। पिछले 40-45 वर्षों से कीटों व किसानों के बीच चल रहे इस आपसी झगड़े को निपटाने के लिए सर्व खाप पंचायत द्वारा एक अदभूत व अनोखी पहल की गई है। कीटों व किसानों की इस आपसी लड़ाई से धरती पर मौजूद अन्य जीवों को हो रहे जानी नुकसान को बचाने के लिए खाप पंचायतों ने इस लड़ाई में हस्तक्षेप किया है। खाप पंचायत का प्रतिनिधिमंडल सप्ताह के हर मंगलवार को निडाना के कीट साक्षरता केंद्र पर पहुंचकर दोनों पक्षों की बहस सुनेगा और नजदीक से इस लड़ाई का जायजा लेगा। इस बहस के जरिए खाप पंचायतों के प्रतिनिधि कीटों व किसानों के झगड़े की वास्तविकता का पता लगाएंगे। यह सिलसिला लगातार 18 सप्ताह तक चलेगा और 19वें सप्ताह में प्रदेश के सर्व खाप पंचायत के प्रतिनिधि एकत्रित होकर अपना फैसला सुनाएंगे। इतिहास गवाह रहा है कि फतवे जारी करने के लिए बदनाम प्रदेश की सर्व खाप पंचायतों ने पुरानी से पुरानी रंजीश पर समझौते की मोहर लगाकर आपसी भाईचारे को कायम रखने का काम किया है। आपसी भाईचारे को कायम रखने वाली ये खाप पंचायतें अब एक अनोखी मुह

...ये है देश की अनोखी पाठशाला

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देश की आर्थिक रीड को मजबूत करने के लिए यहां दी जाती है कीटों की तालीम नरेंद्र कुंडू किसान पाठशाला के दौरान कपास की फसल में कीटों की पहचान करते किसान। जींद। आप ने ऐसी पाठशालाएं तो बहुत देखी होंगी, जहां देश के कर्णधारों को क, ख, ग की तालीम देकर उनके भविष्य को उज्जवल बनाने के प्रयास किए जाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी ऐसी पाठशाला देखी या सुनी है जहां कीटों की तालीम देकर देश की आर्थिक रीड (यानि किसानों) को सुदृढ़ करने के सपने बुने जा रहे हों। जी हां हम बात कर रहे हैं जींद जिले के निडाना गांव में चल रहे कीट साक्षरता केंद्र की। यहां हर मंगलवार को किसान पाठशाला का आयोजन किया जाता है और किसानों को कीट प्रबंधन के गुर सिखाए जाते हैं। यह एक अजीब तरह की पाठशाला है। इस पाठशाला में पेड पर लकड़ी का बोर्ड लगाया जाता है और खेत की मेड पर ही बैठकर किसान अपने अनुभव सांझा करते हैं। इस पाठशाला की सबसे खास बात यह है कि यहां न ही तो कोई अध्यापक है और न ही कोई स्टूडेंट है। यहां तो किसान खुद ही अध्यापक हैं और खुद ही स्टूडेंट। इस पाठशाला में किसान स्वयं मेहनत करते हैं और कागजी ज्ञान की बजाए व्यवहारिक ज्ञान

हाईटैक पंचायत ने रच दिया इतिहास

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महिला ग्रामसभा में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए किया 14 कमेटियों का गठन नरेंद्र कुंडू जींद। देश की पहली हाईटैक पंचायत बीबीपुर ने सोमवार को एक नया इतिहास रच दिया है और इस इतिहास का गवाह बनी है गांव के तिहाड़ पाने की नीमवाली चौपाल। आईटी विलेज की पंचायत ने गांव में महिला ग्रामसभा का आयोजन करवाकर देश की पहली महिला ग्राम सभा करवाने वाली पंचायत का गौरव हासिल कर लिया है। जिस चौपाल के पास से कभी महिलाएं घुंघट तानकर निकलती थी आज उसी चौपाल में बैठकर महिलाओं ने लगभग दो घंटे तक गहन मंथन किया और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए अहम फैसला लिया। ग्रामसभा में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए गांव में 14 कमेटियों का गठन किया गया और सरपंच को सभी कमेटियों का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। चार मैंबर की एक कमेटी बनाई गई, जिसमें तीन महिलाओं व एक पुरुष को कमेटी के मैंबर के तौर पर चुना गया। कमेटियों का कार्य केवल कन्या भ्रूण हत्या को रोकना ही नहीं, अपितू उन महिलाओं पर भी नकेल डालने का रहेगा, जो कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध में शामिल होकर खुद अपनी ही जात की दुश्मन बनी हुई हैं। महिलाओं ने रखे सुझाव

बेटी बचाने के लिए मैदान में उतरेंगी आईटी विलेज की गौरी

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सोमवार को आईटी विलेज में किया जाएगा महिला ग्रामसभा का आयोजन  बीबीपुर ग्राम पंचायत का लोगो। नरेंद्र कुंडू जींद। आईटी विलेज बीबीपुर की गौरी अब चूल्हे-चौके के साथ-साथ बेटी बचाने के लिए मैदान तैयार करेंगी। इसी कड़ी के तहत सोमवार को गांव में महिला ग्रामसभा का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद महिला ग्राम सभा का आयोजन करने वाली देश की यह पहली ग्राम पंचायत बन जाएगी। कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ शंखनाद करने से पहले महिलाएं ग्राम सभा में विधिवत रुप से रेजुलेशन डालकर प्रस्ताव पास करवाएंगी। ग्राम सभा में ग्रामीण महिलाओं के अलावा जिला प्रशासन की तरफ से विभिन्न विभागों से महिला अधिकारी भी भाग लेंगी। मिनिस्ट्री आफ पंचायती राज के निर्देशानुसार ही गांव में महिला ग्राम सभा का आयोजन करवाया जा रहा है। पंचायत की उपलब्धियों को देखते हुए गत 29 मई को मिनिस्ट्री आफ पंचायती राज नई दिल्ली की टीम ने गांव का दौर कर महिलाओं को भी ग्रामसभा में शामिल करने के निर्देश दिए थे। देश की पहली हाईटैक पंचायत बीबीपुर में सोमवार को पहली महिला ग्राम सभा का आयोजन किया जाएगा। महिला ग्राम सभा के आयोजन के बाद आईटी विलेज की पंचायत क

....यहां तो बाड़ ही खा रही खेत

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ट्रांसफार्मरों की खरीद-फरोख्त में निगम को लग रहा करोड़ों का चूना  बिजली निगम के स्टोर में पड़े खराब ट्रांसफार्मर नरेंद्र कुंडू जींद। घाटे की मार झेल रहे बिजली निगम को खुद उसके ही अधिकारी डुबोने पर तुले हुए हैं। निगम के अधिकारी अपनी जेबे गर्म करने के चक्कर में प्रति माह निगम को करोड़ों रुपए का चूना लगा रहे हैं। गर्मी के मौसम में आॅवर लोड़ के कारण प्रतिदिन निगम के दर्जनों ट्रांसफार्मर खराब हो रहे हैं। लेकिन ऐसे में निगम के अधिकारियों द्वारा खराब हुए ट्रांसफार्मरों को ठीक करवाने की बजाए कमिशन ऐंठने के चक्कर में नए ट्रांसफार्मर खरीदने के कार्यों को तवज्जों दी जा रही है। अधिकारियों द्वारा तय किए गए नए नियामों के कारण एक तरफ जहां करोड़ों रुपए के ट्रांसफार्मर जंग की भेंट चढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी और नए ट्रांसफार्मर की खरीद-फरोख्त की आड़ में अधिकारी निगम को मोटा चूना लगा रहे हैं। नए ट्रांसफार्मरों की खरीददारी के कारण निगम के कर्मचारियों पर काम का बोझ भी बढ़ गया है। बाड़ ही खेत को खाने वाली कहावत बिजली निगम के अधिकारियों पर स्टीक बैठ रही है। गर्मी के मौसम में आॅवर लोड होने के कारण प्रतिदिन निगम क

आवेदकों पर भारी पड़ रहे सरकारी आदेश

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रैडक्रॉस फार्म बुथ पर दो माह से नहीं पहुंची गन बुक  रैडक्रॉस का फार्म बुथ जहां पर अभी तक गन बुक नहीं पहुंची हैं। नरेंद्र कुंडू जींद। आर्म्ज लाइसेंस बनवाने के लिए सरकार द्वारा लागू किए गए नए नियम आवेदकों की राह का रोड़ा बन रहे हैं। सरकार द्वारा आर्म्ज लाइसेंस के नियमों में परिवर्तन करते हुए यह शर्त लागू कर दी गई है कि कोई भी आवेदक बाहर से गन बुक नहीं खरीद सकेगा। आवेदक को लाइसेंस बनवाने के लिए केवल रैडक्रॉस के फार्म बुथ से ही गन बुक खरीदकर जमा करवानी होगी। हालांकि पहले आवेदकों पर इस प्रकार की कोई पाबंदी नहीं होती थी। अब आलम यह है कि लाइसेंस बनवाने वाले आवेदकों ने आवेदन की सारी प्रक्रिया तो पूरी कर ली हैं, लेकिन अभी तक रैडक्रॉस फार्म बुथ से उन्हें गन बुक नहीं मिल पा रही हैं। नियमों में परिवर्तन होने के लगभग दो माह बाद भी रैडक्रॉस फार्म बुथ पर गन बुक नहीं पहुंची हैं। दो माह बाद भी गन बुक रैडक्रॉस के बुथ पर नहीं पहुंचपाने से प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। सरकार द्वारा आर्म्ज लाइसेंस बनवाने के नियमों में परिवर्तन किया गया है। सरकार ने नियमों में प

3 माह, 96 सैंपल, 9 की रिपोर्ट

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सैंपलों की आड़ में विभाग कर रहा खानापूर्ति, किसान बेबस  उप कृषि अधिकारी कार्यालय का फोटो। नरेंद्र कुंडू जींद। जिले में नकली बीज व दवाइयों का गोरखधंधा पूरे यौवन पर है। इसके लिए पूरी तरह से कृषि विभाग की सुस्ती जिम्मेदार है। विभाग द्वारा क्वालिटी कंट्रोल अभियान चलाकर नकली बीज व दवा विक्रेताओं पर नकेल डालने की बजाए सैंपलों की आड़ में केवल खानापूर्ति की जा रहा है। आलम यह है कि अप्रैल माह से अब तक विभाग द्वारा जिलेभर की दुकानों से महज 96 सैंपल ही लिए गए हैं और इनमें से भी मात्र 9 सैंपलों की रिपोर्ट ही विभाग द्वारा मंगवाई गई है। जिसमें मात्र एक सैंपल ही फेल दिखाया गया है। इस प्रकार विभाग की कछुआ चाल के कारण बीज किसानों को मोटा चूना लग रहा है। बाकि सैंपलों की रिपोर्ट जब तक विभाग के पास पहुंचेगी तब तक सारा का सारा नकली बीज व कीटनाशक किसानों में बट चुका होगा और विभाग के पास खाली लकीर पीटने के सिवाए कुछ नहीं बचेगा। खरीफ सीजन की बिजाई के साथ ही नकली बीज व कीटनाशक तैयार करने वाला गिरोह सक्रीय हो चुका है। बेहतर फसल उत्पादन हासिल करने की तमन्ना दिल में पाले किसान जब बीज बिक्री केंद्र पर पहुंच